-आईसीडीएस डीपीओ एवं सदर अस्पताल उपाधीक्षक ने की पोषण परामर्श केंद्र की शुरुआत, लगाए गए कई तरह के पोषण स्टॉल।

#MNN@24X7 -कुपोषण छोड़ पोषण की ओर – थामें क्षेत्रीय भोजन की डोर

समस्तीपुर, 16 सितंबर। जिलेवासियों को पोषण की सही जानकारी देने और उन्हें पोषण के प्रति जागरूक करने के लिए आईसीडीएस द्वारा पूरे सितंबर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। इस दौरान प्रखंड से लेकर ग्रामीण स्तर तक विभिन्न तरह की गतिविधियों का आयोजन कर लोगों को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए आईसीडीएस व स्वास्थ्य विभाग की ओर से कई महत्वपूर्ण योजनाएं चलायी जा रही हैं।

इसी क्रम में शुक्रवार को जिले के सदर अस्पताल में आईसीडीएस डीपीओ अलका आम्रपाली एवं सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ गिरीश कुमार के द्वारा पोषण परामर्श केंद्र की शुरुआत की गयी। डीपीओ ने बताया कि बच्चों में दुबलापन तथा महिलाओं एवं बच्चों में एनीमिया हमारे लिए चुनौती है । इसमें सुधार लाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।पोषण माह एक बेहतर अवसर है जब हम सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को पोषण पर जागरूक कर सकते। साथ ही एनीमिया की समस्या को कम करने के लिहाज से उचित पोषण का विशेष महत्व है।

पोषण माह के दौरान लोगों को पोषण संबंधी जानकारी देने के लिए जिले के अलग अलग क्षेत्रों में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करते हुए पोषण माह की शुरुआत की गई है। उद्घाटन समारोह में केयर इंडिया के डीटीओ ऑन अभिकल्प मिश्रा, केयर इंडिया के डीपीओ राकेश मिश्रा, केयर इंडिया की डीपीएचओ श्वेता एवं सदर अस्पताल प्रबंधक विश्वजीत रामानंद एवं महिला पर्यवेक्षिका सेविका आदि उपस्थित रही।

पोषण के 5 सूत्र-

पोषण परामर्श केंद्र में आईसीडीएस डीपीओ अलका आम्रपाली ने बताया कि सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों में कुपोषण को दूर करने के लिए पोषण के पांच सूत्र तैयार किये गये हैं। पहला सुनहरा 1000 दिन, डायरिया प्रबंधन, पौष्टिक आहार, स्वच्छता एंव साफ-सफाई, एनीमिया प्रबंधन शामिल हैं। इन पांच सूत्रों से कुपोषण पर लगाम लगाने की तैयारी की गयी है। जिले के सभी प्रखंडों के आंगनबाड़ी केंद्रों में रंगोली बनाकर, पोषण वाटिका तथा रैली के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

इस दौरान कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए आंगनबाड़ी केन्द्र स्तर पर विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करना है। उन्होंने बताया कि पोषण माह का मुख्य उद्देश्य देश के बच्चों, किशोरों एवं महिलाओं को कुपोषण मुक्त, स्वस्थ और मजबूत बनाना है। इसके लिए आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा लोगों को सही पोषण के लिए जागरूक करने के साथ ही गर्भावस्था में और बच्चों का ऊपरी आहार, खानपान के प्रति सजग होने, शिशु जनित रोगों से मुक्ति के लिए सही जानकारी दी जा रही है।

जिला पोषण परामर्श केंद्र की शुरुआत :

कुपोषण दूर करने की कवायद तेज:

केयर इंडिया के डीटीओ ऑन अभिकल्प मिश्रा ने बताया कि एसडीजी लक्ष्य 2.2 के अनुसार, सभी प्रकार के कुपोषण को 2030 तक खत्म करना है। इसमें 2025 तक अंतर्राष्ट्रीय सहमति से निर्धारित पांच साल के बच्चों में स्टंटिंग (उम्र के अनुसार कम लंबाई) और वेस्टिंग (लंबाई के अनुसार कम वजन) के लक्ष्य के साथ ही किशोर लड़कियों, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं और बुजुर्गों की पोषण की जरूरतों को हासिल करने का लक्ष्य भी शामिल हैं।

एसडीजी लक्ष्य 3.2 के मुताबिक, 2030 तक नवजातों और पांच साल तक के बच्चों की रोकी जा सकने वाली मौतों पर लगाम लगाना है। उन्होंने बताया कि जन्म लेने के एक घंटे बाद ही शिशु को स्तनपान करवाना अनिवार्य है । छह महीने तक विशेष स्तनपान और उसे दो साल तक बरकरार रखना, छह महीने के बाद शिशु को ठोस आहार देना और उम्र बढ़ने के साथ-साथ बच्चों को विविधतापूर्ण भोजन भी दिया जाना चाहिए ताकि बढ़ती उम्र में उसे जरूरी पोषक तत्व मिल सके।