#MNN@24X7 दरभंगा, महाकाव्य रामायण के दो पात्र कैकेई और मंथरा जिन्हें दुनिया स्वार्थ और लालच के लिए जानती है। परंतु आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर इन पर एक अलग दृष्टिकोण रखते हैं। उनके अनुसार ये दो पात्र नहीं होते तो राम रघुकुल के साधारण राजकुमार या राजा ही बनकर रह जाते, कभी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम नहीं बन पाते।

इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए लेखक व निदेशक पंकज मणि लिखित एक अत्यंत रोचक नाटक “रामलला की माता” का भव्य प्रदर्शन शुक्रवार की शाम लहरिया सराय स्थित प्रेक्षागृह  में बेंगलुरु की नाटक मंडली की ओर से हुआ। कार्यक्रम के आरंभ में बंदना बोहरा की ओर से श्री श्री रविशंकर के विभिन्न कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला गया। कार्यक्रम का उद्घोष जय श्री राम की बुलंद आवाज से हुआ।

इस नाटक को आर्ट ऑफ लिविंग बंगलोर की आश्रम मंडली द्वारा  लहेरियासराय में नवनिर्मित ऑडिटोरियम के भव्य मंच पर किया गया। जब राम कैकेई को प्राणों से प्रिय हो तो फिर भला उन्हें सिंहासन से हटाकर अपने बेटे भरत को अयोध्या पर शासन करने के लिए उन्हें किसने प्रेरित किया। मंथरा ने उन्हें क्यों उकसाया। क्यों उन्होंने स्वयं को सबकी नजरों में गिराया।

ऐसे ही सवालों का जवाब देता हुआ यह मनोरंजक और रोचक नाटक सभी की आंखों में नमी भरता रहा। कभी झकझोरा, तो कभी गुदगुदाया।

प्रेक्षागृह में इस नाटक को देख रहे डीएम राजीव रोशन, सांसद गोपाल जी ठाकुर, नगर विधायक संजय सरावगी, शोभा सरावगी, डॉ ए के गुप्ता, डीपीएस दरभंगा के डायरेक्टर विशाल गौरव आदि की ओर से नाटक की जमकर सराहना होती रही और तालियां बजती रही। मिथिला और बिहार की धरती पर इस प्रथम संगीतमय नाटक का प्रथम मंचन हुआ।

संयोजक राजेश बोहरा ने बताया कि अभी तक देश विदेश में इस नाटक के 40 से अधिक शो हो चुके हैं। आर्ट ऑफ लिविंग दरभंगा तथा लायंस क्लब ऑफ दरभंगा टाउन की टीम इसके सफल आयोजन के लिए जोर शोर से लगी हुई थी। आर्ट ऑफ लिविंग प्रशिक्षक अनिल शर्मा, राजेश ढंढनिया, लायंस क्लब के सचिव अभिषेक चौधरी, विशाल पंसारी, अमरनाथ सिंह, प्रेरणा ढंढनिया, बंदना बोहरा आदि इसको सफल बनाने में में जोर शोर से जुटे रहे।