• वर्ष 2023 में अबतक 4 मरीज मिले
• हर पीएचसी पर मुफ्त जांच सुविधा उपलब्ध
• कालाजार उन्मूलन के लिए भारत सरकार का मानक प्राप्त
• सरकार द्वारा रोगी को मिलती है आर्थिक सहायता
#MNN@24X7 मधुबनी / अगस्त। कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सिंथेटिक पायरोथायराइड (एसपी) कीटनाशक के दूसरे चरण का छिड़काव जिले के कालाजार प्रभावित 16 प्रखंडों में 16 अगस्त से संचालित है। यह अगले 60 दिनों तक चलेगा। गुरुवार को जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. विनोद कुमार झा ने पंडोल प्रखंड के मोहनपुर में संचालित छिड़काव का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने लोगों को मच्छरदानी लगाकर सोने, घरों के आसपास साफ-सफाई रखने और नालियों को साफ रखने आदि के लिए जागरूक किया। साथ ही उन्होंने स्वास्थ्य कर्मी को लोगों तक जानकारी पहुंचाने का निर्देश दिया। ताकि, लोगों को वेक्टर जनित रोग जैसे कालाजार, मलेरिया, डेंगू से बचाव के लिए प्रेरित किया जा सके। उन्होंने बताया कि छिड़काव के पूर्व घर की अन्दरूनी दीवार की छेद/दरार बंद कर दें, घर के सभी कमरों, रसोई घर, पूजा घर, एवं गोहाल के अन्दरूनी दीवारों पर छः फीट तक छिड़काव अवश्य कराएं। छिड़काव के दो घंटे बाद घर में प्रवेश करें। छिड़काव के पूर्व भोजन सामग्री, बर्तन, कपड़े आदि को घर से बाहर रख दें। ढाई से तीन माह तक दीवारों पर लिपाई-पोताई ना करें। जिससे कीटनाशक (एस.पी) का असर बना रहे।
जिला में 16 प्रखंड के 60 राजस्व ग्रामों में कालाजार नियंत्रणार्थ हो रहा एस. पी. छिड़काव:
डॉ. झा ने बताया जिला में 16 प्रखंड के 60 राजस्व ग्रामों में कालाजार नियंत्रणार्थ एस. पी. छिड़काव किया जाएगा। जिसमें मधवापुर , बासोपट्टी,मधेपुर, लखनौर, बेनीपट्टी, बिस्फी, खजौली, कलुआही, रहिका, झंझारपुर, लदनिया, लौकही, बाबूबरही, खुटौना, राजनगर, पंडौल प्रखंड शामिल हैं । इन प्रखंडों के 95,727 घरों के 24,1761 कमरों में एसपी का छिड़काव होगा। जिसमें आक्रांत राजस्व ग्रामों की जनसंख्या 47,9603 है। जिसके लिए कुल 4,496 किलो एस.पी. उपलब्ध कराया गया है। इसके लिए कुल 26 छिड़काव दल बनाए गए हैं।
कालाजार के कारण :
कालाजार मादा फाइबोटोमस अर्जेंटिपस(बालू मक्खी) के काटने के कारण होता है, जो कि लीशमैनिया परजीवी का वेक्टर (या ट्रांसमीटर) है। किसी जानवर या मनुष्य को काट कर हटने के बाद भी अगर वह उस जानवर या मानव के खून से युक्त है तो अगला व्यक्ति जिसे वह काटेगा वह संक्रमित हो जायेगा। इस प्रारंभिक संक्रमण के बाद के महीनों में यह बीमारी और अधिक गंभीर रूप ले सकती है। जिसे आंत में लिशमानियासिस या कालाजार कहा जाता है।
सरकार द्वारा रोगी को मिलती है आर्थिक सहायता :
कालाजार से पीड़ित रोगी को मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में पैसे भी दिए जाते हैं। बीमार व्यक्ति को 6600 रुपये राज्य सरकार की ओर से और 500 रुपए केंद्र सरकार की ओर से दिए जाते हैं। यह राशि वीएल (ब्लड रिलेटेड) कालाजार में रोगी को प्रदान की जाती है। वहीं चमड़ी से जुड़े कालाजार (पीकेडीएल) में 4000 रुपये की राशि केंद्र सरकार की ओर से दी जाती है।
कालाजार के लक्षण :
– लगातार रुक-रुक कर या तेजी के साथ दोहरी गति से बुखार आना।
– वजन में लगातार कमी होना।
– दुर्बलता।
– मक्खी के काटे हुए जगह पर घाव होना।
– व्यापक त्वचा घाव जो कुष्ठ रोग जैसा दिखता है।
– प्लीहा में नुकसान होता है।