#MNN@24X7 दरभंगा। 5 मई, जन संस्कृति मंच के तत्वावधान में बुद्ध और कार्ल मार्क्स की जयंती के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष डॉ. रामबाबू आर्य ने की।कार्यक्रम की शुरुआत वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी भोला जी के द्वारा जनवादी गीतों की प्रस्तुति से हुई।

मौके पर जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. सुरेंद्र सुमन ने कहा कि बुद्ध और मार्क्स दोनों का लक्ष्य एक ही था। समयांतर के कारण पद्धति भले भिन्न-भिन्न हो। दोनों ही महापुरुष पूरी मनुष्यता की मुक्ति का दर्शन प्रदान करते हैं। जातिविहीन-वर्गविहीन समाज के निर्माण से नया हिंदुस्तान बनेगा। आज भारतीय सत्ता पूर्णतः धर्म और पूँजी के गठजोड़ से चल रही है। इस बर्बर फासीवादी निजाम को बदलने का संकल्प ही हमारे देश में मौजूद हजारों साल की इंकलाबी विरासत के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

वरिष्ठ माले नेता आर.के.सहनी ने कहा कि बुद्ध और मार्क्स के स्थापित मूल्यों पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। आज प्रगतिशील विचारों पर एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर निरंतर हमला किया जा रहा है। इसके बरक्स एक जनप्रतिरोध भी है। जनप्रतिरोध जितना व्यापक होगा, बुद्ध और मार्क्स की विचारधारा समाज में उतनी मजबूत होगी। जनप्रतिरोध को बुलंद करना आज समय की माँग है।

भाकपा माले के जिला सचिव बैद्यनाथ यादव ने कहा कि आज देश भीषण लोकतांत्रिक संकट के दौर से गुजर रहा है। खतरा भाजपा की फासीवादी निज़ाम से है और उसके मुकाबले का प्रश्न सामने है? देश के संकटों से निपटने के लिए रास्ता बुद्ध और मार्क्स से ही निकलेगा।आज के दौर में मार्क्स का दर्शन और विचार ही बहुत प्रासंगिक है।

वहीं जिलाध्यक्ष डॉ. रामबाबू आर्य ने कहा कि महात्मा बुद्ध ने प्रखरतम रूप से असमानता पर प्रहार किया। बुद्ध ने सामजिक संरचना में आमूलचूल परिवर्तन का रास्ता दिया। उन्होंने आर्थिक, सामाजिक क्षेत्रों के साथ-साथ सांस्कृतिक क्षेत्र में भी बड़ा बदलाव किया। उसी प्रकार से मार्क्स ने भी अपने समय में समाज की सामाजिक-सांस्कृतिक दशा-दिशा को बदल दिया। दोनों महापुरुषों की वैचारिकी का पूरी दुनिया पर बड़ा प्रभाव पड़ा।

डॉ. सजंय कुमार ने कहा सार्वजनिक संपत्ति के पक्षधर बुद्ध भी थे और मार्क्स भी। आज के इस भयावह पूंजीवादी दौर में नैतिक मूल्यों का क्षरण चरम पर है।इस अवसर पर प्रख्यात शिशु चिकित्सक डॉ. सूरज, प्रो. विनय शंकर चौधरी, पवन कुमार शर्मा, मयंक कुमार,रूपक कुमार आदि ने भी बातें रखीं।

कार्यक्रम का संचालन जिला सचिव समीर ने किया। कार्यक्रम के उपरांत हुई जसम जिला कमिटी की बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि जेठ पूर्णिमा को कबीर और बाबा नागार्जुन की जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जाएगा।