प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा, गरिमा और जीवनयापन लायक मजदूरी के लिए केन्द्रीय कानून बनाओ- ऐकटू।

मनरेगा को मजबूत करो ताकि स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ें- खेग्रामस।

#MNN@24X7 दरभंगा 13 मार्च, बीते हफ्ते में सोशल मीडिया में बिहार और अन्य उत्तर भारतीय राज्यों के मजदूरों पर तमिलनाडू में हमले की फर्जी खबरों के विरोध में ऐक्टू – खेत व ग्रामीण मजदूर सभा ने दरभंगा के मुख्य सड़क पर मार्च कर जिला समाहर्ता के गेट पर प्रदर्शन किया।

माले जिला सचिव बैधनाथ यादव ने कहा कि होली के लिए अपने घरों के लौटते प्रवासी मजदूरों के बारे में प्रचारित कर दिया गया कि वे हमले की वजह से तमिलनाडू छोड़ कर जा रहे हैं. इस फर्जी खबर को विभिन्न मीडिया चैनलों और अखबारों ने उठा लिया और बिना सत्यता जांचे प्रसारित भी कर दिया. जैसे दैनिक भास्कर ने खबर छाप दी कि 15 बिहारी प्रवासी मजदूर तमिलनाडू में मारे गए हैं और अन्य बिहारी प्रवासियों को तालिबानी शैली के हमलों का सामना करना पड़ रहा है.

माले नेता ने कहा कि यह भाजपा व उसके अन्य संगठनों का यह सोचीसमझी साजिश है, इस लिये जो जानबूझ कर प्रवासी मजदूरों पर हमले के फर्जी वीडियो पोस्ट कर रहे हैं और प्रवासी मजदूरों में भय और तनाव फैला रहे हैं, लोगों में भाषाई कलह और बंटवारा पैदा कर रहे हैं, उनके विरुद्ध कठोर कानूनी कार्यवाही की जाये.

आगे कहा कि हम संघ परिवार की इस पतित हरकत की निंदा करते हैं, जो तमिलनाडू के लोगों के खिलाफ घृणा के बीज बो कर राजनीतिक लाभ अर्जित करने की मंशा रखता है.

संघ ब्रिगेड एक बार फिर प्रवासी मज़दूरों को अपने राजनीतिक षड्यंत्र के औज़ार के तौर पर इस्तेमाल करना चाहता है.
ऐक्टू जिला कोर प्रभारी उमेश प्रसाद साह ने कहा कि देश के मजदूर वर्ग पर मोदी सरकार की नवउदारवादी आर्थिक नीतियां कहर बरपा रही हैं मोदी सरकार कारपोरेट के फायदे के लिए श्रम कानून को खत्म कर 8 घंटे काम को 12 घंटे कर दिया, न्युनतम मजदूरी कम कर दिया जिससे कारपोरेट को हजारों करोड़ का फायदा पहुंचाया गया जो न्युनतम मजदूरी लुट स्कैम है, प्रवासी मजदूरों की अत्यधिक संख्या बिहार से है जिसके सुरक्षा के लिए केंद्रीय कानून बनाया जाय।

खेग्रामस के जिला सचिव जंगी यादव ने कहा भयानक सूखा/बाढ़, निरंतर जारी कृषि संकट और सिमटते काम के अवसरों के कारण ग्रामीण भयानक रोजगार का संकट झेल रहा है. यहां से बड़ी संख्या में मजदूर बाहरी राज्यों को पलायन कर रहा है. महिलाएं और बुजुर्ग रोजगार विहीन हैं. ऐसी स्थिति में मनरेगा ही रोजगार का एकमात्र स्रोत है. पर जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है, इस योजना को ही बर्बाद कर दिया गया है. मनरेगा के बजट में 33 प्रतिशत तक कटौती कर दी गयी है, जिसकी वजह से रोजगार की मांग करने के बावजूद करोड़ों मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है. काम पूरा होने के बावजूद समय पर मजदूरों को मजदूरी न दे कर मनरेगा के उद्देश्य को सचेत रूप से पलीता लगाया जा रहा है. मनरेगा में केवल “भुखमरी भत्ता” देकर मोदी सरकार लोगों को समुचित रोजगार से वंचित कर रही है.

माले जिला कमिटी सदस्य हरि पासवान ने कहा कि शहरों में -अनौपचारिक श्रम, एक दिन में 12 घंटे तक का काम, मजदूरी से सहित कोई साप्ताहिक अवकाश नहीं, पीएफ़/ईएसआई नहीं, नारकीय जीवन स्थितियां, निरंतर मजदूरी की लूट, श्रम क़ानूनों की कोई सुरक्षा नहीं- जैसी अनिश्चितता से गुजर रहे प्रवासी मज़दूरों के मसलों को हल करने के बजाय मोदी सरकार उन्हें अपने घृणित राजनीतिक खेल के चारे के तौर पर उपयोग करना चाहती है.

खेग्रामस नेता सत्यनारायण मुखिया ने कहा कि केन्द्र सरकार प्रवासी मज़दूरों की सुरक्षा, गरिमा और जीवनयापन लायक मजदूरी के लिए केंद्रीय कानून बनाया जाये. राज्यों को भी अपने राज्यों के प्रवासी मज़दूरों को सुरक्षा की योजनाएं बनानी चाहिए.

काम के दिनों को साल में 200 करके मनरेगा को मजबूत किया जाये ; मनरेगा में मजदूरी को बढ़ा कर 600 रुपये प्रति दिन किया जाये और मनरेगा के तहत लंबित मजदूरी तत्काल बांटी जाये- गांव में ही रोजगार सुनिश्चित किया जाये। शहरी रोजगार गारंटी कानून बनाया जाये। इनके अलावा मजदूर नेता पप्पू पासवान, जमालुद्दीन, विनोद सिंह, निर्माण मजदूर के सत्यनारायण पासवान भोला, महिला नेत्री अनुपम कुमारी, शनीचरी देवी, आदि नेताओं ने संबोधित किया आज के प्रवासी मजदूर एकजुटता मार्च में दर्जनों लोगों ने भाग लिया।