23 वीं पुण्यतिथि पर किया माल्यार्पण, अर्पित की भावभीनी श्रद्धांजलि।

#MNN@24X7 दरभंगा मिथिला के वरद् पुत्र आचार्य सुरेंद्र झा सुमन की 23वीं पुण्यतिथि बुधवार को मनाई गई। विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में महासचिव डाॅ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने आचार्य सुरेंद्र झा सुमन को ऐतिहासिक महापुरुष बताते हुए एक आम मैथिल, विशिष्ट साहित्यकार, कर्मनिष्ठ संपादक, जनप्रिय विधायक और सांसद के रूप में उनके कृतित्व एवं व्यक्तित्व की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने आचार्य सुमन के रचना-कर्म की विस्तार से चर्चा करते कहा कि सुमन जी सही मायने में एक अमर साहित्यकार थे। जिनकी लेखनी में कवि-हृदय के स्वच्छन्द भाव और मुख से प्यार व दुलार सदैव प्रस्फुटित होता था। युवा जदयू नेता जितेन्द्र राम ने अपने संबोधन में कहा कि सुमन जी एक अमर साहित्यकार होने के साथ ही कुशल राजनीतिज्ञ भी थे। उन्होंने सुमनजी को सजग राष्ट्र का सजग प्रहरी बताते हुए कहा कि आचार्य सुमन अपनी कृतियों में अमर हैं और अमर रहेंगे।

प्रो चंद्रशेखर झा बूढाभाई ने कहा कि सुमनजी अपने सद्गुण के कारण स्वत: हृदयग्राही थे। मैथिली साहित्य के आकाश में जिस तरह आचार्य सुमन ध्रुवतारा की तरह चमकते हैं, उसी तरह अमूल्य साहित्य सृजन कर उन्होंने मिथिला के सामाजिक सुधार में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। आशीष चौधरी ने अपना विचार रखते हुए आचार्य सुमन को मैथिली साहित्य का अद्भुत उपासक व महान राष्ट्र भक्त करार दिया।

मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने कहा कि सुमन जी मैथिली साहित्य जगत के ऐसे साहित्यकार के रूप में विख्यात हैं, जिन्होंने विपुल साहित्य के संयोजन और रचना के पश्चात स्वयं को ही साहित्य सर्जना का विषय बना लिया है। यह निसंदेह प्रेरणास्पद है। उन्होंने सुरेंद्र झा सुमन रचित शिव पंचाक्षर स्तुति की चर्चा करते हुए कहा कि देवों के देव महादेव की महिमा का वर्णन करती सुमन जी की यह रचना भारतीय साहित्य की अनुपम, अद्वितीय और अद्भुत कृति है।

इससे पहले हराही पोखर स्थित आचार्य सुरेंद्र झा सुमन की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर समस्त मिथिलावासी की ओर से श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। इस अवसर पर विनोद कुमार झा, प्रो विजय कांत झा, डॉ गणेश कांत झा, दुर्गानंद झा, नवल किशोर झा, चन्दन सिंह, रामाज्ञा झा, मनीष झा रघु आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।