जेना ओ कहलनि ( साक्षात्कार कर्ता : लक्ष्मण झा सागर , प्रकाशक नीलम प्रकाशन ,कोलकाता फो.9883072050 ,मूल्य ₹300/- )

मैथिलीमे साक्षात्कार विषयक पोथी ,बहुत बेसी नहि तँ आब बहुत कमो नहि अछि । लक्ष्मण झा ‘सागर ‘ साहित्यकारक संग-संग कोलकाता, गुआहाटी ,दरभंगा ,दिल्ली आ आनो संस्थासभसँ जुड़ल छथि । निर्भीक आ स्पष्टवादी छथि । मैथिली भाषाक सरकारी मान्यता , साहित्यक भंडार भरबाक हेतु साहित्यकारक अवदान आ मैथिली संस्था ,संगठनक कार्य कलापपर हिनक ध्यान सदैव रहलनि अछि आ एखनो सक्रिय आ साकान्छ छथि ।
साक्षात्कार करब साधारणतया ओतेक सरल नहि अछि ,जतेक लोक बुझैत छैक । हमरा जनैत सागर जीक लेल गेल साक्षात्कार सफल ,उपयोगी जे इतिहास-पुराणक काज करत , जे भूगोलक निर्धारणमे सहायक हैत ,अनेक विद्वानक उक्ति संदर्भमे लेल जैत ,हुनका लोकनिक कैल जाय वला कार्य आ तत्कालीन साहित्य ,राजनीतिसँ लोक परिचित भय सकत । “वृथा न होइ देव् -ऋषि वाणी ” केँ मानि विभिन्न क्षेत्रक ऋषिसँ साक्षात्कार लेल गेल ई पुस्तक महत्वपूर्ण सिद्ध होयत ,से हमरा पूर्णतः विश्वास अछि ।
बाबू साहेब चौधरी सन आन्दोलनीक 1976 मे लेल गेल साक्षात्कार ,ओहि समय कलकत्ता मैथिलीक अनेक गतिविधिक मुख्य केन्द्र छल ,बहुत सूचना प्रद अछि , मैथिली लेल कैल गेल कार्यक दस्तावेज अछि । डॉ0 जयकान्त मिश्रसँ 1979मे लेल गेल साक्षात्कार, मैथिलीकेँ साहित्य अकादेमीमे मान्यता , साहित्य अकादेमीक कार्य-कलाप , हिस्ट्री ऑफ मैथिली लिटरेचरक अनुवाद प्रसंग ,संस्थाक गुटबन्दीक प्रसंग आदि अनेक प्रसंग अछि , जे महत्वपूर्ण अछि ।
डॉ0 वीरेन्द्र मल्लिक वरिष्ठ कवि साहित्यकार एवं सुप्रसिद्ध नाटककार श्री महेन्द्र मलंगियाक अपन-अपन क्षेत्रमे विशिष्ट अवदान छनि । श्री सागरजी हिनका लोकनिक अनुभव ,संघर्ष आ समकालीन साहित्यिक विशिष्टताक नीक प्रसंग छोड़ि हिनका लोकनिक मुँहसँ सुनबौलनि ,से नवागन्तुक लोकनिक लेल उपयोगी आ अनुकरणीय हैत ।

चूँकि सागरजी अपनहुँ मिथिला-मैथिलीक आन्दोलनसँ जुड़ल रहलाह अछि , ओहि प्रसंग अनेक आन्दोलनी जेना पीताम्बर पाठक , राजनन्दन लाल दास (संपादक कर्णमृत) ,सँ लेल गेल गेल साक्षात्कार महत्वपूर्ण अछि ।
श्री अशोक झाक छत्तीस पृष्ठक साक्षात्कार हुनक कोलकाता प्रवासक सम्पूर्ण गतिविधिक सांगोपांग वर्णन भेटि जायत साक्षात्कारक रूपमे । जे कोलकाताक बाहरक छी ,श्री अशोकजीक महत्वसँ परिचित भइये जायब आ एही महत्वक कारण साहित्य अकादेमीक तत्कालीन मैथिलीक सलाहकार समितिक संयोजक प0 चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’ (2003-2008)मे हिनका साहित्य अकादेमीमे सलाहकार समितिक सदस्य मनोनीत कयने रहथिन ।

अन्तमे श्री लक्ष्मण झा ‘सागर’क परिचय देबाक कोनो प्रयोजन नहि , मैथिलीक गतिविधिसँ जे परिचित छी ,से हिनकासँ परिचित होइबे करब । वर्तमानमे हिनकर त्यागक एक उदाहरण जे अपन सभ पोथी रजिस्टर्ड डाकसँ सयसँ उपरे साहित्यकार आ साहित्यानुरागीकेँ पठा उदाहरण प्रेषित कयलनि ।
हँ , एक बात आर ,एहि पोथीमे जे लेखकीय परिचय अछि ,ओहिमे अन्तिम पाँती अछि ,लेखकीय धर्म – “निर्भीक ,निर्लोभ ,स्पष्ट आ ईमानदार लेखन ।” एहि चारू बातसँ सहमति रखैत श्री सगरजीकेँ आभार जे साक्षात्कार जे लेलनि से, एहिमे सेहो उपर्युक्त चारू बात झलकैत छनि ।
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हितनाथ झा
31/03/2022