#MNN@24X7 दरभंगा, उर्दू निदेशालय, मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग, बिहार सरकार के तत्वाधान में जिला उर्दू भाषा कोषांग द्वारा दरभंगा प्रेक्षागृह में कार्यशाला-सह-फ़रोग-ए-उर्दू सेमिनार व मुशायरा का आयोजन किया गया।
      
कार्यक्रम का उद्घाटन उप विकास आयुक्त श्रीमती अमृषा बैंस, नगर पुलिस अधीक्षक सागर कुमार, उप निदेशक जन संपर्क नागेंद्र कुमार गुप्ता, जिला अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी मो. रिजवान अहमद, जिला कल्याण पदाधिकारी मो.असलम अली, सहायक निदेशक सामाजिक सुरक्षा कोषांग नेहा कुमारी के द्वारा शमा रौशन किया गया।
     
इसके पूर्व में सभी अतिथियों को पुष्प गुच्छ एवं आईना-ए दरभंगा पुस्तक प्रदान कर हार्दिक अभिनंदन किया गया।
     
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उप विकास आयुक्त ने उर्दू भाषा के विकास के लिए उर्दू निदेशालय मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग, बिहार सरकार द्वारा आयोजित कार्यशाला-सह-मुशायरा कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर भाग लेने के लिए सभी उर्दू प्रेमियों का हार्दिक अभिनंदन किया।
      
उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में उर्दू भाषा से जुड़े लोगों का उत्साह देखकर लगता है कि इस भाषा का भविष्य उज्जवल है।
   
उन्होंने कहा कि उर्दू भाषा की जुबां मीठी है। विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली दस भाषाओं में यह शामिल है।
   
उन्होंने कहा कि उनका यह प्रयास रहेगा कि उर्दू भाषा के विकास के लिए तथा अल्पसंख्यक कल्याण के लिए जितनी भी योजनाएं सरकार द्वारा चलाई जा रही है, उनका जितना अधिक से अधिक  लाभ लोगों तक पहुँचे।
    
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नगर पुलिस अधीक्षक ने कहा कि सभी जुबान अच्छी होती है, लेकिन उर्दू जुबां की एक अलग अंदाज होती है, जिससे यह बेहद अच्छी लगती है।
उन्होंने कहा कि यूपीएससी की तैयारी के दौरान मिर्जा ग़ालिब के शेर से उन्हें काफी प्रोत्साहन मिलता रहा उन्होंने शेर पढ़ा-
“मंज़िल यूं ही नहीं मिलती राही को,
जुनून सा दिल में जगाना पड़ता है,
मैंने पूछा चिड़िया से घोसला कैसे बनता है,
वो बोली तिनका तिनका उठाना पड़ता है।”
उन्होंने कहा कि उर्दू भाषा के विकास के लिए वे सदैव प्रयासरत रहेंगे।
      
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उप निदेशक जन संपर्क ने कहा कि उर्दू भाषा की जुबान मीठी है, यह दिलों को दिलों से जोड़ती है, हिंदी और उर्दू साहित्य में यदि हम शब्दों को देखें तो दोनों में हिंदी और उर्दू शब्दों का मिश्रित प्रयोग दिखता है।उर्दू भाषा में मिठास है, एक लय है तथा यह जोश और जज्बा भी उत्पन्न करती है। सिने जगत के जितने भी गीतकार हैं, भले ही वे हिंदी के लेखक हैं, लेकिन उनके गीतों में उर्दू शब्दों की भरमार है। इकबाल के गीत सारे जहां से अच्छा हिंदुस्ता हमारा घर-घर में गाया जाता है।
    
इसके पहले जिला अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी ने सभी का हार्दिक स्वागत किया। सहायक निदेशक सामाजिक सुरक्षा कोषांग ने भी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहां की उर्दू भाषा मीठी जुबान है और कार्यक्रम में भाग लेने वालों का शुक्रिया अदा किया।
   
फ़रोग-ए-उर्दू सेमिनार व मुशायरा कार्यक्रम में भाग लेने वाले उर्दू विशेषज्ञों/विद्वानों में डॉ.शाकिर खलीक, डॉ. मुजफ्फर इस्लाम, डॉ.अब्दुल हयई, मुफ्तीमो.तौहीद मौजाहीरी गोठानी, डॉ मंजर सुलेमान, डॉ  इरशाद आलम,डॉ अकील अहमद सिद्दीकी, डॉ मतिउर्र रहमान, डॉ फैजान हैदर, डॉ शाहनवाज साहेब, डॉ इसमत जहां, डॉ मनसूर खुश्तर, डॉ एहसान आलम, एहतेशामुल हक, शवाहत फातमा, निशात आलम, आयशा नाज, अनवर आफाकी, हैदर वारसी, डॉ इमाम आजम, मुश्ताक दरभंगवी, अफलाक मंजर, एस. एम सारिन,खून चंदन पटवी, नुसरत फातमा, सगुफी शाहिदा, रोकय्या खातून शिरकत  किए।