•व्यापक संभावनाओं के बावजूद क्यों पिछड़ा है बिहार?
•रुडी ने पुछा: प्राचीन काल से देश-दुनिया को मार्गदर्शन देने वाला बिहार आज पिछड़ा क्यों?
•हाल में आये कई विदेशी निवेश, बिहार में क्यों नहीं?
•हाईटेक तरीके से आयोजित हुआ कार्यक्रम, ऑडियो-विजुवल के माध्यम से दिखाई गई हर रिपोर्ट
•IT क्षेत्र के प्रतिभासंपन्न युवा हमारे, फिर क्यों पिछड़ता जा रहा है बिहार ?
•वैश्विक प्रतिभा है बिहार के पास फिर भी क्यों पिछड़ा है बिहार ?
•एक शिक्षक की भूमिका में नजर आये रुडी, देश के अन्य राज्यों में कार्यरत बिहारियों की प्रतिभा को पर्दे पर दिखाते हुए की व्याख्या
•रूडी ने कहा, प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में रफ्तार में बढ़ रहा है भारत, पर बिहार क्यों पिछड़ गया है
•देश के विकास में सभी स्तरों पर बिहारी कार्यरत, फिर भी बिहार पिछड़ा क्यों?
•बिहार में देश-विदेश से लगभग 3 लाख 36 हजार करोड़ रूपया भेजते है बिहारी, कहाँ होता है इसका उपयोग?
•जब- जब सत्ता हिलती है, तब-तब गिनती होती है : रुडी

दरभंगा, 04 फरवरी, मिथिलांचल माता सीता की भूमि है, संस्कारों की भूमि है। यह उन सबकी है, जो उस भू-खंड ही नहीं, उसके संस्कारों को जानते और मानते हैं। यहां प्रबुद्ध लोगों की कमी कभी नहीं रही है, जो अपने वाक्‌चातुर्य से किसी की भी छद्म बौद्धिकता का दर्प चूर-चूर कर सकते थे। चाहे वह गोनू झा हों या मंडन मिश्र और उनकी पत्नी भारती जिनसे आदि शंकराचार्य के साथ हुआ शास्त्रार्थ, जिसमें शंकराचार्य को हार माननी पड़ी थी। आज इस पवित्र भूमि से बिहार के पिछड़ेपन पर परिचर्चा में भाग लेने का मौका मिला जिसके लिए मै अपने आपको सौभाग्यशाली मानता हूँ।

उन्होंने कहा कि इसी धरती पर महाकवि विद्यापति हुए तो दूसरी तरफ डॉ॰ सुभद्र झा, डॉ॰ रामावतार यादव जैसे भाषाविद। ज्ञान, संस्कृति एवं चर्चा के केंद्र से बिहार के पिछड़ेपन पर परिचर्चा मेरे लिए सुखद अनुभव होगा। मिथिला की पवित्र भूमि पर दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह की कर्मस्थली से एक बार फिर से बिहार के पिछड़ेपन पर परिचर्चा में भाग लेते पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रुडी ने बिहार के विकास के मार्ग में अवरोधक बने मुद्दों और राजनीतिज्ञों पर तीखा हमला किया।

पोलो मैदान ऑडिटोरियम में विजन बिहार, एजेण्डा-2025 (विभा-2025) के मंच से रुडी ने कहा कि अपने समृद्ध अतीत को याद कर सुनहरे भविष्य की ओर निहार रहा है बिहार। समृद्ध ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और वर्तमान में पीछड़ापन बिहार की एक तरह से नियती बन गई है। प्राचीन काल से ही बिहार ने लोकतंत्र, शिक्षा, राजनीति, धर्म एवं ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में देश को ही नहीं बल्कि दुनिया को मार्गदर्शन देने का कार्य किया है। लोकतंत्र के क्षेत्र में प्रसिद्ध लिच्छवी गणतंत्र और शिक्षा जगत में नालन्दा एवं विक्रमशिला विश्वविद्यालयों के भग्नावशेष आज भी शिक्षा एवं ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में अपने स्वरूप की कहानी कहते हैं। दरभंगा तो सदैव से ज्ञान, चर्चा एवं संस्कृति का केंद्र रहा है। दरभंगा के पोलो मैदान ऑडिटोरियम, (प्रेक्षागृह सह आर्ट गैलरी), लहेरियासराय में विभा-2025 मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम के मुख्य वक्ता पूर्व केंद्रीय मंत्री सह भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता, सांसद राजीव प्रताप रुडी ने उक्त बातें कहते हुए सवालिया लहजे में पुछा कि देश-दुनिया का मार्गदर्शन करने वाला बिहार आज पिछड़ा क्यों है ?

