#MNN@24X7 मेरठ। देश में त्योहारों का खास महत्व है।लोग बड़ी बेसब्री से त्योहारों के आने इंतजार करते हैं।लोग त्योहार वाले दिन नए-नए कपड़े पहनकर जमकर खुशियां मनाते हैं और मिठाई खिलाते हैं।इनमें से एक त्योहार आज दशहरा है।लोग दशहरा की खुशियां मनाने में लगे हैं।
उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में गंगोल गांव है।जहां दशहरे के नाम से ही गांव में मातम छा जाता है।दशहरा के दिन घरों में चूल्हे नहीं जलते।असत्य पर सत्य की जीत का पर्व दशहरा देश-विदेश में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इस गांव में सैकड़ों वर्षों से दशहरा नहीं मनाया गया। इसके पीछे का कारण भी सैकड़ों वर्ष पूर्व इतिहास में ही है।
आइए जानें दशहरा न मनाने कारण।
मेरठ से तीस किलोमीटर दूर गंगोल गांव की ऐसी कहानी है कि यहां दशहरा त्योहार का नाम सुनते ही सबकी हवाईयां उड़ जाती हैं। लगभग अट्ठारह हजार की आबादी वाला यह गांव दशहरा क्यों नहीं मनाता।लोगों ने जब इस राज से पर्दा उठाया तो हैरान करने वाली सच्चाई सामने आई।इस गांव में दशहरा न मनाने के पीछे ऐसा कारण है कि आप जानकर दंग रह जाएंगे।
यहां के लोगों का कहना है कि जब मेरठ में क्रान्ति की ज्वाला फूटी थी।तो इस गांव के लगभग नौ लोगों को दशहरे के दिन ही फांसी दी गई थी।गांव में पीपल का वो पेड़ आज भी मौजूद हैं।जहां इस गांव के नौ लोगों को फांसी दी गई थी।ये बात इस गांव के लोगों इस कदर बैठ गई है कि चाहे वो बच्चा हो या बड़ा, पुरुष हो या महिला दशहरा नहीं मनाता। दशहरा के दिन गांव में किसी घर में चूल्हा नहीं जलता।यहां लोग इस तरीके से शहीदों को नमन करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं।
(सौ स्वराज सवेरा)