#MNN@24X7 दरभंगा, शनिवार की संध्या एक स्थानीय होटल के सभागार में दरभंगा फाग्सी के द्वारा एक भव्य सी एम ई का आयोजन किया गया इसमें स्त्रियों में बढ़ती हुई बांझपन पर चिंतन किया गया। एसीएमई में गुजरात के डॉ जायेश अमीन, पटना की डॉक्टर स्मृति स्पर्श, दरभंगा चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के प्रसूति एवं स्त्री रोग की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ कुमुदिनी झा एवं प्रख्यात इनफर्टिलिटी एक्सपर्ट डॉक्टर रूही यासमीन ने अपने व्याख्यान दिए।

सी एम ई का उद्घाटन दरभंगा फाग्सी के अध्यक्ष डॉ भरत प्रसाद, प्रसूति एवं स्त्री विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सीमा, उपाध्यक्ष डॉ नूतन बाला प्रसाद एवं डॉक्टर ओम प्रकाश के साथ दरभंगा के प्रख्यात स्त्री रोग विशेषज्ञों ने सम्मिलित रूप दीप प्रज्वलित कर किया।

डॉ जयेश अमीन ने कहा कि बच्चेदानी की आंतरिक झिल्ली संतान प्राप्ति के मार्ग में ब्लैक बॉक्स कितना काम करती है। इसका अध्ययन कर निस्संतान स्त्रियों में बच्चा होने की दर बढ़ाई जा सकती है। नई तकनीकों के आने के बावजूद स्त्री का पोषण, मानसिकता, योग और एक्सरसाइज संतान प्राप्त करने में योगदान करते हैं।

डॉ रूही यासमीन ने कहा कि सिर्फ टेस्ट ट्यूब में अंडा से भ्रूण बना लेना ही सफलता की गारंटी नहीं है। अगर बच्चेदानी में भ्रूण रखने के प्रोजेस्टेरोन का ख्याल ना रखा जाए तो गर्भपात हो सकता है। इसमें दवाओं का महत्वपूर्ण रोल है। इसमें लिस्ट डाइजेस्टरोंन सबसे महत्वपूर्ण है। अन्य तरीकों के साथ यह इम्यूनोमोड्यूलेशन भी करता है। इसके कारण से सफल गर्भ धारण क्षमता बढ़ जाती है।

कार्यक्रम में डॉक्टर कुमुदिनी झा एवं डॉ स्मिति स्पर्श ने भी संतान प्राप्ति के रास्ते के विभिन्न व्यवधानो एवं निदान पद्धतियों पर अपने विचार रखें। मंच संचालन डॉ राजश्री पूर्वे ने और धन्यवाद ज्ञापन डॉ कुमुदनी झा ने किया।