-एईएस /जेई नियंत्रण को लेकर उपचार एवं सावधानियां की दी गई जानकारी
– विश्व मलेरिया दिवस की तैयारियों का भी दिया गया प्रशिक्षण

#MNN@24X7 मधुबनी / 21 अप्रैल विश्व मलेरिया दिवस व एईएस के नियंत्रण को लेकर सदर अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग के (भीबीडीएस / केटीएस,एवं अन्य) कर्मियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया. जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. विनोद कुमार झा ने बताया एईएस व विश्व मलेरिया दिवस को लेकर जिला मुख्यालय से लेकर प्रखण्ड स्तर पर बचाव को लेकर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

उन्होंने बताया गर्मी बढ़ने के साथ ही जिले में एईएस/जेई का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए इससे बचाव हेतु स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी व आशा, आईसीडीएस, जीविका के साथ ही अन्य विभाग को जिला अधिकारी अरविंद कुमार वर्मा के आदेश अनुसार अलर्ट मोड में रहने का निर्देश दिया गया है। ताकि एईएस/जेई के प्रभाव से बच्चों को सुरक्षित किया जा सके। एईएस/जेई से ग्रसित बच्चों को अस्पतालों में 24 घण्टे इमरजेंसी इलाज की सुविधा उपलब्ध होंगी। साथ ही इसके बचाव को लेकर इसके लिए बड़े व्यापक पैमाने पर प्रचार प्रसार की आवश्यकता है जिसके लिए आज आईसी मटेरियल (हैंडबिल पंपलेट )का भी वितरण किया गया है । वही 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस के उपलक्ष में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा जिसको लेकर कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है

एईएस /जेई नियंत्रण को लेकर उपचार एवं सावधानियां:

डॉक्टर झा ने बताया एईएस /जेई नियंत्रण के लिए अपने बच्चों को तेज धूप से बचाएं, दिन में दोबारा स्नान कराएं, बच्चों को ओआरएस तथा नींबू पानी चीनी का घोल पिलायें, रात में बच्चों को भरपेट खाना खिला कर सुलाएं.

मस्तिष्क ज्वर के लक्षण:

मस्तिष्क ज्वर के लक्षण सिरदर्द, तेज बुखार आना 5-7 दिनों से ज्यादा ना हो, आर्थिक चेतना एवं मरीज में पहचानने की क्षमता नहीं होना, भ्रम की स्थिति होना बच्चे का बेहोश हो जाना, शरीर में चमकी होना अथवा हाथ पैर में थरथराहट होना, पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मार देना तथा हाथ पैर का अकड़ जाना, बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक संतुलन ठीक नहीं होना है.

क्या है मलेरिया:

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ विनोद कुमार झा ने बताया मलेरिया प्लाजमोडियम नामक परजीवी से संक्रमित मादा एनोफिलिज मच्छर के काटने से होता है। मलेरिया एक प्रकार का बुखार है जो किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है। इसमें कंपकंपी के साथ 103 से लेकर 105 डिग्री तक बुखार होता है। कुछ घंटों के बाद पसीने के साथ बुखार उतर जाता है, लेकिन बुखार आते-जाते रहता है। फेलसीपेरम मलेरिया (दिमारी मलेरिया) की अवस्था में तेज बुखार होता है। खून की कमी हो जाती है। बुखार दिमाग पर चढ़ जाता है। फेफड़े में सूजन हो जाती है। पीलिया एवं गुर्दे की खराबी फेलसीपेरम मलेरिया की मुख्य पहचान है।

सरकारी अस्पतालों में जांच और इलाज की निशुल्क व्यवस्थाः

वेक्टर नियंत्रण पदाधिकारी राकेश कुमार रंजन ने बताया मलेरिया बुखार होने पर पीड़ित व्यक्ति को नजदीकी सरकारी अस्पताल जाना चाहिए। खून की जांच में मलेरिया निकलने पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवा लेनी चाहिए। सरकारी अस्पतालों में इसकी निःशुल्क जांच और इलाज की व्यवस्था है। मलेरिया फैलाने वाला मच्छर किसी स्थान पर ठहरे हुए साफ पानी और धीमी गति से बहने वाली नालियों में अंडे देती है और वहां पर पनपती है।