अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति के तत्वावधान में सोमवार को संसद के मानसून सत्र के पहले दिन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर विशाल धरना एवं प्रदर्शन आयोजित किया गया। प्रदर्शन के दौरान समिति की ओर से पृथक मिथिला राज्य के गठन, संवैधानिक भाषा मैथिली को उचित अधिकार, बाढ के स्थायी समाधान, मिथिला क्षेत्र के सर्वांगीण विकास सहित ज्वलंत मुद्दों पर आम व खास लोगों का ध्यान आकर्षित किया गया। प्रो अमरेन्द्र कुमार झा के संचालन में आयोजित धरना की अध्यक्षता संघर्ष समिति के अध्यक्ष डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने की।

मौके पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि मिथिला के सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनैतिक एवं भाषाई आजादी के बिना समग्र मिथिला क्षेत्र का विकास असंभव है. सड़़क से संसद तक संघर्ष जारी है और यह आंदोलन पृथक मिथिला राज्य का गठन होने तक अनवरत जारी रहेगा. डा बैजू ने कहा कि सनातनी मिथिला को पृथक राज्य के रूप में गठन की मांग करते हुए सौ बरस से ऊपर हो गया. इस भौगोलिक क्षेत्र में बंगाल से बिहार, उड़ीसा और झारखंड राज्य बन गया. लेकिन पृथक मिथिला राज्य के गठन की आठ करोड़ से अधिक मिथिला वासी के मांग की अब तक अनदेखी किया जाना निंदनीय है. उन्होंने कहा कि मिथिला क्षेत्र लगातार बिहार से अलग होने की बात कर रहा है क्योंकि मैथिलों के लिए बिहारी शब्द मिथिला के नैतिक पहचान ,नैतिक मूल्य, सभ्यता-संस्कृति, भाषा एवं विकास में बाधक है और इस कारण बिहार में मैथिलों की पहचान लुप्त होती जा रही है.

मिथिला राज्य अभियानी अशोक झा ने कहा कि आजादी के 75 वर्षों में मिथिला में बेरोजगारी और पलायन में बेहताशा वृद्धि हुई है .सभी चीनी व जूट मिल सहित उद्योग- धंधे बंद हो गए हैं. नेपाल में सक्रिय मैथिली अभियानी प्रवीण नारायण चौधरी ने कहा कि मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए अलग मिथिला राज्य का गठन जरूरी है. वरिष्ठ अभियानी पं हरेकांत झा, जयंती झा, सविता मिश्रा, अंजू झा आदि ने कहा कि मिथिला की प्रगति सरकारी उपेक्षा के कारण दिशाहीन हो गयी है. सरकारी उदासीनता के कारण शिक्षा और स्वास्थ्य के स्तर में तीव्र पतन हो रहा है.

संघर्ष समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभारी ईंजीनीयर शिशिर कुमार झा ने अपने संबोधन में मिथिला में आईआईटी, आईआईएम के स्थापना की मांग की. उन्होंने कहा कि 2021 के रिपोर्ट में भी बिहार गरीबी में देश भर में अव्वल है. ऊपर से मगही शासन की कुदृष्टि से मिथिला निरंतर दरिद्रता की ओर बढ रहा है. धरना को सम्बोधित करते हुए अंतर्राष्ट्रीय संयोजक प्रो अमरेन्द्र कुमार झा ने बिहार सरकार को आगाह किया कि पृथक मिथिला राज्य के लिए विधानसभा में जल्द प्रस्ताव पारित नहीं हुआ तो सम्पूर्ण मिथिला क्षेत्र में सड़क रोको, रेल रोको अभियान शुरू किया जायेगा. हीरालाल प्रधान, भगवंत झा, विजय आजाद ने दरभंगा में हाईकोर्ट बेंच के स्थापना की मांग की.

समिति के सचिव बृजमोहन मिश्र ने कहा कि जब तक हम पूर्ण रूप से संगठित नहीं होंगे हमें मिथिला राज्य नहीं मिलेगा. यह किसी एक व्यक्ति या संस्था की मांग नहीं है. यह संपूर्ण मिथिला वासियों की बहुत पुरानी मांग है जिसके लिए हम लगातार संघर्ष करते आ रहे हैं. युवा अभियानी पुरूषोत्तम वत्स ने कहा कि पृथक मिथिला राज्य का गठन हमारा अधिकार है और इसे हम हर हाल में लड़कर हासिल करेंगे। दिल्ली में रहने वाले तमाम मिथिला वासियों से उन्होंने अपील की वे संगठित होकर अपने हक के लिए संघर्ष करने को आगे आएं. तपन झा ने कहा कि स्वतंत्र मिथिला राज्य के लिए हमें अपने संघर्ष को धारदार बनाना होगा.

धरना प्रदर्शन को संबोधित करने वालों में अधिवक्ता श्री प्रदीप झा, सदानंद ठाकुर, शिवकर राय, भगवंत झा, सांत्वना झा, चन्द्रभान शर्मा प्रधान, अंजू झा, मोनी झा, मधुलता मिश्रा, सविता मिश्रा, एडवोकेट मुकेश आनंद, पार्षद अजीत झा, सुनील झा कौशल पाठक, डॉ राजपाल झा, डॉ विनोद नारायण झा, कवि राजीव एकांत, अनिल झा, डॉ कौशल मिश्र, चंद्र भानु शर्मा, डॉ सविता मिश्र, श्री नंदन झा, विश्व मैथिल संघ के अध्यक्ष शिक्षाविद अनिल कुमार झा, पत्रकार संतोष झा, पत्रकार मिहिर झा, पत्रकार किशन ठाकुर, मनीष झा, अंजनि झा, आदि उल्लेखनीय रहे. धरना प्रदर्शन के उपरांत मदन कुमार झा के नेतृत्व में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री को पृथक मिथिला राज्य के गठन सहित अन्य मांगों के समर्थन में ज्ञापन सौंपा गया।