यौ कक्का कैल्ह स्कूल में मिथिला पर किछू बाज पड़तै। हम की बाजब से किछू फुराए नहि रहल अछि? हम बच्चा कक्का क देखिते बाजलौं.
कनि जा पहिने कन्टिरबा दोकान सं हमर सकरी-कट नेने आब। 10 टका दैत कक्का बजला।
काज अप्पने छल, एहेन काल मैथिल जन संस्कारी बनबा म ओनहियो बड्ड माहिर छैथ तखन त बुझू खून म बसल एहि गुण क हम कोना बिसरितौं।
हम दौरले कन्टिर बाबू क दोकान गेलौं। सकरी कट ल घुरलौं त कक्का दलान पर रेडियो क ओरियाबैत बैसल छलाह।बौआ कक्का क प्रतिदिन भोर-संध्या रेडियो सुनबाक दिनचर्या छैन्ह ।आ यैह कारण ऐछ जे रामचरित मानस सं ल क गाम घर आ देश दुनिया क हाल हुनका बुझले रहैत छलैन्ह।बुढ़ बुढ़ानुस सं ल’क बच्चा धैर सब हिनके तकने फिरैत ऐछ।
आब’ बैस’ – हमरा देखिते कक्का बैज उठलाह।
एखन रेडियो शुरू हेबा म किछु विलम्ब छै। ता धरि आब किछु बुझा देत छिय। ओकर बाद एकटा किताब देब। फेर जं किछु बुझबा’क हुअ त रैत म अबिह’।
हम कुर्सी पर बैसि, कक्का क गप्प आब ध्यान सं सुन लगलौं.आब कक्का चेहरा पर, अपन चिर परिचित गम्भीरता आनैत बजलाह-
सुनह इ भूमि जगत जननी जानकी क जन्मभूमि छैन्ह जिनका लेल भगवान राम कोन रोन बोन’क पात नहि तोरलैन,लंका क पापी राजा रावण सं सेहो लैर गेलाह।ई भूमि कतेको महान राजतंत्र आ गणतंत्र सभक उत्थान आ पतन देखैत ऐब रहल अछि। भांति भांति क जाति सभक निवास स्थान रहल ऐछ आ सभ जाति अपना अपना ढंग सं मैथिल संस्कृति’क विकास म अप्पन योगदान देलैन।धर्म में तर्क कें प्रश्रय एहि क्षेत्र मे गौतम बुद्ध देलैन आ वेद’क अपौरुषेयता पर शंका प्रकट कर बला मखलि गोस्साल आ महावीर सेहो एहि क्षेत्र क अपन प्रधान क्षेत्र बनेलैन.एतहि सं महाकवि विद्यापतिक सुमधुर संगीत जनभाषा’ क माध्यम सँ प्रसारित भेल। उगना महादेव’क आगमन आ गोनू झा क हास्य कथा सं के नै परिचित छी। संगहि भारतीय इतिहास’क राजनीतिक, सामाजिक आ सांस्कृतिक जीवन में मिथिला क भूमिका महत्वबपूर्ण रहल अछि।
हम याचक स्वर म बजलौं – बौआ कक्का अपन मिथिला महान ऐछ एहि म कोनो शंका नै मुदा आब प्रारंभें सं बुझबाक जिझासा जागि गेल। विस्तार स कहू न।
सुनह,कक्का झबैत कहलैथ,एहि भूमि क हेतु प्रयुक्त ‘विदेह’ आ ‘मिथिला’ नाम’क उत्पत्ति पौराणिक अछि। इ भू-भाग अतिपूर्व में आर्य लोकनिक निवास स्थल छल। शतपथ ब्राह्म्णक अनुसार विदेह माधव अपन पुरोहित गौतम रहुगणक संग सर्वप्रथम अग्नि क प्रज्वलित क एहि भूमि क पवित्र केलैन आ तत्पश्चात् बहुतो लोक एत एलाह।फलतः एहि भूमि पर कृषि आ सामाजिक काज प्रारम्भ भ गेल।पौराणिक वंशावली क अनुसारे मनु’क पुत्र निमि एहि यज्ञ भूमि म ऐल छलाह आ हुनके पुत्र मिथि अपन नाम पर मिथिला नामक राज्य के स्थापना केलैन। नगर निर्माण’ क क्षमता रखबाक कारणे ओ जनक नाम सं विख्यात भेलाह। ईहो कहल जैत ऐछ जे मंथन क बाद उत्पन्न भेला क फलस्वरूप हुनकर नाम मिथि राखल गेल छलैन्ह। संगहि पिता’क अशरीरी रहबाक कारणेँ विदेह।
कक्का क इ गप्प सुईन हम चौंक क पुछलौं- अशरीरी आ मंथन सं उत्पन्न क मतलब?
