पात्र परिचय
1. रवि – एकटा गरीब मुदा मेहनती नेना
2. पिता – मजदूर, ईमानदार आ संघर्षशील
3. माँ – स्नेहमयी, घरेलू काज कर बाली
4. शिक्षक – स्कूल’क गुरुजी
5. अधिकारी – अंत में रवि के नौकरी देनहार।

पहिल दृश्य: (मंच के ऊपर एकटा मैटक घर। माँ मैटक चूल्हा पर रोटी सेंक रहल छथि, पिता फाटल कुर्त्ता में बैसल लकड़ी काटि रहल छथि। ओतहि रवि जमीन पर बैसल फाटल किताब पढि़ रहल अछि।)

पिता: यौ हमर पढ़ुआ बेटा रवि, आबो छोड़ू नऽ किताब .. भरि दिन अहाँ भुखले छी, कनी आराम कऽ लिय।

रवि: किछु क्षण रुकू नऽ बाबू, जौं हम नीक सं पढि़ लेब तखन अहांके रैत दिन एतेक मेहनत नहि कर पड़त।

माँ (मुस्कियैत): भगवान करथु बेटा, अहाँ के ई गप सत् भऽ जाय। हमरा सबहक आशिर्वाद अहाँ के संग अछि।

(दीप के टिमटिमाइत लौ में रवि लगातार प्रतिदिन पढ़ाई कऽ रहल छथि।)

दोसर दृश्य (रवि एखन स्कूल में छथि। हुनकर कपड़ा पुरान धुरान छन्हि, मुदा आँखि में एकटा अजबे चमक अछि।)

गुरु जी : रवि, अहाँ लग तऽ पूरा किताबो नहि अछि। तैयो अहां के लीखल उत्तर सबसं नीक अछि।

रवि: गुरुजी, हमरा लग किताब रहै वा नहि मुदा हम अहाँ के बाजल प्रत्येक वाक्य हम अपन मोन में लिख लैत छी।

(गुरु जी के आंखि नोर सं भरि जाइत अछि।

गुरु जी : बेटा, पढ़ाई में गरीबी कोनो रुकावट नहि होइत अछि। अहां चिन्ता जुनि करू हम अहाँक फीस स्वयं भरि देब।

(गुरु जी के गप्प सुनि रवि के चेहरा पर प्रसन्न्ता के नोर बह लागल।)

तेसर दृश्य (मंच पर शहर के दृश्य। रवि आब पैघ भऽ चुकल छथि। एखन ओ दिन में नौकरी ताकैत छथि आ रातिमे पढै़त छथि।)

रवि (उदास भऽ बैसल छथि):आ माँ के कहैत छथि जे। मेहनत कर बला वाला कहियो हारैत नहि अछि … आजुक दिन अहाँ सबहक एहने भरोस हमरा आगू बढा़ रहल अछि।

(एखन रवि कुरियर के काज करैत अछि, संगहि एकटा चाहक दुकान पर सेहो काज करैत अछि, ओकर बाद शेष समय फेर किताब सबहक बीच बैस रहैत अछि।)

चारिम दृश्य (एखन रवि सरकारी दफ्तर में छथि। मुख्य धिकारी टेबुल के पाछू बैसल रवि दिस ताकैत बजैत छथि।)

अधिकारी: मिस्टर रवि, अहाँ के नीक रिजल्ट, मेहनत आ काजक प्रति ईमानदारी देखिये कऽ ई नौकरी भेटल अछि।

रवि (भावुक भऽ): सर, ई हमर नहि, हमर माता-पिता के जीत छियन्हि।

पांचम दृश्य (मंच पर वैह मैक’क घर आब पक्का भऽ गेल अछि गया। बूढ़ माता-पिता बैसल छथि, रवि सूट में ओतहि हुनके लगीच ठाढ़ भेल अछि।)

माँ: बेटा, आब हमरा सब कए किछु नहि चाही… बस एकहि टा टकटकी छल से अहाँ पास कऽ गेलहुं, यैह हमर सबहक जिनगी के सबसं पैघ सम्पत्ति अछि।

पिता (गर्व सं): जखन अहां पढै़त रही, हमरा विश्वास छल जे एक दिन अहाँ हमर जिनगी म रोशनी अनबे करब।

रवि: अहाँ दुनू गोटे हमरा लेल भगवान’क स्वरूप छी। जीवन में एखन जाहि मुकाम पर छी वा जे किछु छी, सबटा मेहनत अहींक अछि।

(तीनू एक-दोसरा के गरदन सं लगबैत छथि। पृष्ठभूमि में हल्लुक रोशनी,संगीत आ वाचक के स्वर – “मेहनत के फल मीट्ठ होईत अछि।”)

वाचक द्वारा अंतिम संनेश: संघर्ष जीवन की आग है, जो इंसान को सोना बना देती है।