आगे है बिहारी फिर भी बिहार पिछड़ा है क्यों ?

पूर्व केंद्रीय मंत्री रुडी ने कहा कि बिहार के लोग देश ही नहीं विदेशों में भी अपने टैलेंट का जलवा बिखेर रहे है। हर क्षेत्र में बिहारी आगे है, पर बिहार पीछे है, ऐसा क्यों ? नीति आयोग के आंकड़ों में बिहार की भयावह तस्वीर दिखाई पड़ती है। बिहार से बाहर कार्यरत 4 करोड़ बिहारी लगभग 3 लाख 36 हजार करोड़ रूपया बिहार भेजते है, उचित माहौल हो तो वे अपने राज्य में ही करोड़ो की आमदनी करते साथ ही रोजगार सृजन भी होता। उन्होंने कहा कि ये पलायित बिहारी युवा अपने परिश्रम से पैसे कमाकर अपने गाँव, अपने परिवार को भेज रहे है, इसी पैसे का उपयोग राज्य में होता है। अपने घर पैसा भेजने वाले कुछ युवाओं का वीडियों भी दिखाया। उन्होने सवालिया लहजे में कहा कि देश के विभिन्न राज्यों में बिहार के लोग छोटे से लेकर बड़े, सभी स्तरों पर, सभी पदों पर कार्यरत है, पर फिर भी बिहार पिछड़ा है, ऐसा क्यों ?

उन्होंने राज्य के कई बिन्दुओं पर ध्यानाकर्षण कराया वहीं राज्य के पिछड़ेपन की ओर इशारा करते हुए राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र की कई दिक्कतों से रूबरू भी कराया। कार्यक्रम में अमनौर से भाजपा विधायक मंटू सिंह पटेल, मंटू सिंह विधायक और जिलाध्यक्ष जीवछ सहनी, मंच के संस्थापक सदस्यों में यशवंत सिंह, शंकर आजाद, विनोद सम्राट, कामेश्वर ओझा, इंजीनियर सत्येन्द्र कुमार, राकेश सिंह, अंजनी कुमार राजू, अनील सिंह, उपनेश सिंह, धर्मेन्द्र चौहान, मंटू दुबे, के साथ स्थानीय स्तर पर मरेन्दर बहादुर सिंह बलिराम सिंह राकेश सिंह रीता सिंह राजू सिंह मनीष सिंह आदि उपस्थित थे।

मेरा बिहार पिछड़ा है तो मैं भी पिछड़ा

रुडी ने कहा कि आज अगड़ा और पिछड़ा की राजनीति की जा रही है। लेकिन, मै यह पुछना चाहता हूँ कि जब हमारा राज्य ही पिछड़ा है तो उसमें अगड़ा कौन है ? सभी पिछड़े है, हम सब पिछड़े है। एक पिछड़े राज्य के निवासी होने के नाते हम सभी पिछड़े है। उन्होंने कहा कि मै तो यह नारा देना चाहता हूँ कि बिहार पिछड़ा है तो हम सब बिहारी पिछड़े है। रुडी ने कहा कि यदि मेरा बिहार पिछड़ा है तो मैं आज से अपने आपको पिछड़ा घोषित करता हूँ। अब हम लड़ेंगे, पिछड़ो की और पिछड़े राज्य की लड़ाई। उन्होंने कहा कि बिहार मेरी जन्मभूमि है, मातृभूमि है। बचपन से विकास की बात सुनता रहा हूँ, पूरे बिहार में विकास को खोजते-खोजते दिल्ली तक पहुंच गया लेकिन, बिहार को आगे बढ़ाने वाला विकास अभी तक दिखाई नहीं दिया। अब हमको और आपको मिलकर बिहार के विकास को खोजना है। जब समुचा देश और संसार बिहार और बिहारियों को पिछड़ा कहता है तो फिर मैं अपने को अगड़ा कैसे कह सकता हूँ।

एक शिक्षक की भूमिका में दिखे रुडी, किया हर रिपोर्ट की विस्तृत व्याख्या

हाईटेक तरीके से आयोजित कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री रुडी एक शिक्षक की भूमिका में दिखें और एक नये अंदाज में अलग-अलग स्लाइड में ऑडियो-विजुवल तरीके से कई रिपोर्ट दिखाई और उसकी व्याख्या भी की। उन्होंने नीति आयोग की रिपोर्ट को पर्दे पर दिखाकर बिहार की सच्चाई से अवगत कराया। कार्यक्रम में शिक्षा और रोजगार के लिए राज्य के बाहर गये बिहारियों के विजुअल भी दिखाया गया कि वे लोग किस प्रकार बाहर जाकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे है। प्रजेंटेशन के माध्यम से अलग-अलग स्लाइड द्वारा बिहार और बिहारियों की दशा पर आधारित विभिन्न रिपोर्ट को विस्तार से पेश किया।

