#MNN@24X7 दरभंगा, ऑल इंडिया सेव एडुकेशन कमिटी दरभंगा के तत्वावधान में मिलान चौक स्थित कार्यालय में भारतीय नवजागरण के प्रणेता ईश्वर चंद्र विद्यासागर की जयंती के अवसर पर सार्वजनिक शिक्षा बचाओ दिवस के रूप में मनाया गया। इसकी अध्यक्षता मुजाहिद आजम ने किया।
सभा को संबोधित करते हुए सचिव डॉ लाल कुमार ने कहा कि भारतीय नवजागरण के अग्रदूत स्त्री शिक्षा के पछधर विधवा पुनर्विवाह के प्रनेता और अपने देश में लोकतांत्रिक वैज्ञानिक तथा धर्मनिरपेक्ष शिक्षा के पथ प्रदर्शक ईश्वरचंद्र विद्यासागर का जन्म 26 सितंबर 1820 ईस्वी में हुआ था वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने धार्मिक सुधारो के रास्ते चल रहे हैं नवजागरण आंदोलन को इतिहास विज्ञान और तर्क के दृढ पथ की ओर मोड़ने का काम किया। वे धार्मिक अंधविश्वास और कट्टरता से मुक्त धर्मनिरपेक्ष तथा मानवतावादी शिक्षा के हिमायती थे और वह चाहते थे कि भारतीय शिक्षा प्रणाली में पश्चात वास्तुवादी और वैज्ञानिक विचारों का तर्कपूर्ण समन्वय हो। उनका कहना था छात्रों को अंग्रेजी सिखाओ जेएस मिल का तर्कशास्त्र लॉजिक पढ़ाओ इसे दुनिया के ज्ञान विज्ञान से परिचित होने का मौका देना होगा। देश के युवा यदि अंग्रेजी सीखने हैं तो उसके जरिए वे इतिहास तर्कशास्त्र और आधुनिक वैज्ञानिक चिंतन के साथ परिचित होंगे और इस आधार पर वैज्ञानिक शिक्षा धर्मनिरपेक्ष जनवादी और सार्वजनिक शिक्षा का आधार तैयार होगा जिस छात्र युवा सही मायने में इंसानियत हासिल कर पाएंगे।
अध्यक्ष संबोधन में मुजाहिद आज़म ने कहा कि शिक्षा जीवन और सभ्यता के सबसे महत्वपूर्ण सवालों में से एक हैं। यह किसी सरकार या सत्ता की रखैल नहीं अपितु समूची मनुष्य जाति के वर्षों के संघर्ष की उपज है।इसके निर्माण में समाज का जबरदस्त हाथ है।इसने आज के मानव का निर्माण किया है और इसलिए हम कहते हैं कि आज का मनुष्य उतना प्रकृति का पुत्र नहीं है।जितना समाज का है। कोई भी सामाजिक क्रांति बिना शैक्षिक उन्नयन के अपने लक्ष्य को नहीं पा सकती है।यह समाज की सबसे बड़ी निधि है। यही है जो मनुष्य और पशु में मतभेद करती है। परंतु आजादी के बाद से ही सभी केंद्र और राज्य सरकार ने इस निर्माणकारी भूमिका को जानकारी कर इस सूचना देने परीक्षा पास करने और व्यापारिक यंत्र में तब्दील करने का साधन बन बैठी है।
अन्य वक्तों हरे राम राज,मनोज कुमार, इरशाद अंसारी, रोशन कुमार, छवि कुमार, गणेश कुमार, रूपेश कुमार, मनीष कुमार आदि ने भी अपना वक्तव्य रखा।