आपको हमको अच्छा लगे न लगे आपको ये स्वीकार करना पड़ेगा क्योंकि जनता के जनमत से ऊपर कोई नहीं: प्रशांत किशोर।

#MNN@24X7 मुजफ्फरपुर, जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार से जब मीडिया के लोगों ने जब पूछा कि देश में अभी सबसे बड़ी चर्चा INDIA और BHARAT को लेकर है, अगर President Of Bharat लिखा गया है तो I.N.D.I.A वालों को इतनी आपत्ति क्यों है? इस पर प्रशांत किशोर ने कहा कि ये जो चर्चा चल रही है और जो संविधान में लिखा हुआ है उसमें दोनों शब्दों का प्रयोग है। INDIA और BHARAT दोनों है। आज के जो लोग शासन में हैं वो अगर INDIA के जगह BHARAT शब्द का प्रयोग करना चाहते हैं तो इसमें जो भी चुनकर आया है, उसका प्रेरोगेटिव है। मान लीजिए किसी जमाने में हम लोग मुंबई को बंबई, कभी मद्रास कहते थे आज चेन्नई कहा जा रहा है। अब ये सही है या गलत है इसमें हर व्यक्ति का अपना नजरिया हो सकता है। लोकतंत्र में अल्टीमेटली जो जनता है उसके विल को ही आप अंतिम विल मानते हैं।

अगर सरकार जनता की इच्छा आशा के अनुरूप काम नहीं कर रही है तो 5 बरस में सरकार को इसमें खामियाजा भुगतना पड़ेगा: प्रशांत किशोर।

मुजफ्फरपुर में प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि जिस संविधान की हम लोग शपथ लेते हैं जिसकी चर्चा करते हैं उसमें पहला लाइन ही लिखा है We The People यानी हम भारत के लोग। तो लोगों ने जिनको सरकार में बैठाया वही लोगों का जनमत है तो सरकार को निर्णय लेने दीजिए। लोग अगर इससे इत्तेफाक नहीं रखेंगे तो इसीलिए तो 5 बरस में चुनाव की व्यवस्था है। अगर सरकार जनता की इच्छा आशा के अनुरूप काम नहीं कर रही है तो 5 बरस में सरकार को इसमें खामियाजा भुगतना पड़ेगा। लेकिन देश की जनता उस बात से ध्वनि मत से वोट दे रही है, लोगों को वापस जिता रही है तो आपको हमको अच्छा लगे या नहीं आपको ये स्वीकार करना पड़ेगा, क्योंकि जनता से ऊपर देश में कोई नहीं है।

उन्होंने कहा कि कोई विद्वान कोई इंटेलेक्चुअल कोई ज्ञाता नहीं कह सकता कि हम देश में ऊपर हैं। जनता का विल ही अंतिम विल है उन्होंने जिनको चुना है उनसे ये अपेक्षा की जाती है कि जनता की आशा और अपेक्षा के अनुरूप आप काम करें। आप काम करें या न करें आपको हर 5 साल के बाद जनता के पास ये व्यवस्था है कि आपको पास होने के लिए आना पड़ेगा। सरकार अगर जनमत के भावना के अनुरूप काम नहीं करेगी उनके विरोध में काम करेंगे तो जनता अपने मत के द्वारा उसको जाहिर करेगी।