पीजी संस्कृत विभागाध्यक्ष डा घनश्याम महतो ने विभाग में औपचारिक बैठक आयोजित कर कुलपति के प्रति व्यक्त किया आभार।

शिक्षाविदों, जनप्रतिनिधियों, पदाधिकारियों, सामाजिकों तथा युवाओं के सहयोग से नवटोली के सर्वांगीण विकास का होगा प्रयास।

#MNN@24X7 दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफ़ेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह के आदेश से विश्वविद्यालय संस्कृत विभाग ने दरभंगा सदर प्रखंड स्थित खुटबाड़ा पंचायत स्थित दलित, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक बाहुल्य नवटोली (गौसाघाट) को गोद लिया है। इस हेतु पीजी संस्कृत विभागाध्यक्ष डा घनश्याम महतो ने विभाग में औपचारिक बैठक आयोजित कर कुलपति प्रोफेसर एस पी सिंह तथा कुलसचिव प्रोफ़ेसर मुश्ताक अहमद के प्रति आभार व्यक्त किया।

बैठक में विभागाध्यक्ष डा घनश्याम महतो, विभागीय प्राध्यापक डा आर एन चौरसिया एवं डा ममता स्नेही, मारवाड़ी कॉलेज के संस्कृत विभागाध्यक्ष डा विकास सिंह, इतिहास के प्राध्यापक डा मनीष कुमार एवं डा अवनीश कुमार, मारवाड़ी कॉलेज के हिन्दी- प्राध्यापक डा गजेन्द्र भारद्वाज, शोधार्थी- सन्दीप घोष, सदानन्द विश्वास एवं सोनाली मंडल, छात्र- आनंद सागर मौर्य एवं रितु कुमारी, विभागीय कर्मी- मंजू अकेला, विद्यासागर भारती, योगेन्द्र पासवान तथा उदय कुमार उदेश आदि उपस्थित थे।

विभागाध्यक्ष डा घनश्याम महतो ने बताया कि कुलपति प्रोफेसर एस पी सिंह एवं कुलसचिव प्रोफेसर मुश्ताक अहमद से प्राप्त निर्देश के आलोक में विभाग अपने सामाजिक दायित्वों के निर्वहन के उद्देश्य से विश्वविद्यालय मुख्यालय से करीब 5 किलोमीटर पूर्व दिशा में स्थित उक्त नवटोली गांव को गोद लिया है। इस प्रक्रिया में गत 3 फरवरी को विभागीय परिषद् की बैठक कर कुलपति महोदय से आदेश प्राप्त करने का निर्णय लिया गया था। उन्होंने बताया कि शीघ्र ही विभागीय शिक्षक एवं छात्र वहां जाकर लोगों से मिलेंगे तथा सधर्मी संस्थाओं की मदद से विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

डा आर एन चौरसिया ने बताया कि गांव को गोद लेने का मुख्य उद्देश्य संस्था को समाज से जुड़ना है। जहां स्थानीय शिक्षाविदों, जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक पदाधिकारियों, सामाजिक व्यक्तियों, ग्रामीण युवाओं तथा छात्र- छात्राओं के सकारात्मक सहयोग से नवटोली के सर्वांगीण विकास का प्रयास किया जाएगा। विभागीय शिक्षक एवं छात्र वहां जाकर उसकी मूलभूत समस्याओं को जानकर विभिन्न तरह के जागरूकता- स्वच्छता, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण आदि शैक्षणिक, सामाजिक एवं आत्मनिर्भरता संबंधी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।