ग्रह शान्ति से भी रोगों से मुक्ति संभव : डॉ कुणाल

राष्ट्रीय संगोष्ठी में ज्योतिर्विदों ने सुझाये उपाय

कहा- गणना व फलित टिपण्णी हो सटीक तो हर रोग से मिल सकता है छुटकारा

#MNN24X7 दरभंगा, ज्योतिष में रोग विचार एवं उसके निदान विषय पर शनिवार को पटना के राजकीय संस्कृत महाविद्यालय
मेंआयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश के कई चर्चित ज्योतिर्विदों ने जो उपाय व साधन बताए उससे बेशक लोगों के कष्ट व दुख काफी हद तक कम हो सकते हैं। विषय पर ऑनलाईन व ऑफलाईन दोनों तरह से चर्चा हुई। इसी क्रम में विशिष्ट वक्ता ज्योतिर्वेद विज्ञान संस्थान, पटना के निदेशक आचार्य डॉ राजनाथ झा ने कहा कि ज्योतिष में गणना के आधार पर रोगों की पहचान पहले से की जा सकती है तथा उसका उपचार भी सम्भव है। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्योतिष की अवधारणाएं अत्यंत प्राचीन हैं जो कुछ मामलों में विज्ञान से परे हैं। इसलिए ज्योतिष की गणना को एकदम नकारा नहीं जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि जातकों के ग्रह दशा, महादशा, अन्तर्दशा, प्रत्यंतर दशा के सूक्ष्म विश्लेषण के बाद स्पष्ट व सटीक फलित टिपण्णी के आधार पर बताए गए उपायों को अपनाकर रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है। उन्होंने आज विशेषकर कैंसर रोग के जन्म और उसके ज्योतिषीय निदान पर व्याख्यान दिया।

प्रधानाचार्य डॉ मनोज कुमार की अध्यक्षता में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य वक्ता कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो कुणाल कुमार झा ने बताया कि ज्योतिषीय विधान के अनुसार ग्रह एवं राशि के कारण अनेक रोग होते हैं। ग्रह शांति कराकर रोगों से मुक्ति मिल सकती है।

उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि डॉ विवेक कुमार तिवारी एवं डॉ ज्योत्सना के संयुक्त संयोजकत्व में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो उमेश शर्मा ने भी विषय वस्तु पर गम्भीर विश्लेषण किया तथा सुझाये गए उपायों से लाभ लेने को भी कहा। ऑनलाइन माध्यम से रामधनी मिश्र संस्कृत महाविद्यालय, बक्सर के डा निर्भय कुमार पांडेय , केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय , लखनऊ परिसर के डा अश्वनी पांडे एवं संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय , वाराणसी से डा मधुसूदन मिश्र ने भी विषय पर अपने विचार व्यक्त किये। इसके अलावा ब्रजभूषण संस्कृत महाविद्यालय, खरखुरा,गया के डा अंबुज त्रिवेदी एवं महंत केशव संस्कृत महाविद्यालय, फतुहा के डा जीवानंद झा ने विविध रोगों एवं उसके निदान पर अपने वक्तव्य दिए।

इस अवसर पर हथुआराज संस्कृत महाविद्यालय के डा अनिल कुमार झा ने कहा कि जिस तरह छाता के उपयोग से बर्षा खत्म नहीं हो जाती लेकिन ऐसा कर हम भींगने से अवश्य बच जाते हैं। ठीक उसी प्रकार ज्योतिषीय उपाय से हम बहुत हद तक रोगों से मुक्त हो सकते हैं। महंत केशव संस्कृत महाविद्यालय,फतुहा के डा उपेंद्र चौधरी ने भी अपना विचार रखा। मौके पर अनेक शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम में वैदिक मंगलाचरण गिरधारी कुमार झा ने किया। डॉ विवेक कुमार तिवारी ने मंच संचालन में हुए कार्यक्रम में स्वागत भाषण डा ज्योत्स्ना ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डा शिवानंद शुक्ल ने किया।