राजनीति में परिवारवाद दीमक की तरह है और लालू जी इसी तरह के बयान के लिए जाने जाते हैं-प्रशांत किशोर।
#MNN@24X7 पटना, जन सुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने राजनीति में परिवारवाद पर तंज करते हुए कहा कि लालू जी के बयान पर तीखा टिप्पणी करना बेइमानी है। लालू जी अपने इस तरह के बयान के लिए ही जाने जाते हैं, राजनीतिक में जहां तक परिवारवाद की बात है तो ये हर तरीके से गलत है, परिवारवाद दीमक की तरह राजनीति को बर्बाद कर रहा है। अगर नेता के बच्चे ही नेता बनेंगे तो इससे लोकतंत्र ही देश में खत्म हो जाएगी। बाकियों की बात आप छोड़ दीजिये, हम आपको बिहार का एक आंकड़ा देते हैं जो मोदी जी नहीं बोलते हैं। आज बिहार में पिछले 30 बरस से सिर्फ़ 1250 परिवार के लोग ही राजनीति में विधायक और मंत्री बने हैं। बिहार में आज कोई ऐसा विधानसभा क्षेत्र नहीं है जहां राजनीतिक परिवारों का दबदबा न हो।
6 मार्च को मोदी जी को चंपारण में बिहार की जनता को बताना चाहिए कि उनके अध्यक्ष सम्राट चौधरी परिवारवाद की उपज हैं या नहीं?
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि 6 मार्च को मोदी जी चंपारण आ रहे हैं इसपर उन्हें परिवारवाद पर बोलना चाहिए। देश भर में हमने देखा कि अगर आपके पिता जी विधायक-मंत्री नहीं हैं, तो आपके लिए चुनावी राजनीति में आना बहुत कठिन है। जिसमें बीते 30 वर्षों में पता चला कि 1250 परिवार के लोग ही विधायक-सांसद बने हैं। परिवारवाद को लेकर हमें लगता है कि एक लालू जी का परिवार है, एक राम विलास पासवान जी का परिवार है, ऐसी बात नहीं है। हर प्रखंड में दो-चार परिवार ऐसे हैं जिनता राजनीति पर कब्जा है। दल कोई रहे, नेता कोई रहे, जनता सोचती है कि कांग्रेस को उखाड़ दिए लालू जी को ले आए, लालू जी को उखाड़ दिए नीतीश जी को ले आए, नीतीश जी को उखाड़ दिए भाजपा को ले आए। अभी उदाहरण बताएंगे जिसमें आप किसी दल को ले आइए नेता वही रहेगा, उसी परिवार का रहेगा। आगे प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार की आबादी है 13.5 करोड़। यहां 3.5 करोड़ परिवार के लोग रहते हैं। लेकिन, विधायक-सांसद 1250 परिवार के लोग ही बनते हैं। आरजेडी और क्षेत्रीय दलों के बारे में सब जानते हैं कि वो परिवारवाद की पार्टी है। लेकिन, भाजपा को लेकर लोगों को लगता है कि ये परिवारवाद की पार्टी नहीं है। भाजपा से जो उप मुख्यमंत्री हैं सम्राट चौधरी ये शकुनी चौधरी के बेटे हैं। जब बिहार में कांग्रेस का दौर था उसमें शकुनी चौधरी विधायक-मंत्री थे, लालू जी के दौर में भी, नीतीश जी के दौर में भी, मांझी जी जब मुख्यमंत्री बने तो उसमें भी विधायक-मंत्री शकुनी चौधरी थे और आज जब भाजपा का दम हुआ है, तो उन्हें भी साधारण परिवार का राजनीतिक कार्यकर्ता, कुशवाहा समाज का नेता नहीं मिला उन्हें भी शकुनी चौधरी का लड़का ही मिला।