बिहार के पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने पूसा में बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया ( बीसा ) का दौरा किया।

#MNN@24X7 सुधाकर सिंह ने अपने भ्रमण के दौरान फार्म के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं बीसा, पूसा प्रभारी डॉ. राज कुमार जाट एवं अन्य वैज्ञानिकों से बातचीत की।

सुधाकर सिंह ने फार्म पर हो रही विभिन्न कृषि शोध गतिविधियों जैसे जीरो टिलेज़, जीरो टिलेज़ द्वारा अंतः फसलीकरण विधि से आलू- मक्का की खेती, आलू की बुवाई में ज़ीरो टिलेज़ के तहत पराली का उपयोग इत्यादि को देखा |

आलू की बुवाई में जीरो टिलेज़ के तहत पराली का उपयोग और उसे होने वाले पराली प्रबंधन की विशेष सराहना करते हुये कहा की राज्य में अधिक से अधिक किसानों तक यह तकनीक पहुंचे वे पराली जलाना पूरी तरह से बंद कर दें और पराली का लाभ उठाएं।

इसके साथ ही उन्होनें बीसा द्वारा ड्रोन और मोबाइल एप्लिकेशन जैसी अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग कर कृषि संसाधनों के संरक्षण तथा बेहतर उपज के लिए किये जा रहे शोध कार्य की प्रशंसा की और कहा कि यह बिहार में किसानों के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा ।

डॉ. राज कुमार जाट ने बीसा फार्म में हो रहे गेहूं अनुसंधान कार्यक्रम जलवायु अनुकूल किस्मों के विकास और बीज उत्पादन गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि “हर साल बीसा बिहार के 7000 से अधिक किसानों को लगभग 5000 क्विण्टल गुणवत्ता वाले बीज प्रदान करता है जो उनकी कृषि उत्पादकता में 15-35% की वृद्धि करता है”।

डॉ. राजकुमार ने अन्य कपीसिटी बिल्डिंग कार्यक्रम के बारे में भी बात की और कहा कि बिहार के विभिन्न जिलों से 10000 से अधिक किसान राज्य सरकार और केवीके की मदद से प्रशिक्षण और एक्सपोजर विजिट के लिए हर साल बीसा फार्म में आते हैं।

सुधाकर सिंह ने कृषि के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के प्रति समर्पण के लिए बीसा के वैज्ञानिकों के प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने स्थायी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने और फसल उत्पादकता बढ़ाने में बीसा जैसी संस्थाओं के महत्व पर भी प्रकाश डाला।