•कालाजार उन्मूलन अभियान के तहत हो रहे छिड़काव का वीभीडी सीओ ने किया निरीक्षण।
• हर पीएचसी पर मुफ्त जांच सुविधा उपलब्ध।
• कालाजार उन्मूलन के लिए भारत सरकार का मानक प्राप्त।
• सरकार द्वारा रोगी को मिलती है आर्थिक सहायता।
#MNN@24X7 मधुबनी, 6 मई, जिले में कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के तहत अभियान लिए सिंथेटिक पायरोथायराइड (एसपी) कीटनाशक छिड़काव जिले के प्रभावित प्रखंड में किया जा रहा है. जिसका निरीक्षण जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ.विनोद कुमार झा के द्वारा बेनीपट्टी प्रखंड के अरेर डीह टोल में किया गया .
डॉ झा ने बताया अभियान 20 मार्च से शुरू किया गया है जो अगले 60 दिनों तक चलेगा. निरीक्षण के दौरान लोगों को मच्छरदानी लगाकर सोने, घरों के आसपास साफ-सफाई रखने और नालियों को साफ रखने आदि के लिए जागरूक किया जा रहा है। साथ ही आशा के माध्यम से उक्त जानकारी लोगों तक पहुंचाई जा रही है. ताकि, लोगों को वेक्टर जनित रोग जैसे कालाजार, मलेरिया, डेंगू से बचाव के लिए प्रेरित किया जा सके।
छिड़काव के दौरान उन्होंने उपस्थित लोगों तथा कर्मियों को बताया की छिड़काव के पूर्व घर की अन्दरूनी दीवार की छेद/दरार बंद कर दें, घर के सभी कमरों, रसोई घर, पूजा घर, एवं गोहाल के अन्दरूनी दीवारों पर छः फीट तक छिड़काव अवश्य कराएं एवं छिड़काव के दो घंटे बाद घर में प्रवेश करें, छिड़काव के पूर्व भोजन सामग्री, बर्तन, कपड़े आदि को घर से बाहर रख दें,ढाई से तीन माह तक दीवारों पर लिपाई-पोताई ना करें, जिसमें कीटनाशक (एस.पी) का असर बना रहे.
जिला में 16 प्रखंड के 59 राजस्व ग्रामों में कालाजार नियंत्रणार्थ हो रहा एस. पी. छिड़काव:
जिला में 16 प्रखंड के 59 राजस्व ग्रामों में कालाजार नियंत्रणार्थ एस. पी. छिड़काव किया जा रहा है. जिसमें बासोपट्टी,मधवापुर, बेनीपट्टी, विस्फी,जयनगर, खजौली, कलुआही, लौकही, खुटौना, बाबूबरही, लदनिया, लखनौर,मधेपुर,पंडोल, राजनगर, रहिका के 94,969 घरों के 23,9864 कमरों जिसमें आक्रांत राजस्व ग्रामों की जनसंख्या 4,76,817, में सुरु किया गया . जिसके लिए कुल 4,461 किलो एस.पी. उपलब्ध कराया गया है तथा कुल 26 दल बनाए गए हैं
कालाजार के कारण :
कालाजार मादा फाइबोटोमस अर्जेंटिपस(बालू मक्खी) के काटने के कारण होता है, जो कि लीशमैनिया परजीवी का वेक्टर (या ट्रांसमीटर) है। किसी जानवर या मनुष्य को काट कर हटने के बाद भी अगर वह उस जानवर या मानव के खून से युक्त है तो अगला व्यक्ति जिसे वह काटेगा वह संक्रमित हो जायेगा। इस प्रारंभिक संक्रमण के बाद के महीनों में यह बीमारी और अधिक गंभीर रूप ले सकती है, जिसे आंत में लिशमानियासिस या कालाजार कहा जाता है।
सरकार द्वारा रोगी को मिलती है आर्थिक सहायता :
डॉ. झा ने बताया कालाजार से पीड़ित रोगी को मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में पैसे भी दिए जाते हैं। बीमार व्यक्ति को 6600 रुपये राज्य सरकार की ओर से और 500 रुपए केंद्र सरकार की ओर से दिए जाते हैं। यह राशि वीएल (ब्लड रिलेटेड) कालाजार में रोगी को प्रदान की जाती है। वहीं चमड़ी से जुड़े कालाजार (पीकेडीएल) में 4000 रुपये की राशि केंद्र सरकार की ओर से दी जाती है।