हिमाचल प्रदेश के CM ने शिमला की तबाही का ‘बिहारियों’ को ठहराया जिम्मेदार: पांच बरस के बाद लिखकर रखिए अगर बिहार की दशा नहीं सुधरी तो UP और MP में भी हमें मारा जाएगा, कहेंगे बिहारी भगाओ: प्रशांत किशोर।
#MNN@24X7 समस्तीपुर, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का एक बयान खूब वायरल हो रहा है जिसमें यह दावा किया गया जा रहा है कि उन्होंने हिमाचल में हो रहे भूस्खलन के लिए बिहारी आर्किटेक्ट्स को जिम्मेदार ठहराया है। जाहिर है राजनीतिक बयानबाजी होनी है और वो हो भी रही है।
इसी क्रम में जन सुराज पदयात्रा के माध्यम से बिहार के लोगों को उनके हक के लिए लगातार जागरूक कर रहे प्रशांत किशोर ने कहा कि अभी भी समय है जाग जाइए, नहीं तो बिहारी कहकर दूसरे राज्यों के लोग जब गाली देते हैं, तो सुनने के लिए तैयार रहिए। वो दिन दूर नहीं कि अगर बिहार की दशा नहीं सुधरी तो पांच बरस उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी हमें मारा जाएगा और कहेंगे कि बिहारियों को भगाओ। इसलिए बिहार में सबसे जरूरी है कि पलायन को रोका जाय, क्योंकि जहां जाइए पूरे देश में जिसको भी 100 मजदूरों की जरूरत होती है, उसको कहा जाता है कि जाओ बिहार से मजदूर पकड़कर ले आओ। लालू यादव और नीतीश कुमार ने 32 सालों में बिहार को मजदूर बनाने की फैक्ट्री बना दी है। हम लोगों का आत्मसम्मान ही मर गया है। बच्चा पैदा कीजिए और उसको फिर पेट काटकर बड़ा कीजिए और ट्रेन में बस में जानवरों की तरह ठूंसकर भेज दीजिए मजदूरी करने के लिए। पेट काटकर मजदूरी करेगा और इसी में जीवन बीत जाएगा।
समस्तीपुर शहर में जन संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि जाति और धर्म के लिए वोट मत करिए अपने बच्चों के रोजगार के लिए वोट करिए। जन सुराज में हमने ये घोषणा की है कि हमारा पहला संकल्प है कि बिहार से जितने लोग बाहर गए हैं, सबको साल भर के अंदर यहां रोजगार दिया जाएगा। लोग आकर हमसे पूछता है कि कैसे होगा? आपको इतनी भी समझ नहीं है कि गुजरात, केरल और तमिलनाडु से आकर यहां बिहार में मजदूरी कर रहा है। गुजरात, केरल, तमिलनाडु सहित दूसरे राज्यों में भी गरीबी है, लेकिन वहां के लोगों ने ये व्यवस्था कर ली है कि उन्हें पंद्रह हजार रूपये कि नौकरी के लिए अपना घर-परिवार और राज्य छोड़कर बाहर नहीं जाना पड़ता है। अगर ये व्यवस्था गुजरात, केरल, तमिलनाडु सहित दूसरे राज्यों में बन सकती है, तो यहां क्यों नहीं बन सकती है? बिहार में भी ये बिल्कुल किया जा सकता ha कि हर पंचायत में अगर 500 से 700 लोगों के लिए रोजगार की व्यवस्था कर दें, तो जो लोग बाहर हैं, वो वापस आ सकते हैं।