#MNN@24X7 दरभंगा, 01 मार्च, समाहरणालय अवस्थित बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर सभागार में विशेष किशोर पुलिस इकाई एवं बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारियों (CWPOs) हेतु एक दिवसीय उन्मुखीकरण-सह-प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
    
कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन कर जिलाधिकारी, दरभंगा राजीव रौशन के कर कमलों से किया गया, इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव-सह-अपर जिला सत्र न्यायाधीश दीपक कुमार, नगर पुलिस अधीक्षक सागर कुमार, सहायक निदेशक, जिला बाल संरक्षण इकाई नेहा नूपुर ने सहयोग प्रदान किया।    
     
इसके बाद बाल गृह में आवासित बच्चों ने अतिथियों का स्वागत पौधा देकर किया, साथ ही जिला पदाधिकारी द्वारा कानूनी रूप से बच्चा गोद लेने एवं बच्चों का शोषण रोकने का संदेश देने वाले कॉफी मग का विमोचन किया गया।
     
सहायक निदेशक ने कार्यक्रम का संक्षिप्त परिचय देते हुए कहा कि इस प्रशिक्षण में मुख्यतः किशोर न्याय अधिनियम-2015 व किशोर न्याय नियमावली -2017 तथा पोक्सो एक्ट 2012 व नियमावली 2020 के तहत किए गए प्रावधान तथा बच्चों के संरक्षण के लिए बनाई गयी संरचना पर विस्तार से चर्चा की जायेगी,ताकि बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी अपनी भूमिका संवेदनशीलता के साथ निभा सके।
       
इस अवसर पर बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि बच्चों के संदर्भ में बाल अधिकार संरक्षण के संबंध में कार्यशाला रखी गयी है।
       
उन्होंने कहा कि कोई भी समाज तब तक तरक्की नहीं कर सकता है, जब तक वो अपनी भावी पीढ़ी को एक सुरक्षित माहौल न दे सके।
       
हमें भावी पीढ़ी को सही दिशा देने के लिए उसे अपराधों से बचाना है और यदि किसी कारण से कोई अपराध में संलिप्त हो गया है, उसे सही दिशा नहीं मिल सकी है तो हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि किस प्रकार हम उसके युवावस्था को देखते हुए उसे एक सही दिशा दिखा सके।
       
बच्चों को सही दिशा दिखाना भी समाज का ही उत्तरदायित्व है, उन्होंने कार्यक्रम में भाग लेने के लिए बच्चों के प्रति आभार प्रगट किया। हम लोग अपने दायित्व को सही तरह से निर्वहन करेंगे तो आने वाले भविष्य को सही दिशा मिलेगी।
     
उन्होंने कहा विश्व के इस दौर में हम देखते हैं की कई बार बड़े व संगठित अपराधी बच्चों का प्रयोग करते हैं,हमे ऐसे बच्चों को मुख्यधारा में जोड़ना होगा,उनकी उर्जा को सकारात्मक दिशा देनी होगी, उनके विचारों को हम समाज निर्माण की दिशा में, विकास में, कलात्मक गतिविधियों में जोड़ सकते हैं।
     
उन्होंने सभी संबंधित पदाधिकारियों से कहा कि बाल गृह और पर्यवेक्षण गृह मे आवासित बच्चे यहां से जाने के बाद एक कामयाब नागरिक बने, तब हमारी सफलता होगी। इन बच्चों को स्कूल से जोड़ने का काम करें, जिससे उनको आगे आने वाला भविष्य में, जीवन चलाने में, आर्थिक गतिविधि आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी तो वह वास्तव में हमारी सफलता होगा।
     
उन्होंने सभी पदाधिकारियों से अनुरोध किया कि वे भी इन बच्चे से मिले, बच्चे से जुड़े, बच्चों को सही दिशा दें एवं बच्चों के हित में सोचें।
   
