#MNN@24X7 आयुर्वेद आपके साथ की पूरी जानकारी हम आपको दे पा रहे हैं वैद्य प्रोफेसर दिनेश्वर प्रसाद, राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल, पटना, बेगूसराय, दरभंगा, बिहार के पूर्व प्राचार्य एवं पटना, शेखपुरा, के पाल मार्केट स्थित अमृत आयुर्वेद के निदेशक सह: मुख्य चिकित्सक के माध्यम से। साथ ही आपको बता भी दूं कि अमृत आयुर्वेद (IGIMS) के बगल में 65 नंबर पिलर के सामने पाल मार्केट में है। आप सभी का पूर्व की भांति स्वागत करते हुए आयुर्वेद आपके साथ, कार्यक्रम के तहत आज़ कास (खांसी) BRONCHITIS के विषय पर जानकारी देने जा रहा हूं।

कास या खांसी भी एक तरह से मिलता-जुलता रोग है, खांसी पुराना होने पर श्वास रोग में बदलने की संभावना रहती हैं। और सर्दी पुराना होने पर कास(खांसी) के रोग में बदलने की संभावना रहती हैं। कास(खांसी) अक्सर सुखा होता हैं। इसमें कभी कभी खांसते खांसते मुंह के माध्यम से कफ निकलने की प्रवृत्ति देखने को मिलती हैं। पर श्वास में अक्सर छाती में घड़घड़ाहट अथवा मुंह से कफ निकलने की प्रवृत्ति नहीं होती हैं। कास में श्वासा या हिक्का नहीं होता हैं, पर श्वास में श्वासाधिक्य ज्यादा देखने को मिलता है। खांसी रोग में कफ के साथ-साथ कभी-कभी पित्त भी बाहर निकलता है।

आयुर्वेद के अनुसार कास रोग में उदान वायु से सम्बंधित मुख्य विकृति मिलती है। जिसमें प्राणवायु का अनुवन्ध भी होता है। कास श्वास में एक भिन्नता यह भी होती हैं,की कास रोग के साथ साथ कास एक लक्षण के रूप में भी परिलक्षित होता है। श्वास के तरह कास भी पांच प्रकार का होता हैं, यथा वातज कास, पितज खास, कफज खास, क्षतज कास, एवं क्षयज कास।

वातज, क्षतज, एवं क्षयज कास का कारण अतिसंभोग भी माना गया हैं। आधुनिक चिकित्सा (ALOPATH) में Bronchitis कहा गया हैं। कास के अन्य कारणों में धुल, धुआं, प्रदुषण, ज्यादा देर तक व्यायाम,जिम, मेहनत का काम, रुखा सूखा खाना, शीतल एवं वाशी भोजन, रात में दही, दही का बना राईता, आइसक्रीम इत्यादि का सेवन बार बार उपवास, अधारंणीय वेग को ज्यादा देर तक धारण करना, अधिक गुस्सा अत्यधिक या ज्यादा समय तक बोलना ज्यादा देर तक सोना अत्यधिक भार उठाना शक्ति से अधिक काम करना इत्यादि होता हैं।

खांसी रोग होने से पहले भी कुछ लक्षण परिलक्षित होता हैं,जिसे आयुर्वेद में पुर्तरुप कहते हैं। उसमें मुख या गल्ले में खसखसाहट, या सुरसुराहट, कण्ठ में खुजली, जैसा अनुभव होना, गल्ले में खाना निगलते समय वेदना या परेशानी,गल्ला में लेप जैसा अनुभव होना, शब्द में तोतलापन या रूकावट, खाना में अरुचि की शिकायत भी मिल सकती है। इस सबके अतिरिक्त भी खांसी (कास) कई प्रकार का देखने को मिलता हैं। जिसमे कुकुर कास WHOOPING KOF मुख्य हैं। पथ्य के रूप में शाली या साठी चावल का भात ,मुंगी या कुलथी का दाल, दुध, घी, लहसुन, सोंठ, मरिच, पिपली का, गरम जल, मधु, सब्जियों की गर्म गर्म सूप देना लाभप्रद माना गया हैं। अपत्थ के रूप में दिन में सोना ,दही ,बासी भोजन, धुम्रपान, शितल पदार्थों से परहेज़ के साथ साथ मैथुन की मनाही की गई हैं।

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