
गीत- मिथिलाक दुर्दशा जौं, नहि दूर कय सकी तँ (श्यामानन्द झा)
मिथिलाक दुर्दशा जौं, नहि दूर कय सकी तँ, विद्वान ओ धनिक भय, बाते बनाय की हो। अपना बुतय होअय जे, […]
मिथिलाक दुर्दशा जौं, नहि दूर कय सकी तँ, विद्वान ओ धनिक भय, बाते बनाय की हो। अपना बुतय होअय जे, […]
जय जय भैरवि असुर भयाउनि, पशुपति-भामिनि माया । सहज सुमति वर दियउ गोसाञुनि, अनुगत-गति तुअ पाया। वासर रैनि शवासन शोभित, […]