प्राचीन भारतीय इतिहास के शिक्षक होते हुए भी डॉ यू एन तिवारी का संगीत में अति रुचि होना सराहनीय- कुलसचिव।

प्राचीन भारतीय इतिहास, पुरातत्त्व एवं संस्कृति विभाग के द्वारा विदाई सह पुस्तक लोकार्पण समारोह आयोजित।

#MNN@24X7 शिक्षक कभी दुःखी नहीं होते हैं। भारत में पहले शिक्षकों का पेशा धनवानों का नहीं माना जाता था, पर अब स्थिति बदली है।विशेषकर 2005 के बाद शिक्षकों की स्थिति बेहतर हुई है। किसी व्यक्ति को मात्र देखकर ही उनके व्यक्तित्व का पूर्ण मूल्यांकन करना संभव नहीं है। उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने प्राचीन भारतीय इतिहास, पुरातत्त्व एवं संस्कृति विभाग के द्वारा जुबली हॉल में आयोजित “विदाई सह पुस्तक लोकार्पण समारोह” में मुख्य अतिथि के रूप में कही।

उन्होंने कल 31 मार्च को अवकाश ग्रहण करने वाले विभागाध्यक्ष डा उदय नारायण तिवारी को असाधारण व्यक्ति बताते हुए उनकी पढ़ाने के प्रति रुचि, छात्रों से बीच वात्सल्य भाव रखने तथा संगीत में गहरी रुचि की चर्चा की। उन्होंने डॉ तिवारी के स्वस्थ एवं मंगलमय जीवन की कामना की।
कुलपति ने कहा कि छात्र- छात्राओं के साथ ही शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मियों का हित हमारी प्राथमिकता है। हमने नामांकन के समय ही छात्रों का पंजीयन एवं परीक्षा प्रपत्र भरवाना प्रारंभ किया, ताकि छात्रों को बार- बार परेशानियां न हो, न ही ज्यादा पैसे खर्च करना पड़े। परीक्षार्थियों द्वारा पूर्ण सूचना न देने के कारण ही उनके परीक्षा परिणाम पेंडिंग होते हैं।

सम्मानित अतिथि के रूप में वित्तीय परामर्शी कैलाश राम ने कहा कि डॉ तिवारी छात्रों में ज्ञान का प्रकाश फैलाया तथा संगीत के माध्यम से भी छात्रों के बीच लोकप्रियता प्राप्त की है। उन्होंने कहा कि कुलपति सूर्य के सामान प्रकाश एवं ऊर्जा प्रदान कर रहे हैं, जबकि कुलसचिव अपने अनुभव एवं कार्यों से लाभान्वित कर रहे हैं।

विशिष्ट अतिथि के रूप में कुलसचिव प्रोफ़ेसर मुश्ताक अहमद ने कहा कि प्राचीन भारतीय इतिहास के शिक्षक होते हुए भी डॉ उदय नारायण तिवारी का संगीत में अत्यधिक रुचि होना सराहनीय है। डॉ तिवारी अपने सरल स्वभाव, पठन- पाठन, सेमिनार- आयोजनों एवं पुस्तक लेखन के द्वारा सकारात्मक संदेश दिया है। ये सिर्फ सरकारी सेवा से निवृत्त हुए हैं, विश्वविद्यालय परिवार के सदस्य बने रहेंगे।

कुलसचिव ने कहा कि कुलपति के सफल नेतृत्व में आज की तारीख में पेंशन से संबंधित कोई पेपर पेंडिंग नहीं है, वहीं विश्वविद्यालय का सत्र नियमित होने के कारण काफी संख्या में छात्र नामांकन ले रहे हैं। विश्वविद्यालय द्वारा हर वर्ष समारोह पूर्वक शिक्षकों एवं शिक्षकेतर कर्मियों का सम्मान भी किया जा रहा है।

मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो पी सी मिश्रा ने कहा कि डा तिवारी जिंदादिल इंसान हैं जो आगे भी अपने ज्ञान एवं अनुभव से युवाओं को लाभान्वित करते रहेंगे। नए विभागाध्यक्ष डा नैयर आजम ने कहा कि मैं पूरी इमानदारी से विभाग का काम करूंगा।

अध्यक्षीय संबोधन में पूर्व विभागाध्यक्ष डा अयोध्यानाथ झा ने कहा कि डॉ तिवारी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं। अपने व्यवहार एवं कार्य से ये सबके प्रिय शिक्षक के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने डॉ तिवारी द्वारा लिखित “रॉयल चम्पलैन इन एन्सिएंट इंडिया” पुस्तक को दुर्लभ बताते हुए कहा कि मिथिला धर्मशास्त्र का प्रणेता रहा है। यहीं से राजपुरोहित के रूप में धर्मशास्त्र के ज्ञाता देश के अन्य क्षेत्रों में भी गए हैं। इस अवसर पर प्रो मुनेश्वर यादव, प्रो विभूति आनंद, डा आर एन चौरसिया, डा भक्तिनाथ झा, रश्मि एवं सिद्धि झा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। वहीं लोगों की मांग पर डॉ तिवारी ने गजल भी प्रस्तुत किया।

समारोह में डॉ घनश्याम महतो, डा अयाज अहमद, डा यू एन तिवारी की धर्मपत्नी विमला तिवारी, डा मनोज कुमार, डा राम प्रमोद राय, डा अशोक कुमार मिश्रा, डा सुशांत कुमार, डा रामकुमार मिश्र सहित अनेक शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। आगत अतिथियों का स्वागत पाग एवं चादर से किया गया। वहीं डॉ तिवारी एवं उनकी धर्मपत्नी को विभाग के शिक्षकों एवं छात्र- छात्राओं द्वारा विभिन्न वस्तुएं प्रदान कर सम्मानित किया गया।

डा भास्करनाथ ठाकुर के सफल संचालन में आयोजित कार्यक्रम में स्वागत संबोधन डॉ उदय नारायण तिवारी ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन विभागीय शिक्षिका डा प्रतिभा किरण ने किया।