-प्रमाण पत्रों का भी हुआ वितरण
-कई अन्य विषयों पर भी होगी कार्यशाला
#MNN@24X7 दरभंगा, आठ दिनों से जारी संस्कृत संभाषण कार्यशाला का राजकीय संस्कृत महाविद्यालय पटना में गुरुवार को समापन समारोह आयोजित किया गया। मौके पर उत्कृष्ट छात्रों के बीच पुरस्कार का भी वितरण हुआ। प्रथम स्थान पर गिरिधारी झा, द्वितीय स्थान पर विशाल कुमार तिवारी और तृतीय स्थान पर राणा सुकदेव रहे। साथ ही करीब 50 से अधिक छात्रों को प्रमाण पत्र भी दिया गया।
डॉ ज्योत्स्ना के संयोजकत्व में सम्पन्न कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ मनोज कुमार ने कहा कि संस्कृत के विकास के लिए जो बन सकेगा वो करेंगे। कार्यशाला की यह श्रृंखला अनवरत चलती रहेगी। निकट भविष्य में यहां कंप्यूटर, ज्योतिष, कर्मकांड, वेद, व्याकरण, साहित्य समेत अन्य विषयों पर भी कार्यशाला आयोजित की जाएगी जिसमे पटना जिला के सभी संस्कृत महाविद्यालयों की भागीदारी रहेगी।
वहीं डॉ ज्योत्सना ने कहा कि संस्कृत संपूर्ण भाषा है। इसमें सभी शास्त्र विद्यमान हैं। कहा भी गया है कि जो संस्कृत में नहीं है वो कहीं नहीं है।
कार्यशाला में मुख्य प्रशिक्षक के रूप में संस्कृत संजीवन समाज के महासचिव डॉ मुकेश कुमार ओझा एवं संस्कृत महाविद्यालय , पटनासिटी के डॉ अमलेश वर्मा थे। इस अवसर पर डॉ ओझा ने कहा कि संस्कृत को बोलचाल की भाषा बनाने के लिए आयोजित यह कार्यशाला सराहनीय है। वहीं, ज्योतिषाचार्य डॉ राजनाथ झा ने ज्योतिष कार्यशाला की विस्तृत रूप रेखा की चर्चा की।
उधर दूसरी ओर, पूर्व कुलपति प्रो उमेश शर्मा ने कहा कि संस्कृत बहुत ही सुगम व सरल भाषा है।कार्यशाला के जरिये भी छात्रों को संस्कृत में बोलने व पढ़ने के लिए तैयार करने में आसानी होती है। महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ झा द्वारा किया गया यह प्रयास अनुकरणीय है। कार्यशाला में राजकीय संस्कृत महाविद्यालय पटना के अलावा पटना सिटी संस्कृत महाविद्यालय और धनामठ संस्कृत महाविद्यालय के शिक्षक एवं छात्रों ने भाग लिया।
कार्यक्रम के मौके पर डॉ कृष्णानंद पांडेय, डॉ मधु बाला सिन्हा, डॉ मेधा मिश्र, डॉ शिवानंद शुक्ल, डॉ विवेकानंद पासवान, डॉ रामप्रवेश पासवान, डॉ विवेक कुमार तिवारी, डॉ बिनीता सुप्रिया, डॉ सुजीत सौरव समेत अजय कुमार राय मुख्य रूप से उपस्थित थे।