दरभंगा, विश्वविद्यालय मैथिली विभाग में विभागाध्यक्ष प्रो रमेश झा केर अध्यक्षता में डा.कांचीनाथ झा किरण के 115ह’म जयन्ती मनाओल गेल। एहिमे प्रो विभूति आनंद किरणजी के व्यक्तित्व आ कृतित्व के रेखांकित करैत हुनका संग बिताओल कई एकटा संस्मरण सुनेलनि। ओ कहलनि जे किरण जी सर्वहारा वर्ग के लेखक छलैथ।ओ पहिले स्वयं अपने अनुभव केलथि फेर साहित्यिक पात्र के चयन क’ ओहि मे जान द देलन्हि। प्रो दमन कुमार झा कहलनि जे किरण जी भाग्यवादी लेखक नहि छलाह, यथार्थ के रेखांकित केनाय हुनकर स्वभाव मे छलैन्ह ओ मैथिली समीक्षा के नव पद्धाति के परिकल्पना केने छलथि जकरा ओ मैथिली आँखि कहिके एकटा महत्वपूर्ण आलेखमे एकर चर्चा केने छलाह।
प्रो अशोक कुमार मेहता कहलन्हि जे किरण जी के हम सदेह नहि देखलहुँ अपितु हुनकर रचना सब के पढ़ि के बुझलहुँ। ओ शोषित पीड़ित वर्ग के प्रवक्ता आ विद्रोही स्वभाव के छलाह।ओ पहिल बेर ज्योतिरीश्वर के वर्णरत्नाकर के गद्य नहि पद्य ग्रन्थ मानि के अपनी शोध ग्रन्थ के प्रस्तुत कएलन्हि। किरण जी के अनेकों कहानी सब जेनाकि मधुमणि, इहो चारि खून कियेक, धर्मरत्नाकर, कोन महल नाम रखबै एकर आदि के द्वारा तत्कालीन समाज के बहुत बारीकी सं देखलन्हि आ शब्दबद्ध कएलन्हि।
अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रो रमेश झा कहलनि जे किरण जी मैथिली साहित्य के स्तम्भ छलाह।ओ प्रगतिशील विचारधारा के संवाहक छलाह।
एहि जयन्ती समारोह में शोधप्रज्ञ आ छात्र छात्रा लोकनि सब सेहो मैथिली के मूर्धन्य विद्वान कांची नाथ झा किरण के व्यक्तित्व आ कृतित्व पर रोशनी दैत अपन अपन विचार व्यक्त कैएलनि।जाहिमे प्रमुख छलाह- पल्लवी झा, कुमकुम, विभा कुमारी, राजश्री, नीतू,शालिनी, वंदना , दीपक, दीपेश।