#MNN@24X7 लखनऊ। देशभर में आज करवा चौथ का त्योहार मनाया जा रहा है।विवाहित महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन के लिए पूरे दिन बिना कुछ खाए-पीए व्रत रहती हैं।इसके बाद रात में चांद दिखाई देने के बाद व्रत खत्म होता है,लेकिन उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में एक ऐसा गांव है,जहां पर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत नही रखती हैं,क्योंकि इस गांव को किसी का श्राप लगा हुआ है।

मांट तहसील में है ये अनोखा गांव।

मथुरा जिले की मांट तहसील क्षेत्र के सुरीर कस्बे में महिलाएं करवा चौथ पर कोई भी साज श्रृंगार नहीं करती हैं।अन्य जगहों की तरह महिलाएं यहां पर त्योहार की तैयारी भी नहीं करती हैं।इस गांव में डेढ़ सौ वर्ष से महिलाएं इसी तरह बिना करवा चौथ व्रत के रहती हैं।चाहे नवविवाहिता हो या 50 वर्ष की बुजुर्ग महिला सभी बिना सांज श्रृंगार और बिना व्रत के आज के दिन रहती हैं।हालांकि यहां की महिलाएं क्षेत्र में बने छोटे से सती मंदिर में पूजा करती हैं और उनसे अपने पति की लंबी उम्र की दुआ मांगती हैं।

जानें क्या है व्रत न रखने के पीछे की कहानी।

कस्बा सुरीर में करवा चौथ क्यों नहीं मनाई जाती है।जब इस बारे में क्षेत्र के कुछ बुजुर्ग लोगों से पता किया गया तो उन्होंने बताया कि लगभग डेढ़ सौ साल पहले राम नगला का एक ब्राम्हण युवक अपनी पत्नी को ससुराल से भैंसा गाड़ी पर विदा कराकर सुरीर कस्बे से निकल रहा था।उसी दौरान कस्बे के कुछ लोग वहां पहुंचे और उसके भैंसे को अपना बताने लगे। जिसके बाद दोनों पक्षों में विवाद हुआ और जमकर लाठी-डंडे चले।

इस विवाद में युवक की मौके पर ही मौत हो गई।अपने पति की मौत के बाद नव विवाहित महिला ने यहां श्राप दिया कि अगर यहां कोई सुहागिन करवा चौथ का व्रत रखेगी तो वह भी उसकी तरह विधवा हो जाएगी।जिसके बाद वह सती हो गई।बताया जाता है कि इस घटना के बाद गांव में अनहोनी शुरू होने लग गई।यही नहीं कई नव विवाहित महिलाएं विधवा हो गईं। ये सब देखकर गांव के बुजुर्गों ने भी इसे श्राप मान लिया।इसी लिए यहां ना तो महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखती हैं और ना ही श्रृंगार करती हैं।सिर्फ करवा चौथ का व्रत ही नहीं बल्कि महिलाएं यहां अहोई अष्टमी का व्रत भी नहीं करती हैं।

इच्छाओं पर भारी पड़ता है श्राप का डर।

कहा जाता है कि करवा चौथ का व्रत नहीं रखने की परंपरा काफी समय से चली आ रही है।जानकारी के अनुसार‌ कई महिलाएं करवा चौथ मनाने का श्राप झेल चुकी हैं।व्रत रखने पर उनके सुहाग उजड़ गए।यही वजह है कि गांव में आज तक डर का माहौल बना हुआ है।किसी ने इस परंपरा को तोड़ने की हिम्मत नहीं की।आज भी महिलाएं करवा चौथ के दिन आम दिनों की तरह अपना कामकाज करती हैं और कोई खास साज श्रृंगार भी नहीं करती हैं, लेकिन उनके मन में कहीं न कहीं करवा चौथ का त्योहार मनाने की इच्छा रहती है,लेकिन उस युवक की पत्नी के श्राप का डर उनके अंदर कहीं न कहीं बसा हुआ है।

(सौ स्वराज सवेरा)