•आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं में से एक है नियमित टीकाकरण
•12 तरह की बीमारियों से बचाव के लिए दिया जाता है टीका

#MNN24X7 मधुबनी,24 मई, नियमित टीकाकरण कार्यक्रम को सुदृढ़ करने तथा इसके लक्ष्य को शत प्रतिशत हासिल करने के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। इसी कड़ी में नियमित टीकाकरण को लेकर मधुबनी मेडिकल कॉलेज में वैक्सीन प्रीवेंटेबल डिजीज (वीपीडी ) को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन स्वास्थ्य विभाग, डब्ल्यूएचओ, तथा मधुबनी मेडिकल कॉलेज के सहयोग से किया गया. कार्यशाला के दौरानड ब्ल्यूएचओ एस एम ओ डॉ अमित मोहिते पीपीटी के माध्यम से ने टीका रोधी बीमारी के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई । उन्होंने बताया कि कौन कौन सी ऐसी बीमारी है जिसे टीकाकरण से दूर किया जा सकता है। इन बीमारियों का लक्षण क्या है। इससे क्या नुकसान हो सकता है, कैसे बचा जा सकता है। साथ ही कौन सा टीका कब, किस तरह और कहां लगाया जाएगा के बारे में जानकारी दी गई.उन्होंने बताया कार्यक्रम अंतर्गत 12 प्रकार की जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण किया जाता है। नियमित टीकाकरण के आच्छादन में गिरावट होने से जानलेवा बीमारियों के संक्रमण बढ़ने की संभावना बनी रहती है। जिससे छूटे हुए बच्चों में वैक्सीन प्रीवेंटबल डिजिज के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.

मिजिल्स-रूबेला से बचाव की दी गई जानकारी :

डब्ल्यूएचओ एस एम ओ डॉ अमित मोहिते ने बताया बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली खसरा और रूबेला जैसी गंभीर बीमारी से निपटने को लिए मिजिल्स-रूबेला (एमआर) का टीका लगाया जा रहा है, जिससे वायरस के दुष्परिणाम से बचा जा सके। पोलियो मुक्त भारत की तरह अब खसरा मुक्त भारत के लिए साल 2023 के लक्ष्य पर काम चल रहा है। खसरा को आम तौर पर छोटी माता के नाम से भी जाना जाता है। यह अत्यधिक संक्रामक होता है। संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से यह बीमारी फैलती है। मिजिल्स- रूबेला गंभीर और जानलेवा बीमारी होती है, लेकिन इसकी रोकथाम टीकाकरण के जरिए की जा सकती है। यह वैक्सीन बच्चों को खसरा, रूबेला रोग से बचाती है।

नियमित टीकाकरण में टीका लगने के बाद होने वाली समस्या (एईएफआई) की रिपोर्टिंग :

एसआरटीएल डब्ल्यूएचओ डॉक्टर शेखावत सिंह भारतीय ने बताया नियमित टीकाकरण में टीका लगने के बाद होने वाली समस्या (एईएफआई) की रिपोर्टिंग के बारे में जानकारी दी गई। सभी एईएफआई केसेज की रिपोर्टिंग करते हुए सीवियर एवं सीरियस केसेज से संबंधित दस्तावेज पोर्टल पर अपलोड किया जाना सुनिश्चित करने, नियमित टीकाकरण (बच्चों को लगने वाले टीके) के पश्चात होने वाले एईएफआई की रिपोर्टिंग, जांच व इन मामलों के कैजुअलटी एसेसमेंट का पारदर्शी संचार, समुदाय में वैक्सीन पर विश्वास बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है। ग्लोबल वैक्सीन एक्शन प्लान क्राइटेरिया के अनुसार कम से कम 10 सीवियर/ सीरियस एईएफआई प्रति एक लाख जीवित शिशु प्रति वर्ष रिपोर्ट किया जाना है।

मौके पर मधुबनी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के प्रिंसिपल डॉक्टर मंजूर आलम तोकर, मेडिकल सुपरीटेंडेंट अजय लाल दास, एसआरटीएल डब्ल्यूएचओ डॉक्टर शेखावत सिंह भारतीय, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ एसके विश्वकर्मा, डब्ल्यूएचओ एस एम ओ डॉ अमित मोहिते, यूनिसेफ एस.एम. सी प्रमोद कुमार झा सभी विभागों के एचओडी उपस्थित थे.