प्रशांत किशोर का नीतीश कुमार के विपक्षी एकता प्रयास पर तंज, बोले – अपना ठिकाना है नहीं और देश में घूम रहे हैं, नेताओं के साथ चाय पीने और प्रेस कॉन्फ्रेंस करने से कुछ नहीं होने वाला*

मोरवा, समस्तीपुर 12 मई, जन सुराज पदयात्रा के 223वें दिन की शुरुआत समस्तीपुर जिले के मोरवा प्रखंड अंतर्गत लरुआ पंचायत स्थित पदयात्रा शिविर में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। उसके बाद प्रशांत किशोर ने स्थानीय पत्रकारों के साथ संवाद किया। पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने अपने पदयात्रा का अनुभव साझा किया। जन सुराज पदयात्रा के माध्यम से प्रशांत किशोर 2 अक्तूबर 2022 से लगातार बिहार के गांवों का दौरा कर रहे हैं। उनकी पदयात्रा अबतक लगभग 2500 किमी से अधिक की दूरी तय कर चुकी है। पश्चिम चंपारण से शुरू हुई पदयात्रा शिवहर, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सिवान, सारण, वैशाली होते हुए बीते कल समस्तीपुर जिले पहुंची है। समस्तीपुर में पदयात्रा 20-25 दिनों तक चलेगी और अलग-अलग गांवों और प्रखंडों से होकर गुजरेगी।

नीतीश कुमार का अपना ठिकाना है नहीं और देश में घूम रहे हैं, नेताओं के साथ चाय पीने और प्रेस कॉन्फ्रेंस करने से कुछ नहीं होने वाला: प्रशांत किशोर।

जन सुराज पदयात्रा के दौरान समस्तीपुर के मोरवा प्रखंड में मीडिया संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोलते हुए कहा कि नेताओं और दलों के साथ में बैठकर चाय पीने से और प्रेस वार्ता करने से विपक्षी एकता अगर होनी होती तो आज से 10 साल में यह काम हो गया होता। नेताओं के आपस में मिलने से विपक्षी एकता नहीं हो सकती। नीतीश कुमार जो कर रहे हैं इसका कोई मतलब नहीं बनता है। नीतीश कुमार जो विपक्षी एकता की बात कर रहे हैं वो बिहार में सीटों का ही फार्मूला जारी कर दे कि बिहार में जदयू, कांग्रेस, आरजेडी और उनके अन्य जो सहयोगी दल हैं वो कितने सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।

आगे प्रशांत किशोर ने कहा कि क्या नीतीश कुमार अपनी सीट छोड़कर CPI(ML) को देंगे? CPI(ML) की जीत का औसत नीतीश कुमार से ज्यादा रहा है। नीतीश कुमार की पार्टी 110 सीटों पर लड़ कर 42 सीट पर जीती हैं, CPI(ML) 17 सीटों से लड़कर 12 एमएलए जीती हैं। इस हिसाब से उनको को ज्यादा सीट मिलनी चाहिए, तो नीतीश कुमार अपनी सीट छोड़ देंगे? जिसके अपने घर का ठिकाना है नहीं! वह आदमी पूरे दुनिया में घूमेगा तो वो न घर का होगा ना बाहर का बचेगा।

पीके का तेजस्वी यादव पर तीखा हमला, बोले – उनके बाबूजी का राजतंत्र है जो एक साइन करके 10 लाख नौकरी दे देंगे, तेजस्वी को किसी विषय का कोई ज्ञान ही नहीं है।

प्रशांत किशोर ने मीडिया संवाद के दौरान 10 लाख नौकरी के सवाल पर तेजस्वी पर हमला करते हुए कहा कि पिछले 10 साल में BPSC के काम करने का जो तरीका है उसको ध्यान से समझ जाएं तो BPSC के 1 साल में 10 हजार से ज्यादा लोगों को नौकरी देने की क्षमता नहीं है। कितने लोगों को परीक्षा देनी है, कितने लोगों का आवेदन होगा इन सब के हिसाब से 10 हजार से ज्यादा नौकरी बीपीएससी नहीं दे सकती है। अगर नियमावली को ठीक मान लिया जाएं तो बीपीएससी को 2 लाख शिक्षकों की नियुक्ति करने में कम से कम 5 साल का समय लगेगा। और नियोजित शिक्षकों के पास केवल 3 अवसर है। ये सीधा-सीधा लोगों को मूर्ख बनाया जा रहा है। अगर 4-4 लाख लोग 3 बार परीक्षा देने जाएंगे तो 12 लाख लोगों की परीक्षा लेगा कौन? जब मूर्ख व्यक्ति को नेता बना देंगे तो वो यही काम करेगा। तेजस्वी यादव चुनाव में आएं और 10 लाख नौकरी देने का वादा किया और कहा कि 1 साइन करेंगे और आपको नौकरी मिल जाएगी। ये दिखाता है कि आप कितने बड़े अज्ञानी हैं। किसी कैबिनेट के पास ये अधिकार नहीं है कि 1 साइन पर नौकरी मिल जाएगी। ये उनके बाबू जी का राजतंत्र नहीं है जो 1 साइन पर नौकरी मिल जाएगी। कैबिनेट ये निर्णय कर सकती है कि कितने पद निकलेंगे, किस विभाग में निकलेंगे, कैबिनेट नौकरी नहीं दे सकती है। ये दिखाता है कि तेजस्वी को किसी विषय का कोई ज्ञान ही नहीं है।

प्रशांत किशोर BJP पर भी जमकर बरसे, कहा – बिहार भाजपा के किसी एक नेता ने नाम पर 5 वोट नहीं मिलेगा, अध्यक्ष के लिए भी इन्हें दूसरी पार्टी से नेता को लाना पड़ा।

जन सुराज पदयात्रा के दौरान समस्तीपुर के मोरवा प्रखंड में मीडिया से संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि भाजपा का बिहार में कुछ नहीं है। आज बीजेपी की हालत ऐसी है कि बीजेपी की कमान बिहार में ऐसे व्यक्ति के पास है जिनके बाबूजी पहले लालू जी के मंत्री थे, फिर वो नीतीश के मंत्री हुए, उसके बाद वह मांझी जी के मंत्री हुए और आजकल उनका बेटा बीजेपी का उद्धार करने निकला है। पिछले 30 सालों में बिहार में जितने लोग MLA और MP बने हैं, चाहे वह जिस भी दल से बने हो वो पूरे बिहार में कुल 1200 से 1500 परिवार के लोग ही यहां MLA-MP बने हैं। भाजपा को भी बिहार में कोई नया आदमी नहीं मिल रहा है, उनको भी वही व्यक्ति मिला है जिनके बाप-दादा पहले किसी और दल में थे, बिहार में भाजपा अभी नेता खोज ही रही है। कोई नेता उनको यहां मिल जाएं जिसके नाम पर बिहार में चुनाव लड़ा जा सके इसी के फिराक में रहते हैं। प्रधानमंत्री के चेहरे पर जो वोट मिलती है बस वही वोट भाजपा को मिल रही है। बिहार में भाजपा के किसी नेता के नाम पर 5 वोट भी नहीं है। बिहार में जिस दल का हवा उड़ती है सब नेता उसी में आ जाते हैं। भाजपा को बिहार में आज जो वोट मिलता है वो मोदी जी के चेहरे के नाम पर, हिंदुत्व के नाम पर, राम मंदिर के नाम पर और हिंदू-मुसलमान के नाम पर मिलता है।