पारंपरिक कला में नई सांस्कृतिक चेतना जगाता है वसंतोत्सव: कुलपति

#MNN@24X7 दरभंगा। विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में शुक्रवार को वसंतोत्सव संग अभिनंदन समारोह का भव्य आयोजन किया गया। स्थानीय एमएमटीएम कॉलेज के सभागार में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डा बुचरू पासवान ने की। प्रसिद्ध लोक गायिका डा ममता ठाकुर द्वारा प्रस्तुत कवि कोकिल विद्यापति रचित गोसाउनि गीत ‘जय जय भैरवि…’ से प्रारंभ हुए कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुरेंद्र प्रताप सिंह, पूर्व विधान पार्षद प्रो दिलीप कुमार चौधरी, मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा, डा बुचरू पासवान, प्रो रमेश झा एवं विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने साथ मिल दीप प्रज्वलित कर किया।मणिकांत झा के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में होली गीतों की सुरमयी लहरियों के साथ हास्य व व्यंग्य की चासनी में घुले आनन्दमय जोगीरा की तान खूब छिड़ी।

मौके पर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति के उपलब्धि पूर्ण ढ़ाई साल पूरा होने के अवसर पर संस्थान परिवार की ओर से उनका भावपूर्ण अभिनंदन किया गया। अभिनंदन पत्र का सस्वर वाचन संस्थान के मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने किया।

इससे पहले स्वागत संबोधन में संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि वसंतोत्सव ढ़ाई आखर प्रेम का प्रतीक है और ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के यशस्वी कुलपति के ढ़ाई साल के उपलब्धि पूर्ण कार्यकाल के लिए अभिनंदन से और भी मीठा हो गया है। उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में विश्वविद्यालय का उतरोत्तर विकास हो रहा है। बल्कि आज मिथिला का यह विश्वविद्यालय देश-विदेश से ऑनलाइन जुड़ा होने के कारण वैश्विक स्तर पर अपनी पहुंच बनाने में कामयाब हो रहा है। इनके कुशल नेतृत्व में बी.एड. प्रवेश परीक्षा के संचालन का लगातार चौथी बार राज्य का नोडल विश्वविद्यालय बनकर इसने अपनी क्षमता का गौरवशाली परिचय दिया है। इसके साथ ही अवकाश प्राप्त कर्मियों को अवकाश के दिन ही पेंशन आदि भुगतान की सारी प्रक्रियाओं को पूरा करने की व्यवस्था की जितनी तारीफ की जाय कम है।

कार्यक्रम में अपना उद्गार व्यक्त करते हुए कुलपति प्रो सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि वास्तव में वसंत ऋतु हमारे मन का उल्लास है। यह हर किसी के भीतर की आशा है। ऐसे आयोजन शिक्षा के साथ कला एवं सांस्कृतिक विकास में सहायक साबित होते हैं। उन्होंने इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए विद्यापति संस्थान की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन से पारंपरिक कला में नई सांस्कृतिक चेतना की प्रेरणा जागृत होती है। पं कमलाकांत झा ने कहा कि वसंत को शास्त्र में संवत्सर का मुख, मधुमास कहा गया है। प्रेम की वृद्धि, होलिकोत्सव एवं वसंत पंचमी इसके प्रमुख आयाम हैं।

पूर्व विधान पार्षद प्रो दिलीप कुमार चौधरी ने कहा कि वसंत वास्तव में प्राकृतिक आनंद का उत्सव है। यह आंतरिक मनोभाव की जीवंतता का सद्य: प्रमाण है। मानुषिक एवं प्रकृतिप्रदत्त सौंदर्य का प्रतीक होने के साथ ही शीत व ग्रीष्म के बीच का संधि-पत्र है। पीजी मैथिली के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. रमेश झा ने कहा कि वसंत प्रकृति व मानव के बीच का सुंदर संयोग है। यह नई आशा व कामना के जीवंत होने का प्रमाण है।

अध्यक्षीय संबोधन में डा बुचरू पासवान ने साहित्य में अंतर्निहित वसंत की विभिन्न छवियों को उकेरा। उन्होंने कहा कि संस्कृत के कवियों, विशेषकर महाकवि कालिदास के रचना साहित्य में वसंत का सुंदर चित्रण है। वास्तव में प्रकृति के आनंदमय वातावरण में विद्या, बुद्धि व कला का समुचित विस्तार ही वसंत है।ं

कार्यक्रम में डा ममता ठाकुर, डा राधा मोहन मिश्र, नीरज झा, जानकी ठाकुर, शिशिर कुमार आदि द्वारा प्रस्तुत पारंपरिक होली गीतों ने समा बांध दिया। तबला पर हीरा कुमार झा की उंगलियों ने जमकर अपना जादू बिखेरा। समारोह में डा उदय कांत मिश्र, डा राम सुभग चौधरी, डा परमानन्द झा, हरि किशोर चौधरी, विनोद कुमार झा, प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ाभाई, प्रो विजय कांत झा, दुर्गा नन्द झा, प्रो राजकिशोर झा, मनीष झा रघु, श्याम राम आदि समेत बड़ी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित थे।