शोधार्थी तत्पर होकर नियमित कोर्स वर्क को पूरा करें, उन्हें विभाग से मिलेगी नियमानुकुल सहयोग एवं सुविधाएं- डा घनश्याम।

नियमित कोर्स वर्क करने से शोध हेतु होता है जड़ मजबूत, जिसे आसानी से उच्च स्तरीय शोध- कार्य संभव- डा चौरसिया।

यदि छात्र कोर्स वर्क कक्षा के दौरान शोध प्रविधि को अच्छी तरह से समझ लें तो उनका शोध कार्य होगा ज्यादा प्रमाणिक- डा वीरेन्द्र।

#MNN@24X7 ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग के तत्वावधान में विभागाध्यक्ष डा घनश्याम महतो की अध्यक्षता में पीएच डी कोर्स वर्क हेतु पैट : 2021-22 में नवनिर्वाचित छात्र- छात्राओं का इंडक्शन कार्यक्रम विभागीय सभागार में संपन्न हुआ, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में डा वीरेन्द्र कुमार दत्ता, विभागीय शिक्षक डा आर एन चौरसिया, डा ममता स्नेही तथा डा मोना शर्मा के अलावे अनौपचारिक संस्कृत- शिक्षक अमित कुमार झा, शोधार्थी- सोनाली मंडल तथा सदानंद विश्वास, मनोज वर्मन, सविता आनंद, नीतू कुमारी, दीपाली आर्या, सिम्मी कुमारी, रंजना कुमारी, सतीश कुमार चौरसिया, अतुल कुमार झा, विकास कुमार यादव, दीपक कुमार, सुधा कुमारी, विद्या सागर भारती तथा योगेन्द्र पासवान आदि उपस्थित थे।

विभागाध्यक्ष डा घनश्याम महतो ने कहा कि शोधार्थी तत्पर होकर नियमित कोर्स वर्क पूरा करें, उन्हें शोध कार्य हेतु विभाग से नियमानुकुल सहयोग एवं सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। शोधार्थी लगातार पुस्तकालय तथा इंटरनेट का भी सदुपयोग अपने ज्ञान वर्धन हेतु करें। उन्होंने कहा कि आज शोध कार्य हेतु काफी सुविधाएं उपलब्ध हैं। वे शिक्षकों के मार्गदर्शन तथा पूर्व शोधार्थियों से भी मदद लेकर बेहतरीन शोध कार्य को संपादित कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस बार होने वाला पीएच डी नियमित है, जिसके लिए न्यूनतम 75% उपस्थिति अनिवार्य है।

विभागीय शिक्षक एवं कार्यक्रम के संयोजक डा आर एन चौरसिया ने कहा कि नियमित कोर्स वर्क करने से शोध कार्य का जड़ मजबूत होता है, जिससे उच्च स्तरीय शोध कार्य संपादित करना संभव है। शोध से शोधार्थी की कल्पना, विश्लेषण तथा सृजनात्मक शक्ति के विकास में भी मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि अच्छे शोध कार्य समाज तथा सरकार को दिशा- दशा प्रदान करता है। अच्छे शोध से समस्याओं का समाधान भी होता है। शोध के बिना किसी भी क्षेत्र में सर्वांगीण विकास असंभव है। इससे न केवल ज्ञान भंडार में वृद्धि होती है, बल्कि नई सोच को भी बढ़ावा मिलता है।

मुख्य वक्ता के रूप में आर एन ए आर कॉलेज, समस्तीपुर के हिन्दी- प्राध्यापक डा वीरेन्द्र कुमार दत्ता ने कहा कि यदि छात्र कोर्स वर्क कक्षा के दौरान शोध- प्रविधि को अच्छी तरह से समझ ले तो उनका शोध कार्य ज्यादा प्रमाणिक एवं गुणवत्तापूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि शोध कार्य काफी व्यापक होता है जो हमारी ज्ञान- परंपरा एवं बौद्धिक क्षमता को बढ़ाता है। जिस समाज एवं राष्ट्र में शोध कार्य अधिक होते हैं, उनके विकास तेजी से होते हैं।

अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए विभागीय शिक्षिका डा मोना शर्मा ने कहा कि यदि छात्र 6 माह के इस कोर्स वर्क में ध्यान देकर मेहनत से पूरा करें तो उनका शोध कार्य बेहतरीन होगा। उन्होंने कोर्स वर्क के सिलेबस की जानकारी देते हुए बताया कि शोधार्थी अपना पीएच डी कार्य न्यूनतम 3 वर्ष में तथा अधिकतम 6 वर्ष में पूरा कर सकते हैं।

कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन करते हुए संस्कृत- प्राध्यापिका डा ममता स्नेही ने कहा कि शोध कार्य प्रारंभ करने से पहले उसके सिद्धांतों एवं नियमों की जानकारी जरूरी है, ताकि शोधार्थी सुगमता पूर्वक अच्छे से शोध कार्य को संपन्न कर सकें। उन्होंने कहा कि छात्र नवीन दृष्टिकोण से शोध कार्य करें तथा विज्ञान सहित अन्य दूसरे विषयों से संबद्ध कर शोध कार्य को पूरा करें। कार्यक्रम में शोधार्थियों द्वारा अनेक प्रश्नों एवं शंकाओं को रखा गया, जिनका समुचित उत्तर एवं समाधान उपस्थित शिक्षकों द्वारा दिया गया।