स्वस्थ रहने के लिए हमें अपने शरीर के रोगों के प्रति उत्पन्न प्रारंभिक संकेतों को समझकर, तदनुरूप उनका निदान करना आवश्यक- कुलपति।
विश्वविद्यालय वाणिज्य एवं व्यवसाय अध्ययन विभाग में आयोजित कार्डियो एवं गैस्ट्रयो स्वास्थ्य जांच शिविर में 125 से अधिक व्यक्तियों ने कराया स्वास्थ्य परीक्षण।
#MNN@24X7 दरभंगा। किसी भी व्यक्ति को अपनी मृत्यु से सर्वाधिक डर होता है। वैसे मृत्यु का कोई न कोई बहाना अवश्य होता है, जिससे बचने का उपाय उन्हें अवश्य करना चाहिए। आज दवा व इलाज से ज्यादा आवश्यकता रोग के प्रति जागरूकता की है, ताकि बीमारी उत्पन्न ही न हो सके। स्वस्थ रहने के लिए हमें अपने शरीर के रोगों के प्रति उत्पन्न प्रारंभिक संकेतों को शीघ्र समझकर, तदनुरूप उनका निदान करना आवश्यक है। हमें समझ होनी चाहिए कि शरीर जैसे ही बीमारी का संकेत करें, तभी हमें सतर्क हो जाना चाहिए। उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने विश्वविद्यालय स्वास्थ्य केन्द्र तथा स्नातकोत्तर वाणिज्य एवं व्यवसाय अध्ययन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में मेदांता हॉस्पिटल, गुरुग्राम के प्रायोजकत्व में वाणिज्य विभाग के प्रबंधन भवन में आयोजित उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में कही।
कुलपति ने कहा कि आज रोगों एवं उनके इलाजों का स्वरूप बदल गया है। हम जिसका नोटिस लेते हैं, वही हमें दिखता है। यूं बढ़ती स्वास्थ्य सुविधाओं एवं जागरूकता के कारण भारत में औसत जीवनकाल बढ़ा है। उन्होंने चिकित्सा टीम को धन्यवाद देते हुए कहा कि आज चिकित्सा के क्षेत्र में मेदांता हॉस्पिटल एक ब्रांड है। हम चाहें शिक्षण पेशा में हो या चिकित्सा पेशा में हमेशा बेहतर बनने की लगातार कोशिश करनी चाहिए।
स्नातकोत्तर वाणिज्य विभागाध्यक्ष प्रो अजीत कुमार सिंह ने कहा कि कुलपति के मधुर मुस्कानों में शिक्षण एवं प्रबंधन के गुणों का दर्शन होता है। वर्तमान प्रदूषण युक्त वातावरण, खानपान एवं आराम तलबी जीवन पद्धति के कारण बीमारियों का बढ़ना स्वाभाविक है। यदि हमारे विचार सकारात्मक हो तथा जीवन के हर क्षेत्र में स्वच्छता का वातावरण हो तो स्वस्थ रहना आसान होगा। उन्होंने स्वास्थ्य को मूल धन बताते हुए इलाज से बेहतर रोगों का बचाव बताया।
मेदांता हॉस्पिटल के गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉ विमल कुमार साहू ने कहा कि यदि रोगों का प्रारंभिक काल में ही इलाज कराया जाए तो वे आसानी से ठीक हो सकते हैं, अन्यथा वे हमारे लिए गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं, जिनका इलाज कठिन एवं महंगा होगा। उन्होंने पेट से जुड़ी अनेक बीमारियों की चर्चा करते हुए कहा कि हमें इनको कभी भी इग्नोर नहीं करना चाहिए।
मेदांता हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट डा शांतनु ने बताया कि हर्ट से जुड़ी हुई बीमारियां प्रायः पहले बुजुर्गों को होती थी, परंतु पिछले कुछ वर्षों में, खासकर कोविड-19 के बाद युवाओं में भी यह समस्या तेजी से बढ़ी है। तनावपूर्ण जीवन एवं श्रम रहित जीवन शैली के कारण गंभीर रोग उत्पन्न हो रहे हैं। हम अधिक शारीरिक श्रम एवं मानसिक शांति को अपनाकर गंभीर रोगों से बच सकते हैं। शिविर में मेदांता हॉस्पिटल के मार्केटिंग मैनेजर शिवकांत व सूर्यदेव, रजनी अधिकारी, प्रिया सिंह, मो शोएब, अमित व ओम सिंह आदि ने सराहनीय योगदान किया।
आज के चिकित्सा शिविर में 125 से अधिक विभागाध्यक्षों, प्राध्यापकों, पदाधिकारियों, शिक्षकेतर कर्मियों, अवकाश प्राप्त कर्मियों एवं छात्र- छात्राओं ने अपना बीपी, शुगर, ईसीजी व ब्रेथोमीटर आदि की निःशुल्क जांच कराकर उचित परामर्श प्राप्त किया। आगत अतिथियों का स्वागत पाग, चादर एवं बुके से किया गया, जबकि कार्यक्रम का प्रारंभ कुलपति प्रोफेसर एस पी सिंह द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया।
उद्घाटन सत्र में प्रो जितेन्द्र नारायण, प्रो ए के बच्चन, प्रो पुनीता झा, प्रो ध्रुव कुमार, प्रो रमेश झा, प्रो दमन झा, प्रो ए के मेहता, प्रो मुनेश्वर यादव, प्रो एच के सिंह, डा दिवाकर झा, प्रो प्रेम मोहन मिश्रा, डा महेश प्रसाद सिन्हा, डा सोनी सिंह, डा दिव्या रानी हंसदा, डा विनोद बैठा, डा सुरेश पासवान, डा कामेश्वर पासवान, डा आर एन चौरसिया, डा नैयर आजम, प्रो राजेन्द्र साह, डा आनंद प्रकाश गुप्ता, डा यू एन तिवारी, डा हरेराम मंडल, प्रो विजय कुमार यादव, प्रो प्रभाषचन्द्र मिश्र आदि सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।
विभागीय शिक्षिका डा निर्मला कुशवाहा के संचालन में आयोजित उद्घाटन सत्र में अतिथि स्वागत विश्वविद्यालय के चिकित्सा पदाधिकारी सह शिविर के संयोजक डा गीतेन्द्र ठाकुर ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डा एस के ठाकुर ने किया।