कक्का हमर शंका तुरंत बुईझ गेलाह ओ एक बेर फेर सं बुझबैत कहलैथ-एहिभूमि’के उद्भवक एकटा रोचक कथा विष्णुपुराण मे भेटैत अछि जकर अनुसरण श्रीमद्भागवत कयलक अछि । एहि विवरणक’ अनुसार इक्ष्वाकुलपुत्र निमि सहस्त्रवर्षव्यापी यज्ञ प्रारम्भ कयलनि आ वशिष्ठ के आचार्य वनबा लेल कहलथिन्ह । वशिष्ठ उत्तर देलथि जे ‘अहाँ पाँच सय वर्ष धरि प्रतीक्षा करू,कारण इन्द्र पाँच सय वर्ष धरि चल’ बला यज्ञ प्रारम्भ कयलनि अछि,जाहिमे ओ हमर’हि आचार्य पदक भार देलनि अछि ।’ एहिपर निमि कोनो उत्तर नहि देलथिन आ वशिष्ठ ‘मौनं स्वीकृति लक्षणम्’ मानि ओहि ठाम सँ चलि देलनि। एहि बीच निमि गौतम आ आन आन ऋषि सभके वरण क’के अपन यज्ञ प्रारम्भ कय देलनि । वशिष्ठ शीघ्र यज्ञ समाप्त कराके जखन निमि’क ओतय अयलाह त गौतम आ आन आन ऋषि सभके नियोजित देखि
क्रोधसँ ओ निमि के शाप द’ देलथिन जे ‘अहाँ आब एहि भौतिक शरीर मे नहि रहब। निमि सेहो बदला मे वशिष्ठ के शाप द’देलथिन जकर फलस्वरूप दुनू गोटे अपन भौतिक शरीर त्यागि देलनि । वृहद् विष्णुपुराणक महात्मम्यसं ज्ञात होइत अछि जे गौतम, याज्ञवल्क्य, भृगु, वामदेव, उशित,कण्व, अगस्त्य, भारद्वाज, वाल्मीकि आ आन आन ऋषि लोकनि मिथिला मे स्थित गंगासागर पर एकत्र भेलाह आ ओकर पवित्र जलस मृतक क’ स्नान कराके’ मथलनि । ओहि शरीरसं एकटा भास्वर बालक उत्पन्न कयल गेल जकर नाम ‘मिथि’ राखल गेल ।
तखन फेर….. हम बहुत ध्यान द कक्का क खिस्सा सुनैत बजलौं।
तखन आगू क खिस्सा आब कैल्ह कहब जे कोना रामायण’क अनुसारे सीरध्वज जनक सांकाश्यक राजा क कोना पराजित केलैन आ किया मैथिल लोक महाभारत’ क युद्ध में कौरव दिस सं भाग लेने रहथि।
ई गप्प त हमरा और आश्चर्यचकित क देलक जे मैथिल जन कौरव क संग? मुदा कक्का आब रेडियो खोईल चुकल छैथ। ताहि कारणे गोर लैग विदा हेबाये’म भलमनसताई लागल।
गोर लगै छी कक्का हम बजलौं। कक्का मोन सं आशीष दैत विदा केलनि आ भाषण’क तैयारी करबाक आदेश सेहो द देलनि।
आभार 🙏