पृथ्वी दिवस पर पृथ्वी ग्रह का हुआ ऐतिहासिक ध्वजारोहण।

#MNN@24X7 दरभंगा, वर्ल्ड नेचुरल डेमोक्रेसी (पृथ्वी बचाओ आन्दोलन) द्वारा पृथ्वी दिवस पर चन्द्रधारी मिथिला विधि महाविद्यालय के मुख्य द्वार के सामने हराही पोखर (पश्चिम घाट) पर प्रातः 10:15 पर पृथ्वी ग्रह का ऐतिहासिक ध्वजारोहण किया गया। ध्वजारोहण निर्धारित समय से 15 मिनट देरी से हुआ। अन्य संस्थाओं में तालाब बचाओ अभियान, सहोदय ट्रस्ट तथा सेव ट्री सेव लाईफ़ अभियान भी सम्मिलित थीं।

डब्ल्यूएनडी के अध्यक्ष लेखक तथा पृथ्वी अधिकार कार्यकर्ता डॉ. जावैद अब्दुल्लाह ईद की नमाज़ अदा करके सीधे ध्वज स्थल पर पहुँचे और हराही पोखर के प्रकृतिमय वातावरण में पृथ्वीध्वज की रस्सी खींचकर पृथ्वीग्रह का ध्वजारोहण किया। ज्ञात हो कि मिथिला की धरती पर पृथ्वी ग्रह का यह ध्वजारोहण केवल भारत के लिये ही नहीं, वरन विश्व के लिये एक प्रथम ऐतिहासिक क़दम है।

डॉ.जावैद अब्दुल्लाह ने कहा कि अब ज़रुरत पड़ गयी है कि विश्व के सभी राष्ट्र अपने संविधान की प्रस्तावना में पृथ्वी ग्रह को स्थान दें। सभी राष्ट्र अपने-अपने रष्ट्रीय झंडे में पृथ्वी ग्रह को स्थान दें। वहीं प्रस्तावना में जल, वायु, मृदा, पेड़, ऊष्मा आदि के संरक्षण के लिये संकल्प को जोड़ा जाये तथा आज के दिन को हर वर्ष समस्त विश्व की सरकार और नागरिक पृथ्वी ग्रह के ध्वजारोहण देकर पृथ्वी के प्रति सम्मान की भावना जागृत करें।

वनस्पतिशास्त्री एमएलएसम कॉलेज के भूतपूर्व प्रधानाचार्य प्रो. विद्यानाथ झा ने अपना सन्देश प्रेषित करते हुये कहा, मैं समझता हूँ यह बहुत ही चिन्ता की बात है कि भावी पीढ़ी के लिये अब हम कैसी धरती छोड़ेंगे; क्योंकि पृथ्वी का वातावरण ख़राब होने की घटनायें लगातार बढ़ती चली जा रही हैं। आज पूरी दुनिया में इस पृथ्वी को बचाने की मुहीम चल रही है कि कैसे हम इस धरती को बचायें। वर्ल्ड नेचुरल डेमोक्रेसी और डॉ.जावैद अब्दुल्लाह के नृतेत्व में हम सभी की आँखें खुलनी चाहिये, सब पृथ्वीवासी मिलकर पृथ्वी को और जो भी हमारा नेचुरल रिसोर्से है, जलाशयों, पेड़ों, वनजीव इत्यादि सभी को विनाश होने से बचायें। यही आज के दिवस का सन्देश है। वर्ल्ड नेचुरल डेमोक्रेसी द्वारा पृथ्वी का ध्वजारोहण निश्चित एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है।

दरभंगा किशोर न्यायालय बोर्ड के सदस्य व गाँधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अजीत कुमार मिश्र ने कहा कि ध्वजारोहण के उपरान्त मैं इतना ही कहना चाहूँगा कि यह धरती जिस पर कि समस्त जीव जन्तु का जीवन है, और जो प्राकृतिक संसाधन और सम्पदा है, जिस पर कि मानव जीवन निर्भर करता है, उस पर ख़तरा मंडरा रहा है।ख़तरा दो बातों को लेकर है; एक पर्यावरण; जो दिनों दिन और बिगड़ता चला जा रहा है। दूसरा हिंसा का ख़तरा अलगाववाद का ख़तरा; हमें इन दोनों ही क्षेत्रों में हर स्तर से काम करने की आवश्यकता है।

प्रो. ललित झा ने कहा कि वर्ल्ड नेचुरल डेमोक्रेसी के तत्वाधान में जो झंडोतोलन हुआ है, निश्चित रूप से यह स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिये एक बहुत बड़ा सन्देश है । संयोग़वश आज ईद भी है। यह भाईचारे का पर्व है, जो पूरी दुनिया में मनाया जा रहा है और इससे बड़ा भाईचारा और कुछ नहीं हो सकता के तमाम पेड़-पौधे जीव-जन्तु तथा मानव सभी के बीच कड़ी अथवा सम्बन्ध हो, इसके बिना हम पारिस्थितिक सन्तुलन की बात नहीं कर सकते। यदि परिसिथितिक सन्तुलन बिगड़ेगा तो उसका असर इस पृथ्वी पर भी पड़ेगा। इसके पृथ्वी दिवस ध्वजारोहण के प्रस्ताव जी-20 शिक्षर सम्मेलन (सितम्बर, नई दिल्ली) में प्रेषित किये जायेंगे।