बिहार में भाईजान के दौरे से बौखलाने लगे हैं दोनों गठबंधन के नेता

#MNN@24X7 दरभंगा एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी 18 और 19 मार्च को सीमांचल के दौरे पर रहेंगे। लेकिन इससे पहले ही सियासी दलों में चर्चाएं गर्म है। जहां एक ओर राजद कहती है कि असदुद्दीन ओवैसी की इसबार दाल गलनेवाली नहीं है तो वहीं, बीजेपी कहती है कि ओवैसी का यह पदयात्रा फेल हो जाएगा। जिसपर AIMIM पार्टी के बिहार प्रदेश सचिव नजरे आलम ने पलटवार करते हुए ने कहा है कि, असदुद्दीन ओवैसी के आगमन की सूचना के बाद से एनडीए और महागठबंधन के लोग डरे हुए हैं उन्हें अपना वोट बैंक खिसकने का डर सता रहा है।

वही उन्होंने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में हमें 5 सीटों पर जीत मिली। लेकिन शोकल्ड सेकुलर पार्टी ने उसे तोड़ लिया। जिसके बाद से वहां के लोगों को लगने लगा कि ये पार्टियां हमारे लीडरशिप को पनपने नहीं देना चाहती है। इसलिए इसकी शुरुआत अब 2024 से ही शुरू करेंगे। ताकि 2025 में अधिक से अधिक अपने लोगों को विधानसभा भेज सकें। यही कारण है कि, दोनों गठबंधन के लोगों को डर सताने लगी है खासकर महागठबंधन के लोगों को जिसने 2025 में सत्ता में बने रहने का ख़्वाब पाल रखा है।

इतना ही नहीं, बिहार प्रदेश सचिव नजरे आलम ने यह भी कहा कि, दोनों गठबंधन ने पूर्णिया में रैली किया। अमित शाह ने रैली की फिर महागठबंधन ने रैली की। आखिर इसकी क्यों जरूरत पड़ी। जबकि अमित शाह कहते थे सीमांचल आतंकियों का जगह है। वहां आतंकी संगठनों के लोग रहते हैं। यानी वहां की जो मुस्लिम आबादी है। उसे आतंकियों का टैग लगाकर बोलते हैं और आज सीमांचल में कहते हैं। मोदी की लहर है 2024 में यहां के लोग मोदी के नाम पर वोट करेंगे।

लेकिन उन्होंने यह नहीं कहा कि, सीमांचल विकास आयोग का गठन कब करेंगे, पूर्णिया एयरपोर्ट कब शुरू करेंगे। यानी जो विकास के मुद्दे होनी चाहिए थी उसपे एक शब्द नहीं बोले। वहीं, महागठबंधन की महारैली में भी बिल्कुल ऐसा ही हुआ। वहां भी राजद जो मुस्लिम वोटरों को अपना गुलाम समझती रही है। उसे अपने पाले में करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। सात दलों के महागठबंधन होने के बावजूद उन्हें इस बात की डर है कि, मुस्लिम वोट उनके पाले से खिसक न जाए क्योंकि वहां एआईएमआईएम काफी मजबूत स्थिति में है।

वही नजरे आलम ने कहा कि आपने देखा होगा कि, पिछले विधानसभा में हमने पांच सीटें जीती थी। उसमें से हमारे चार विधायकों को तोड़ लिया गया। इससे हमारे माइनॉरिटी वोटर्स को लगने लगा है कि भाजपा ही नहीं ये जो शोकल्ड सेकुलर पार्टियां हैं। वो हमारे लीडरशिप को पनपने नहीं देना चाह रहे हैं। इसलिए 2024 से ही इसकी शुरुआत करेंगे। ताकि 2025 में अधिक से अधिक सीटों से अपने लोगों को असेंबली भेजेंगे। बस, इसी बात को लेकर दोनों गठबंधन के लोगों को डर सता रही है। इसी को लेकर एआईएमआईएम चीफ का दौरा बहुत ही अहमियत रखती है।

वही बिहार प्रदेश सचिव नजरे आलम ने कहा कि बिहार में AIMIM की सीमांचल से शुरुआत की गई थी। वहां से सारण और मुजफ्फरपुर पहुंची।अब हमारी पार्टी AIMIM मिथिलांचल में पांव पसार रही है। इसी बात की डर दोनों गठबंधन को सता रही है। इससे, 2024 में तो नुकसान होगा ही साथ ही 2025 में भी भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। हमे लगता है महागठबंधन जो सत्ता का ख़्वाब देख रही है उससे काफी पीछे रह जायेगी।