बिहार में जो 7 दलों का महागठबंधन है वो सरकार में मलाई मारने के लिए हैं, मांझी, कुशवाहा निकल गए, चिराग पासवान को लेकर अलग-अलग बातें हो रही है, लोकसभा चुनाव के जब नतीजे आएंगे, तो उसके बाद और भगदड़ मचेगी: प्रशांत किशोर।

#MNN@24X7 समस्तीपुर, बिहार की राजनीति व जेडीयू-आरजेडी और कांग्रेस समेत अन्य दलों के गठबंधन को लेकर जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने सोमवार को पोल खोलने वाला बयान दिया। प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में आज जो 7 दलों का महागठबंधन है, ये सरकार में मलाई मारने के लिए हैं, मुझसे लिखवाकर ले लीजिए, बिहार की राजनीति में 2024 के बाद बदलाव होंगे। महागठबंधन सरकार में लोग सरकार के फायदे के लिए एक साथ आए हैं और लोकसभा चुनाव तक वो एक दूसरे का गला-हाथ पकड़कर चलेंगे। लोकसभा चुनाव के जब नतीजे आएंगे, तो उसके बाद लोगों में भगदड़ या रिअसिस्टमेंट शुरू होगा। ये चीज मैं लिखकर दे सकता हूं कि बिहार में जो विधानसभा के चुनाव होंगे वो आज की परिस्थिति से बिल्कुल अलग होगा।

प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि जब बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी, तो उसी दिन मैंने कहा था कि बिहार में महागठबंधन की घटना राज्य स्पेसेफिक है। इस महागठबंधन का देशव्यापी असर नहीं होगा। ठीक उसी तरह, देश के दूसरे राज्यों में होने वाली घटना का असर बिहार की राजनीति पर होने वाला नहीं है। मैंने साथ में यह भी कहा था कि ये जो महागठबंधन की सरकार है 2024 तक किसी प्रकार चलेगी। जो भी इसमें परिवर्तन होगा, वो 2024 के बाद होगा। आप जो अनुमान लगा रहे हैं कि महाराष्ट्र की तरह यहां भी परिवर्तन होने की, वो अभी होने वाला नहीं है। हालांकि, कुछ एमपी और विधायक जेडीयू से भागकर भाजपा में चले जाएं, ये हो सकता है। लेकिन, उसका आज की सरकार पर असर नहीं पड़ेगा।

सरकार में 7 दलों को साथ रखना और चुनाव में साथ रखना है दो अलग-अलग बातें: प्रशांत किशोर।

समस्तीपुर में पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि महागठबंधन 7 दलों का था और एक ओर भाजपा थी, आप देख रहे हैं कि उसमें बदलाव होना शुरू हो गया। मांझी निकल गए, कुशवाहा निकल गए, चिराग पासवान को लेकर अलग-अलग बातें हो रही है। 2025 का जो चुनाव होगा उसमें क्या समीकरण बनता है, उसके लिए आप लोगों को इंतजार करना होगा। लेकिन, आज का फारमेशन जो है, वो नहीं रहेगा। कौन किधर जाएगा, कौन किधर भागेगा, ये मैं नहीं कह सकता हूं। क्योंकि आज जो 7 दलों का महागठबंधन है, ये सरकार में मलाई मारने के लिए है। सरकार में 7 दलों को साथ रखना और चुनाव में 7 दलों को साथ रखना दो अलग-अलग बातें हैं। मेरा अपना जो अनुभव है, सरकार में दलों को इसलिए साथ रखते हैं कि चलो जो भी लाभ मिल जाए, लेकिन जब चुनाव नजदीक आएंगे, तो ये फारमेशन बदलेगा।