किशोर न्याय अधिनियम- 2015 की धारा-107 के अंतर्गत जिले में विशेष किशोर पुलिस इकाई का गठन किया गया है। जिसकी अध्यक्षता पुलिस उपाधीक्षक मुख्यालय करते हैं। यह इकाई बालकों से संबंधित पुलिस के सभी कार्यों का समन्वय करते हुए। बच्चों का संरक्षण एवं किशोर न्याय अधिनियम के क्रियान्वयन में अन्य हितधारकों (Stackholders) के साथ मिलकर अपनी भूमिका का निर्माण करती है।

इस इकाई के अंतर्गत प्रत्येक थाने में एक अधिकारी जो थाना प्रभारी के बाद सबसे वरीय अधिकारी हो, को बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी के रूप में नामित किया गया है। बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी के पद का सृजन थाने में बच्चों के अनुकूल वातावरण बनाने और बच्चों से संबंधित मामलों के प्रति पुलिस को संवेदनशील बनाने के उद्देश्य किया गया है।
    
यूनिसेफ बिहार के शाहिद परवेज तथा सैफुर् रहमान द्वारा सीडब्ल्यूपीओ के कर्तव्य एवं दायित्वों से अवगत कराया गया। बताया गया कि किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा-32 में वर्णित है कि परिवार से पृथक बालक की सूचना न देने पर छह माह का कारावास या 10 हजार रुपये जुर्माना या दोनों दंड अधिरोपित किया जा सकता है।

धारा-42 के अनुसार गैर पंजीकृत संस्था प्रभारी होने पर 1 वर्ष का कारावास या 1 लाख रुपये या दोनों दंड अधिरोपित किया जा सकता है।
  
इसी प्रकार धारा-75 के अनुसार बच्चों के प्रति क्रुरता के लिए 3 वर्ष का कारावास एवं 1लाख रुपये या दोनों दंड अधिरोपित किया जा सकता है।
   
धारा-76 के अनुसार बच्चों से भिक्षावृत्ति करवाने पर 5 वर्ष का कारावास या एक लाख रुपये या दोनों दंड अधिरोपित किया जा सकता है।

धारा-77 के अनुसार मादक द्रव्य का सेवन करवाने एवं धारा-78 के अनुसार मादक द्रव्य का व्यवसाय करवाने के लिए 7 वर्ष का कारावास या 1लाख रुपये या दोनों दंड अधिरोपित किया जा सकता है।

धारा-80 के अनुसार बिना प्रक्रिया के दत्तक ग्रहण के लिए 3 वर्ष का कारावास या 1लाख रुपये या दोनों दंड अधिरोपित किया जा सकता है।
   
धारा-79 के अनुसार बाल कर्मचारी का शोषण करने पर 5 वर्ष का कारावास या 1 लाख रुपये या दोनों दंड अधिरोपित किया जा सकता है।
    
धारा-81 के अनुसार बच्चों की बिक्री करना संज्ञेय अपराध है जिसके लिए 5 वर्ष का कारावास या 1लाख रुपये या दोनों दंड अधिरोपित किया जा सकता है।
   
धारा-83 के अनुसार युद्ध समूह द्वारा बच्चों का उपयोग संज्ञेय अपराध माना गया है जिसके लिए 7 वर्ष का कारावास या 5 लाख रुपये या दोनों अधिरोपित किया जा सकता है।
   
धारा-84 के अनुसार बच्चों के अपहरण के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा-359 से 369 के तहत सजा दी जाती है।
   
शाहिद परवेज द्वारा विधि विरुद्ध बच्चों के संबंध पुलिस द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के बारे मे बताते हुए बच्चों द्वारा किये जाने वाले अपराधो का वर्गीकरण, उम्र पर संशय होने पर उम्र निर्धारण की प्रक्रिया तथा पुलिस द्वारा आमतौर पर की जाने वाली गलतियों पर विशेष रूप से चर्चा की गयी।
 
शाहिद जी ने पोक्सो एक्ट के तहत पुलिस द्वारा बयान दर्ज करने, संबंधित धारा लगाने आदि के बारे मे प्रशिक्षण दिया गया।
  
प्रशिक्षण के अंतिम चरण मे प्रतिभागियों से फीडबैक लिया गया तथा उन्हे यूनिसेफ के प्रशिक्षकों को धन्यवाद देते हुए कार्यक्रम का समापन किया गया।