MNN24X7 15 अप्रैल, वैशाली, जन सुराज पदयात्रा के 194वें दिन की शुरुआत वैशाली प्रखंड अंतर्गत मोहम्मदपुर पंचायत स्थित पदयात्रा शिविर में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। इसके बाद प्रशांत किशोर सैकड़ों पदयात्रियों के साथ मोहम्मदपुर पंचायत से पदयात्रा के लिए निकले। आज जन सुराज पदयात्रा रहीमपुर, मदरना होते हुए वैशाली प्रखंड के चिंतामनीपुर पंचायत स्थित चिंतामनीपुर हाई स्कूल मैदान में रात्रि विश्राम के लिए पहुंची। आज प्रशांत किशोर वैशाली के अलग-अलग गांवों में पदयात्रा के माध्यम से जनता के बीच गए। उनकी स्थानीय समस्याओं को समझ कर उसका संकलन कर उसके समाधान के लिए ब्लू प्रिंट तैयार करने की बात कही। दिनभर की पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर ने 3 आमसभाओं को संबोधित किया और 4 पंचायत के 9 गांवों से गुजरते हुए 10.8 किमी की पदयात्रा तय की।
जबतक बिहार में लोगों को शिक्षा, रोज़गार और भूमि नहीं मिलेगा, तब तक बिहार से गरीबी दूरी नहीं हो सकती: प्रशांत किशोर।
जन सुराज पदयात्रा के दौरान वैशाली में आमसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार लोग 8 से 10 घंटे मेहनत कर रहे हैं। बिहार के लोग अपने समझ के हिसाब से सही लोगों को चुनकर सरकार भी बना रहे हैं लेकिन इसके बावजूद पिछले 40 से 50 सालों से यही दशा है कि आपके और आपके बच्चों की स्थिति नहीं सुधर रही है और न ही गरीबी दूर हो रही है। विद्वानों ने पूरी दुनिया में गरीबी से निकलने के लिए केवल 3 ही उपाय बताए हैं पहला रास्ता है पढ़ाई, यदि बच्चा ठीक से पढ़ लेता है तो पढ़ लिखकर वो अपना जीवन सुधार सकता है, दूसरा रास्ता है खेती, यदि अपने पढ़ाई नहीं की है और आपके पास जमीन है तो खेती करके भी आप अपनी स्थिति सुधार सकते हैं। तीसरा रास्ता है पूंजी, यदि आपके पास शिक्षा नहीं है, जमीन नहीं है, लेकिन आपके पास अगर पूंजी है तो आप उससे अपना व्यापार कर सकते हैं, यदि आपके पास ये तीनों नहीं हैं तो आप गरीबी से दूर नहीं हो सकते।
वोट देना सीखिए, नहीं तो जिस बदहाली में आपका जीवन गुजर रहा है, उसी बदहाली में आपके बच्चों का भी जीवन गुजरेगा: प्रशांत किशोर
जन सुराज पदयात्रा के दौरान वैशाली में आमसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि आपके दिमाग में जाति और धर्म का इतना नशा घुस गया है कि आपको अपने बच्चों का दर्द दिख नहीं रहा है। आपका बच्चा पढ़ लिखकर घर में बेरोजगार बैठा है, आपके बच्चे के शरीर पर कपड़ा नहीं है पैरों में चप्पल नहीं है लेकिन इसके बावजूद आपको अपने बच्चों का दर्द नहीं दिख रहा है। आपको यहाँ से भारत- पाकिस्तान, चीन, पुलवामा दिख रहा है। इसलिए पदयात्रा कर रहे हैं और आपको समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि आपका और मेरा जीवन आधे से ज्यादा तो बीत गया है। अब कम से कम अपने बच्चों के लिए वोट दीजिए और बच्चों की पढ़ाई और रोजगार पर वोट दीजिए नहीं तो आपके बच्चों का भविष्य नहीं सुधरेगा। आपको वोट की कीमत को समझना पड़ेगा। आपके वोट का कीमत 5 किलो अनाज, नाली-गली नहीं हो सकता। बिहार के लोगों की वोट की कीमत है, आपके बच्चों का भविष्य, यदि आप अपने बच्चों के भविष्य के नाम पर वोट नहीं देंगे तो जिस बदहाली में आपका जीवन आज गुजरा है, उसी बदहाली में आपके बच्चों का जीवन गुजरेगा।