अन्य राज्यों की तरह विदेशी निवेश, बिहार में क्यों नहीं
केंद्रीय निवेश प्रस्ताव पर आंकड़ों के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री रुडी ने सवाल करते हुए पुछा कि हाल में आये कई विदेशी निवेश, बिहार में क्यों नहीं ? देश विदेश की कई बड़ी कंपनियों ने कई राज्यों में निवेश किया है पर, बिहार में ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं मिला आखिर ऐसा क्यों ? रूडी ने कहा कि हमारे पूर्वज हमारे लिए समृद्ध बिहार छोड़ कर गये थे। पर आज उसी बिहार का हाल क्या हुआ है यह किसी से छिपा नहीं है। हमारा वही समृद्ध बिहार आज पिछड़ा बिहार हो गया है, आखिर ऐसा क्यों ? हमारे बिहार के युवा अब रोजी-रोटी के लिए देश के अन्य राज्यों में भटक रहे है। हमारे समृद्ध बिहार का आज क्या हाल है यह सब हम देख रहे है। अब हमें सोचना है कि हमारी आने वाली पीढ़ी को हम कौन सा बिहार सौंपेंगे, समृद्ध बिहार या पिछड़ा बिहार?
सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बिहारी आगे पर बिहार पिछे क्यों?

रुडी ने सवाल करते हुए कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बिहार के युवा अपनी प्रतिभा का परचम लहरा रहे है। ऐसे प्रतिभा संपन्न बिहारी युवाओं की प्रतिभा का सदुपयोग राज्य में नहीं किया जा सका। हवाई जहाज के पायलट, सांसद रुडी ने विमानन क्षेत्र से जुड़े बिहारी युवाओं का वीडियो दिखाकर उनकी प्रतिभा को दिखाया। देश के अन्य राज्यों में बिहार के लोगों की क्रिया कलापों व उनकी प्रतिभा को पर्दे पर दिखाते हुए बिहार की बदहाली की जिलावार तस्वीर भी दिखाई।
उन्होंने कहा कि देश में इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) सेक्टर के हब के रूप में दक्षिण भारत को ही जाना जाता था लेकिन अब उत्तर प्रदेश के नोएडा में भी बड़ी संख्या में MNC यानी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने इन्वेस्ट किया है। परन्तु बिहार में अच्छी क्वालिटी के इंजीनियरिंग कॉलेजों और इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी के कारण ऐसा नहीं हुआ। शासन और प्रशासन स्तर पर यह किया जाना चाहिए था ताकि हुनरमंद युवा, कुशल युवा, तकनीक में समृद्ध युवा बिहार की प्रगति में योगदान दे सकते थे। परन्तु, उन्हें उनकी प्रतिभा का न तो उचित सम्मान राज्य में मिला और न ही उसकी प्रतिभा का उपयोग किया गया। लाचार होकर वे अन्य राज्यों या अन्य देशों में पलायन कर गये और वहां की प्रगति में महत्वपूर्ण सहभागी बने। इस संदर्भ में दलगत राजनीति या भावना से उपर उठकर ऐसे युवाओं का राज्य की प्रगति में उपयोग करना चाहिए, उनका आह्वान करना चाहिए कि उनकी प्रतिभा का राज्य में उचित सम्मान होगा ताकि आश्वस्त होकर ऐसे युवा राज्य में वापस आये और प्रगति में अपना योगदान दें।

जब- जब सत्ता हिलती है, तब-तब गिनती होती है
आयोजित सभा मे श्री रुडी ने कहा कि जब- जब सत्ता हिलती है, तब-तब गिनती होती है, सरकार को जब यह आभास होता है कि सत्ता कमजोर हो रही है तब व गिनती की तरफ बढ़ती है। बहुत पहले से राज्य सरकार प्रयासरत थी की जाति के आधार पर जनगणना हो लेकिन कानून सम्मत नहीं होने के कारण केंद्र सरकार ने इसकी मंजूरी नहीं दी। अंततः सरकार से अलग होकर नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार सरकार ने महागठबंधन के साथ मिलकर बिहार के लोगों को 250 जातियों में बांटा है जिसके आधार पर उनकी गणना की जा रही है। रुडी ने सवालिया लहजे में कहा कि आखिर ये गणना क्यों की जा रही है, इससे पिछड़े राज्य के गरीब की गरीबी कम होगी या जातियों की ?