दूध पिलाने वाली महिलाओं को समुचित आहार दिया जाना अति आवश्यक- डॉ सीमा प्रसाद
 
डीएमसीएच के मेडिसिन विभाग में मदर्स एब्सलूट अफेक्शन कार्यक्रम के तहत कार्यशाला का आयोजन
 
दरभंगा, 7 जून ।  दरभंगा चिकित्सा महाविद्यालय के स्त्री रोग एवं प्रसूति विभाग में मंगलवार को यूनिसेफ और नालंदा मेडिकल कॉलेज के पोषण केंद्र के सौजन्य से मां (मदर्स एब्सलूट अफेक्शन) कार्यक्रम के तहत एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में दरभंगा मेडिकल कॉलेज की 26 नर्सिंग स्टाफ ने भाग लिया।

कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ सीमा प्रसाद ने कहा की बच्चों का पोषण और उनके विकास के लिए आवश्यक है कि इसके लिए न सिर्फ गर्भवती महिलाओं को समुचित आहार देने की व्यवस्था करनी है, बल्कि जन्म के तुरंत बाद बच्चे को मां की दूध पिलानी है। बताया कि बच्चों को 6 माह के बाद मां के दूध के साथ घर का पौष्टिक आहार भी देना है। साथ ही उन्हें मां का दूध 2 साल या उससे ज्यादा पिलाती है। दूध पिलाने वाली महिलाओं को समुचित आहार दिया जाना अति आवश्यक है।

डॉ माया शंकर प्रसाद ने बताया कि गर्भवती महिला को गर्भावस्था के तीसरे- चौथे महीने में ही स्तन में दूध आ जाता है। अतः जन्म के समय दूध नहीं उतरना एक मिथ है। आवश्यकता सिर्फ बच्चे को तुरंत छाती लगाने की है, जिससे कि दूध का सतत प्रवाह जारी रहे। प्रशिक्षक के रूप में यूनिसेफ के डॉ राघवेंद्र कुमार एवं फैयाज अहमद के साथ शिशु रोग विभाग के डॉ ओम प्रकाश ने भाग लिया।

कार्यक्रम में ऑडियो वीडियो के माध्यम से स्तनपान और 2 साल के नीचे के बच्चों के आहार पर आई वाईसीएफ के विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी  गई। प्रशिक्षणार्थियों में पुतुल, माला, रेखा, आदि शामिल हुई।समापन सत्र में डॉ ओमप्रकाश ने सभी प्रशिक्षणार्थियों से संकल्प लेने को कहा कि वह मरीजों को दाइओं के भरोसे नहीं छोड़ेंगी और सभी प्रसूताओं को आई वाई सी एफ (जन्म के तुरंत बाद से ही छह मास की उम्र तक सिर्फ और संपूर्ण स्तनपान एवं 6 माह के बाद 2 साल के बच्चों को मां के दूध के साथ घर का भोजन) का लाभ देना सुनिश्चित करेंगे।
 
सांस की गति को जांचना जरूरी

डॉ ओम प्रकाश ने बताया कि जैसे ही बच्चा जन्म लेता है, डॉक्टर उसके मुंह और नाक से म्यूकस और एमनियोटिक फ्लूड को साफ करने के लिए सक्शन करते हैं, जिससे बच्चा खुद से सांस लेना शुरू कर सके। जन्म के एक मिनट और पांच मिनट के बाद सांसों की गति मापी जाती है।

मौके पर प्रशिक्षण देते हुए डॉ अशोक कुमार ने बताया जन्म के एक घंटे बाद डॉक्टर शिशु के सांस की दर, तापमान, हृदय गति और मसल्स मूवमेंट के अलावा उसके रिएक्शन, बाई बर्थ डिजीज और जॉन्डिस की भी जांच करते हैं। जन्म के 24 घंटे के भीतर शिशु को यूरिन और स्टूल जरूर डिस्चार्ज करना चाहिए।अगर इसमें जरा भी देर हो या फिर उसके यूरिन या स्टूल में गड़बड़ी दिखाई दे तो इस बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं.  
 
पहला आहार मां का दूध

प्रतिभागियों को जानकारी देते हुए प्रशिक्षक ने बताया बच्चे का सबसे पहला भोजन, प्रसव के बाद मां का पहला दूध होता है।यह थोड़ा-सा चिपचिपा और पीले रंग का होता है।मां के पहले दूध को कोलोस्ट्रम कहते हैं। इसमें कई एंटीबायोटिक्स होते हैं, जो बीमारियों से बच्चे को बचाते और बच्चे  की रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने में सहायता कर उसे विभिन्न इंफेक्शन से बचाते हैं। बताया भरपूर मां का दूध नवजात शिशु के लिए एक सर्वोत्तम आहार माना जाता है।