विभिन्न सामाजिक एवं राजनीतिक संगठनों के साथ आम जनमानस ने एक मंच पर आकर किया विरोध प्रदर्शन

#MNN@24X7 दरभंगा। बिहार लोक सेवा आयोग की 68वीं प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की संरचना में किए गए संशोधन में व्याप्त विसंगतियों के प्रति सामूहिक विरोध जताने के लिए हज़ारों की संख्या में विभिन्न सामाजिक एवं राजनीतिक संगठनों के साथ-साथ आम लोगों ने एक मंच पर आकर मंगलवार को दरभंगा समाहरणालय के समक्ष आयोजित विशाल सामूहिक धरना कार्यक्रम में भाग लिया।

चेतना समिति, पटना के पूर्व अध्यक्ष विवेकानंद झा की अध्यक्षता में आयोजित धरना कार्यक्रम में मिथिला- मैथिली से संबंधित विभिन्न संगठनों में विद्यापति सेवा संस्थान, (दरभंगा), अखिल भारतीय मिथिला संघ (दरभंगा), अखिल भारतीय मैथिली परिषद (दरभंगा), मिथिला राज्य संघर्ष समिति (दरभंगा), अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति ( दिल्ली/ काठमांडू), मैथिल समाज, रहिका, (मधुबनी), मिथिला स्टूडेंट यूनियन एवं मिथिला विकास परिषद (कोलकाता) सहित अनेक राजनीतिक संगठन के कार्यकर्ताओं के साथ विभिन्न भाषाओं के लेखक, कवि, साहित्यकार, बुद्धिजीवियों एवं आम नागरिकों ने अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज की।

मौके पर बीपीएससी परीक्षा में वैकल्पिक विषय के रूप मैथिली सहित विभिन्न भाषाओं को महत्वहीन किए जाने के विरुद्ध आवाज बुलंद करने के साथ ही दरभंगा में एम्स निर्माण में हो रही राजनीतिक साजिश और दरभंगा में पटना उच्च न्यायालय के स्पेशल बैंच की स्थापना में हो रही अनावश्यक देरी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई।
धरना की अध्यक्षता करते हुए विवेकानंद झा ने कहा कि संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल मैथिली व अन्य भाषाओं को मनमाने तरीके से बीपीएससी में महत्वहीन बनाकर बिहार सरकार ने अपनी मंशा साफ कर दी है कि उन्हें मिथिला-मैथिली के विकास से कोई सरोकार नहीं है।

विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाओं को इस परीक्षा की वैकल्पिक विषयों की सूची से हटाया जाना और मेधा सूची में इन विषयों के प्राप्तांक को नहीं जोड़े जाने का प्रावधान न्याय संगत नहीं है। ऐसा होने से भाषा साहित्य के प्रतिभावान छात्रों को न सिर्फ काफी नुकसान होगा, बल्कि ऐसी भाषाओं के व्यवहार में नहीं होने से धीरे-धीरे वे अपना अस्तित्व खो बैठेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार लोक सेवा आयोग के इस निर्णय को लेकर उन्होंने पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी है और उचित न्याय मिलने तक यह आंदोलन जारी रहेगा। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने घोषणा की कि मिथिला व मैथिली के विकास के लिए अब याचना नहीं, रण होगा।

मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा की पढ़ाई मैथिली में शुरू किए जाने से कन्नी काटती रही बिहार की सरकार बिहार लोक सेवा आयोग में इस भाषा को महत्वहीन बनाकर उच्च शिक्षा में भी इस भाषा के अस्तित्व को मिटाने का चक्रव्यूह रच रही है। लेकिन वह अपनी इस मंशा में कारगर नहीं हो सकती, क्योंकि मिथिला के लोग अब जाग चुके हैं। विद्यापति सेवा संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डा बुचरू पासवान ने कहा कि बीपीएससी के पाठ्यक्रम में 300 अंकों के वैकल्पिक विषय के रूप में मैथिली सहित पहले से काबिज विभिन्न भाषाओं को स्थान दिलाने तक सड़क से सदन और न्यायालय तक लड़ाई जारी रहेगी।

मौके पर प्रो उदय शंकर मिश्र ने बीपीएससी द्वारा मैथिली सहित अन्य भाषाओं के साथ किए जा रहे कुठाराघात को आत्मघाती बताते हुए मिथिला एवं मैथिली के विकास के नाम पर हो रही ओछी राजनीति के विरुद्ध दलगत भावनाओं से ऊपर उठकर विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं एवं अन्य संगठनों के एक मंच पर आकर इसके विरुद्ध आवाज बुलंद किए जाने का स्वागत किया।

वरिष्ठ साहित्यकार डा योगानंद झा ने कहा कि मिथिला एवं मैथिली के विकास में आ रही बाधाओं के स्थायी निदान के लिए अब अलग मिथिला राज्य का निर्माण जरूरी हो गया है। मिथिला स्टूडेंट यूनियन के अविनाश भारद्वाज ने कहा कि बिहार की सरकार वोट की राजनीति के नाम पर एकला चलो की रणनीति में कामयाब नहीं हो पाएगी। उनके इस निर्णय के विरुद्ध ईट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा। कांग्रेस नेता रामनारायण झा एवं भाजयुमो के जिलाध्यक्ष बालेन्दु झा ने इस मामले को राजनीतिक प्लेटफार्म पर उठाकर बिहार सरकार की ओछी राजनीति का पर्दाफाश करने की बात कही।

स्वर्णिम किरण झा ने कहा कि स्वतंत्र साहित्य, व्याकरण और लिपि से संपन्न भारत की प्राचीनतम भाषाओं की अस्मिता के साथ भी खिलवाड़ करने से बिहार की सरकार बाज नहीं आना निंदनीय और चिंताजनक है। प्रियंका झा ने सरकार के इस निर्णय के खिलाफ नारी शक्ति को आगे आने का आह्वान किया। दरभंगा जिला मुखिया संघ के अध्यक्ष महेश कुमार झा ने सवाल उठाया कि जिन भाषाओं को वैकल्पिक विषय के रूप में यूपीएससी और अन्य राज्यों की लोक सेवा आयोग में मान्यता मिली हुई है, उसे बिहार सरकार मनमानी तरीके से कैसे हटा सकती है?

कार्यक्रम में प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ा भाई, डा गणेश कांत झा, विनय कुमार झा संतोष, राम मोहन झा, सिया राम चौधरी, विनोद कुमार झा, प्रो विजय कांत झा, राजेश चौधरी, चंद्रेश, जयराम झा, राजीव चौधरी, डा ममता ठाकुर, नवल किशोर झा, आरके दत्ता, सुरेश पासवान, विपिन कुमार दास, शहाना खातून, पुरुषोत्तम वत्स, हरि किशोर चौधरी आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।