विश्व के तमाम ज्ञान- विज्ञान का कोष संस्कृत में नौकरी एवं रोजगार की व्यापक संभावनाएं- प्रो रामनाथ

विश्वविद्यालयीय परीक्षा में शामिल होने के लिए छात्रों की 75% वर्गोपस्थिति अनिवार्य- डा घनश्याम।

#MNN@24X7 दरभंगा, ज्ञान शिक्षकों के समुचित मार्गदर्शन एवं सतत अभ्यास से ही आती है। छात्र दूसरों से मित्रवत् भाव रखते हुए सामाजिक बनें। संस्कृत के छात्र- छात्राएं सौभाग्यशाली होते हैं, क्योंकि वे मानवीय मूल्यों से युक्त शिक्षा प्राप्त करते हैं। विश्व के तमाम ज्ञान- विज्ञान का कोष संस्कृत में नौकरी एवं रोजगार की व्यापक संभावनाएं हैं। उक्त बातें ल ना मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व संस्कृत- विभागाध्यक्ष एवं भू- संपदा पदाधिकारी प्रो रामनाथ सिंह ने विश्वविद्यालय संस्कृत विभाग द्वारा पीजी प्रथम सेमेस्टर, सत्र 2022- 24 में नव नामांकित छात्र- छात्राओं के लिए आयोजित दीक्षारंभ समारोह का दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि पीजी में नामांकित छात्र विभिन्न कॉलेजों, स्थलों एवं वातावरणों से आते हैं, जिन्हें विश्वविद्यालय के वातावरण में ढलना आवश्यक है। छात्रों के पीजी में अध्ययन के कई उद्देश्य होते हैं, जिनकी पूर्ति के लिए विभाग उपयुक्त वातावरण प्रदान करता है। डॉ सिंह ने छात्रों का आह्वान किया कि वे न केवल शैक्षणिक, बल्कि सामाजिक आदि सभी दायित्वों का भी बखूबी निर्वहन करें। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त किया कि संस्कृत के छात्र अपनी मेहनत एवं शिक्षकों के मार्गदर्शन से हर वर्ष नेट एवं जेआरएफ में सफल हो रहे हैं।

अध्यक्षीय संबोधन में संस्कृत विभागाध्यक्ष डा घनश्याम महतो ने नव नामांकित छात्र- छात्राओं का स्वागत एवं अभिनंदन करते हुए कहा कि विश्वविद्यालयीय परीक्षा में शामिल होने के लिए छात्र- छात्राओं की 75% वर्गोपस्थिति अनिवार्य है। उन्होंने इंडक्शन कार्यक्रम के महत्त्व की चर्चा करते हुए कहा कि इससे आपसी गेट- टूगेदर होता है तथा छात्र एक- दूसरे से परिचित होकर सहज हो जाते हैं। विभागाध्यक्ष ने छात्रों को बताया कि 5 अगस्त, 1972 को स्थापित मिथिला विश्वविद्यालय में संस्कृत पीजी की पढ़ाई 1977 ईस्वी से प्रारंभ हुई। उन्होंने चालू सीबीसीएस सिलेबस की विस्तृत जानकारी देते हुए छात्रों से कहा कि विभाग द्वारा विश्वविद्यालयीय प्रावधानों के अनुसार शिक्षा एवं सुविधा प्रदान की जाएगी।

विभागाध्यक्ष ने बताया कि इस दो दिवसीय इंडक्शन कार्यक्रम के दूसरे दिन कल छात्रों को प्रथम सत्र में “संस्कृत- अध्ययन में नौकरी एवं रोजगार की संभावनाएं” विषय पर जानकारी दी जाएगी। वहीं दूसरे सत्र में केन्द्रीय पुस्तकालय आदि का भ्रमण कराया जाएगा।

कार्यक्रम का संचालन एवं विषय प्रवेश कराते हुए विभागीय प्राध्यापक डा आर एन चौरसिया ने कहा कि इंडेक्शन से छात्रों की दुविधाएं, असमंजस या कठिनाइयां दूर हो जाती हैं तथा शिक्षकों के दिशा- निर्देश से विभाग में शिक्षा का बेहतर माहौल बनता है। उन्होंने बताया कि युवाओं को सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि समाजसेवा के माध्यम से उनके व्यक्तित्व का सर्वांगीन विकास एवं चरित्र का पूर्ण निर्माण भी आवश्यक है।

डा चौरसिया ने बताया कि कुलपति के आदेश से विभाग द्वारा दरभंगा सदर प्रखंड स्थित खुटबाड़ा पंचायत के दलित- पिछड़े बाहुल्य गांव नवटोली को गोद लिया गया है, जहां समय- समय पर विभागीय छात्रों के सहयोग से सामाजिक कार्य किए जाएंगे। वहीं केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के वित्तीय सहयोग से पीजी संस्कृत विभाग में अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण केन्द्र खोला गया है, जहां से कोई भी व्यक्ति मात्र ₹500 में पाठ्य सामग्री के साथ ही वर्ग में भाग लेकर संस्कृत शिक्षण में सर्टिफिकेट कोर्स कर सकते हैं।

विभागीय प्राध्यापिका डा ममता स्नेही के द्वारा छात्रों को प्रथम सेमेस्टर के सिलेबस तथा परीक्षा- पद्धति की विस्तार से जानकारी दी गई। डा ममता ने छात्रों से नेट/ जेआरएफ की तैयारी में हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। वहीं संस्कृत- प्राध्यापिका डा मोना शर्मा द्वारा छात्रोपस्थिति दर्ज करते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया गया। शिक्षकों एवं शिक्षकेतर कर्मियों के साथ ही छात्र- छात्राओं का आपसी परिचय कराया गया। वहीं अतिथियों का स्वागत पाग एवं चादर से किया गया।

प्रश्नोत्तर सत्र में छात्र- छात्राओं द्वारा पूछे गए अनेक प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर शिक्षकों द्वारा दिए गए। दीक्षारंभ कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के एनएसएस समन्वयक डा विनोद बैठा, अनौपचारिक संस्कृत- शिक्षक अमित कुमार झा, एमसीए प्रशांत कुमार झा, अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के छात्र मंजीत कुमार चौधरी, मंजू अकेला, विद्यासागर भारती, योगेन्द्र पासवान, उदय कुमार उदेश, भक्ति रानी, अंकिता कुमारी, विवेक कुमार, सतीश कुमार चौरसिया, अतुल कुमार झा, कंचन कुमारी, कृष्ण मोहन कुमार गुप्ता, राजा कुमार पासवान, वैष्णवी कुमारी, सुधा कुमारी, चांदनी कुमारी के साथ ही शोधार्थी सोनाली कुमारी एवं नीरज कुमार सिंह आदि उपस्थित थे।