दरभंगा। आज दिनांक 21 जुलाई 2022 के 11:00 बजे से ल ना मिथिला विश्वविद्यालय के विश्वविद्यालय रसायन विज्ञान विभाग एवं भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार प्रबंधन, नागपुर के संयुक्त तत्वाधान में बौद्धिक संपदा जागरूकता अभियान के तहत एक ऑनलाइन सेमिनार का आयोजन किया गया ।

आयोजन के प्रारंभ में रसायन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 प्रेम मोहन मिश्रा ने मुख्यवक्ता एवं प्रतिभागियो का स्वागत करते हुए विषय प्रवर्तन किया।

उन्होंने कहा कि मानव के पास जो भौतिक संपदा है जैसे जमीन ,मकान रुपए पैसे या अन्य संपत्तियाँ उसका उसके पास कब्जा तथा दस्तावेज रहता है। परंतु उनके पास जो दिमाग की संपत्ति होती है जिसके द्वारा वे नए नए सृजन करते हैं उसको सुरक्षित रखने का अधिकार बौद्धिक संपदा अधिकार के द्वारा प्राप्त होता है ।आदमी अपने दिमाग से, श्रम से या धन खर्च कर जो नवसृजन करता है उससे होने वाला लाभ पर उसका अधिकार होना चाहिए, उससे उसे आर्थिक लाभ होना चाहिए यही इस कानून का मुख्य उद्देश्य है।

दुर्भाग्य से हमारे इलाके के लोग इसकी महत्ता को नहीं समझ पाते हैं और इसका लाभ नहीं उठा पाते हैं। इसीलिए छात्रों ,प्राध्यापकों एवं अन्य लोगों को अपनी बौद्धिक संपदा के अधिकार की जानकारी देने के उद्देश्य से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है ।

इस सेमिनार की मुख्य वक्ता डॉ0 पूजा विशाल मौलिकर ने बौद्धिक संपदा के विभिन्न आयामों की विस्तृत जानकारी दी ।उन्होंने कहा कि सामान्यतया बौद्धिक संपदा के तहत दो प्रकार की सुविधाएं आती हैं ।

1.शुद्ध बौद्धिक अधिकार जिसे कॉपीराइट कहते हैं। जिसके अधीन साहित्यिक, कलात्मक एवं वैज्ञानिक आलेख पर एकाधिकार प्राप्त होता है।
2. औद्योगिक बौद्धिक अधिकार के तहत व्यापार चिन्ह,(ट्रेडमार्क )सेवा चिन्ह जीआई टैग ,ट्रेड सेक्रेट आदि आते हैं ।उन्होंने वैज्ञानिक खोज के लिए पेटेंट की विस्तार से जानकारी दी।भारत में बौद्धिक संपदा अधिनियम 1957 में बना जिसमें 2002 तक कुल 9 बार सुधार किए गए हैं।

उन्होंने बौद्धिक संपदा के अधिकार को परिभाषित करते हुए उसके आवश्यकताओं की चर्चा की। इसके विभिन्न श्रेणियों का वर्णन करते हुए उसके संगठन पर प्रकाश डाला तथा इससे व्यक्तियों, संस्थाओं एवं देश- दुनिया का होने वाले लाभों की जानकारी दी। किस प्रकार के कामों पर पेटेंट मिल सकता है ,पेटेंट के आवेदन का तरीका ,उसके लिए आवश्यक कागजात तथा जमा किए जाने वाले शुल्क आदि की विस्तृत जानकारी दी ।अंत में प्रश्नोत्तरी सत्र में मुख्य वक्ता ने प्रतिभागियों के द्वारा पूछे गए सवालों का सटीक जवाब देकर उन्हें संतुष्ट किया ।

विभागीय शिक्षक डॉक्टर सीमांत श्रीवास्तव के धन्यवाद ज्ञापन से आयोजन समाप्त किया गया ।पूरे देश के विभिन्न भागों के लगभग 300 लोगों ने निबंधन कराया था जिसमें से लगभग 200 प्रतिभागी उपस्थित रहे । विभाग के छात्र छात्राओं के अतिरिक्त प्रो समद अंसारी,प्रो कुशेश्वर यादव, प्रो संजय कुमार चौधरी,डा सीमांत श्रीवास्तव,डा विकास कुमार सोनू तथा डा अभिषेक राय उपस्थित थे।सभी प्रतिभागियों को फीडबैक फॉर्म भरने पर भारत सरकार की ओर से प्रमाण पत्र दिया जाएगा।