#MNN@24X7 गप्प आई सँ 30-35 बरख पुरान अछि मुदा अछि बेस चोटगर। हमरा ओहिठाम एकटा भिक्षार्थी भिक्षाटन लेल आयल. … लगभग १५ बरखक वयस छल हेतै।
देखऽ – सुनऽ मे खूब सुन्नर।
शील स्वभाव केर धनी बुझना जाइत छल।ओकर संस्कार देखि मोनमे सहजहिं प्रश्न ठाढ भेल जे ई भिक्षावृत्ति मे किएक अछि। कोन परिवार सँ अछि, कयक भाइ बहीन अछि ?
ओकरा सँ इएह प्रश्न कयलो गेलै।
ओकर उत्तर सूनि हम सभ स्तब्ध भऽ कऽ रहि गेलहुँ।
ओ कहलक जे हम दिक्कतसँ दू भाई छी। दू तऽ दू होई छै फेर ई दिक्कत किएक?
हँ इएह हमर सभक दोसर प्रश्न छल।
ओ कहलक जे हमर पिताक स्वर्गवास भऽ गेलनि किछु दिन पहिने मुदा मुइलासँ पूर्व बरौनी टीसनक यार्डमे हुनका एकटा बच्चा कनैत भेटलनि।कपड़ा मे लपेटल नवजात नेनाक मायामे पड़ि ओ ओकरा अपन घर आनि लेलनि।
आब हम दू भाई भऽ गेल छलहुँ। चारि पाँच बरख सभ किछु ठीक ठाक रहल मुदा अनचोकेँ हमर पिता हमरा छोड़ि परलोक गमन कऽ गेला।
आब परिवार केर पालन पोषनक जिम्मेवारी हमरे पर आबि गेल अछि।असगर रहितहुँ तऽ कतहु अपन बेबस्था क लितहुँ मुदा हमर माथ पर अपन ओहि भाइकेर सेहो जिम्मेदारी अछि।
आ ओहि जिम्मेदारीक निर्वहन मे बड़ दिक्कत होइत अछि तैं हम कहलहुँ जे हम दिक्कतसँ दू भाई छी।
सभ क्यो ओकर उत्तर सूनि निरूत्तर भऽ कऽ रहि गेल रही।
कथा-राकेश चन्द्र नंदन