#MNN@24X7 हाजीपुर, वैशाली 10 अप्रैल, जन सुराज पदयात्रा के 191वें दिन की शुरुआत वैशाली के हाजीपुर प्रखंड अंतर्गत हाजीपुर नगर परिषद स्थित पदयात्रा शिविर में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। उसके बाद प्रशांत किशोर ने स्थानीय पत्रकारों के साथ संवाद किया। पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने अपने पदयात्रा का अनुभव साझा किया। जन सुराज पदयात्रा के माध्यम से प्रशांत किशोर 2 अक्तूबर 2022 से लगातार बिहार के गांवों का दौरा कर रहे हैं। उनकी पदयात्रा अबतक लगभग 2500 किमी से अधिक की दूरी तय कर चुकी है। पश्चिम चंपारण से शुरू हुई पदयात्रा शिवहर, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सिवान, सारण होते हुए वैशाली जिले पहुंची है। वैशाली में पदयात्रा अभी 20 से 25 दिन और चलेगी और इस दौरान अलग-अलग गांवों और प्रखंडों से गुजरेगी।

इफ्तार पार्टी करने के बाद भी अल्पसंख्यक समाज के लोग राजद के उम्मीदवार को वोट नहीं दे रहे हैं: प्रशांत किशोर

जन सुराज पदयात्रा के दौरान वैशाली के हाजीपुर प्रखंड में मीडिया से संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि समाज को समझ है कि उनके लिए समाज में क्या गलत है और क्या सही है। अलग बात है कि समाज के लोग कई बार अपना रुख सामने रखते हैं, कई बार नहीं रखते हैं। आप मीडिया के लोगों का कहना है कि समाज जातियों से ऊपर नहीं उठ पाएगा। हम तो हर प्रेस कांफ्रेंस में बता रहे हैं कि समाज ने हमारे सामने पहले भी कई ऐसे उदहारण अपने वोट के माध्यम से रखें हैं, जहां उन्होंने जातियों से ऊपर उठ कर समाज के लिए वोट किया है। जरूरत बस इस बात की है कि एक प्रयास ईमानदारी से किया जाए।

इफ्तार पार्टी को तो मैं कोई नोटिस में भी नहीं लेता हूं। एक ओर ये इफ्तार पार्टी कर रहे हैं, दूसरी तरफ उनके पार्टी के नेता को ही उनके समाज के लोगों ने बहिष्कार कर दिया। उन समाज के लोग ही उन्हें वोट नहीं किए, इसलिए उन्हें जितना इफ्तार पार्टी करना है, करने दीजिए।

बिहार में सांप्रदायिक घटनाओं के बीच लोगों ने अफाक अहमद को MLC चुनाव में जिताया है, ये बड़ी बात है: प्रशांत किशोर।

जन सुराज पदयात्रा के दौरान हाजीपुर में मीडिया से संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि मेरी समझ से एक MLC चुनाव का जितना-हारना बहुत बड़ी बात नहीं है। बड़ी बात ये है कि उस चुनाव में वोटर BJP और महागठबंधन ने बनाया था। जिस सीट पर उप-चुनाव हुए वहां पार्टी के नेता को आशा थी कि वोट सहानुभूति पर मिलेगा जो हुआ नहीं।

जिस दिन चुनाव हो रहे थे उन दिनों रामनवमी में बिहार में 3 से 4 जगह साम्प्रदायिक घटनाएं घटी। इसके बावजूद लोग धारा से विपरित जाकर एक ऐसे मुस्लिम नेता को जीता कर लाते हैं जिसे शिक्षक के नेता के रूप में कोई नहीं जानता था। एक ऐसा व्यक्ति जिन्होंने अपना कोई वोटर नहीं बनाया था और इससे बड़ी बात एक ऐसा व्यक्ति जो मुस्लिम समाज से आता है, उसको सारण और चंपारण प्रमंडल के बुद्धिजीवियों ने चुनाव में जीत दिलाया है, इससे बड़ी बात आज बिहार में और क्या हो सकती है।

बिहार में समाज की चेतना दब गई है, मरी नहीं है, लोगों को खड़ा कर ऐसी व्यवस्था बनाने का प्रयास कर रहे हैं जो देश के लिए रोल मॉडल हो: प्रशांत किशोर।

प्रेस वार्ता के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि पदयात्रा कर के कोई गांधी नहीं बन सकता। मैंने तय किया है कि मुझे लोगों की मदद करनी है। जिसको भी लोग समाज में निकालेंगे उसकी मदद जन सुराज करेगा। बिहार के लोगों पर मेरा विश्वास है कि उनकी चेतना दब गई है, मरी नहीं है। बिहार के लोगों को जागरूक कर इसे फिर से एक नया रंग दिया जा सकता है।

बिहार में किसानों की बदहाली के तीन प्रमुख कारण हैं – भूमि सुधार कानून का लागू नहीं होना, जल प्रबंधन का अभाव और फसलों का समर्थन मूल्य नहीं मिलना: प्रशांत किशोर।

प्रशांत किशोर ने बिहार में किसानों की समस्या पर बोलते हुए कहा कि बिहार में किसानों की बदहाली के आज तीन प्रमुख कारण हैं। पहला, भूमि सुधार कानून का लागू नहीं होना। दूसरा, जल प्रबंधन का अभाव। तीसरा, फसलों का समर्थन मूल्य का नहीं मिलना। आज किसानों के भूमि सुधार कानून के लिए कोई काम किया ही नहीं गया है। यही वजह है कि बिहार में 60 प्रतिशत लोगों के पास जमीन है ही नहीं। जल प्रबंधन की समस्या का सबसे बड़ा कारण बाढ़ है। वहीं सूखा भी आज कई जिलों की बड़ी समस्या है, जिसके कारण किसान उस जगह खेती नहीं कर पा रहे हैं। आज बिहार में किसानों को समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है, जिसपर सरकार भी कुछ नहीं बोलती और आप पत्रकार भी सरकार से सवाल नहीं करते।