प्रधानाचार्य की अध्यक्षता में आयोजित संक्षिप्त कार्यक्रम में डा चौरसिया, डा महानारायण, रामदेव राय, डा अखिलेश एवं डा आलोक ने रखे विचार।
व्यक्ति की पहचान समाज से होती है और प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व है कि वह अपने समाज के विकास के लिए सार्थक कार्य करें- डा अनिल।
“अमात- कथामृत” पुस्तक दलितों, पिछड़ों तथा हाशिए पर स्थित लोगों के कल्याण तथा समाज के सर्वांगीण विकास में होगा सहायक सिद्ध- डा चौरसिया।
#MNN@24X7 सी एम कॉलेज, दरभंगा के प्रधानाचार्य डा अनिल कुमार मंडल की अध्यक्षता में आयोजित एक संक्षिप्त कार्यक्रम में अवकाश प्राप्त प्रधानाध्यापक रामदेव राय तथा सी एम कॉलेज के इतिहास विभाग के सहायक प्राध्यापक डा अखिलेश कुमार ‘विभु’ लिखित “अमात- कथामृत” पुस्तक का प्रधानाचार्य कक्ष में विमोचन किया गया, जिसमें पुस्तक समीक्षक के रूप में डा महा नारायण राय, मुख्य वक्ता के रूप में विश्वविद्यालय संस्कृत विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा आर एन चौरसिया तथा लेखक द्वय रामदेव राय एवं डा अखिलेश कुमार ‘विभु’ तथा डा आलोक कुमार राय आदि ने महत्वपूर्ण विचार रखे। वहीं डा आशीष कुमार बरियार, डा आलोक कुमार, ई प्रेरणा कुमारी, रवि कुमार, राजेन्द्र कामती तथा अमरजीत कुमार आदि उपस्थित थे।
अध्यक्षीय संबोधन में प्रधानाचार्य डा अनिल कुमार मंडल ने कहा कि प्रत्येक पुस्तक के लेखन का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य होता है। लेखक द्वय रामदेव राय तथा डा अखिलेश कुमार ‘विभु’ द्वारा लिखित यह पुस्तक सामाजिक अंधविश्वास को तोड़ते हुए विकास की नई दौड़ से समाज को रोशन करेगा, जिसका बेहतर प्रभाव अमात समाज की आने वाली पीढ़ी पर भी पड़ेगा।
प्रधानाचार्य ने कहा कि किसी भी व्यक्ति की पहचान समाज से ही होती है और प्रत्येक व्यक्ति का यह दायित्व है कि वह अपने समाज के विकास के लिए सार्थक कार्य करें। उन्होंने लेखक द्वय को पुस्तक प्रकाशन हेतु बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए उनसे कहा कि इसके अगले संस्करण में और भी सुधार एवं सूचनाएं उपलब्ध करायी जाए।
राष्ट्रीय अमात ट्रस्ट के चेयरमैन डा महानारायण राय ने अमात समाज की दिशा- दशा पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि इसका ब्राह्मण वर्ग से संबंध रहा है, जिसकी प्राचीन स्थिति काफी अच्छी थी, परंतु किसी साजिश के तहत इस समाज की स्थिति बद से बदतर होती चली गई। वर्तमान दौर शिक्षा एवं संगठन का है, जिस अभियान में इस पुस्तक की काफी महत्ता सिद्ध होगी। प्रस्तुत पुस्तक अमात समाज की स्थिति एवं दिशा- दशा की जानकारी देने में सक्षम एवं शोधोपयोगी ग्रंथ है। लेखकों ने प्रमाणिक रूप से प्राचीन ग्रंथों- शास्त्रों, वेदों, पुराणों व उपनिषदों के प्रमाणों के साथ अपनी बात बताई है।
मुख्य वक्ता के रूप में विश्वविद्यालय संस्कृत विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा आर एन चौरसिया ने कहा कि गत नवंबर 2022 में 254 पृष्ठों की प्रकाशित “अमात- कथामृत” पुस्तक में कुल 15 अध्याय हैं, जिनमें वर्ण विधान, वर्णों के धर्म- कर्म व अधिकार, जाति व उपजाति की उत्पत्ति एवं विकास, अमात्य सचिव एवं मंत्री, अमात्यों की मूल जाति, अमात्य उत्कर्ष, अमात समाज के कतिपय व्यक्तियों के व्यक्तित्व व कृतित्व एवं दिवंगत समाजसेवियों, समर्पित समाजसेवियों और उनके विचार, जिलाबार जनसंख्या तथा उनके सरनेम आदि का विस्तार से वर्णन कर उपयोग सूचनाएं दी गई हैं।
उन्होंने कहा कि अमात- कथामृत पुस्तक दलितों, पिछड़ों तथा हाशिए पर स्थित सभी लोगों के कल्याण तथा समाज के सर्वांगीण विकास में सहायक सिद्ध होगा।
महंथ राजेश्वर गिरी प्लस टू उच्च विद्यालय, अंधराठाढ़ी, मधुबनी के पूर्व प्रधानाध्यापक एवं पुस्तक के लेखक रामदेव राय ने कहा कि अपने समाज के ऊपर पुस्तक लेखन की मेरी बचपन से ही इच्छा रही थी। मैंने समाज में प्रचलित अंधविश्वास एवं जातिगत भेदभाव को महसूस कर उक्त पुस्तक लेखन का निर्णय किया, ताकि अमात समाज के लोग भी अपने ऊपर गर्व करते हुए विकास की मुख्यधारा में आ सके। पुस्तक लेखन काफी श्रम साध्य था, परंतु प्राचीन सामाजिक एवं धार्मिक ग्रंथों, अनेक सुधि जनों, प्रकाशित पुस्तकों एवं पत्रिकाओं से काफी मदद मिली थी।
अतिथियों का स्वागत करते हुए सी एम कॉलेज के इतिहास विभाग के सहायक प्राध्यापक एवं पुस्तक के द्वितीय लेखक डा अखिलेश कुमार ‘विभु’ ने कहा कि इस पुस्तक में अमात के उद्भव विकास के साथ प्राचीन व आधुनिक काल में उनकी स्थिति आदि का विस्तार से वर्णन किया गया है। यह ग्रंथ प्रमाणिक है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए भी मार्गदर्शन हेतु प्रकाश स्तंभ सदृश्य होगा। वहीं धन्यवाद ज्ञापन करते हुए महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के सहायक प्राध्यापक डा आलोक कुमार राय ने कहा कि आज अमात समाज अपनी पहचान की दौड़ में है। समूह से किसी भी व्यक्ति की पहचान होती है। यदि हम अपने- अपने समाज का विकास करते हैं तो राष्ट्र का विकास स्वत: हो जाएगा।