आजादी के बाद राष्ट्र निर्माण की प्रमुख चुनौतियां थीं – प्रोफेसर पवन कुमार झा।

भारत पांच हजार साल अनुभव का राष्ट्र है- प्रोफेसर रत्नेश्वर मिश्र।

सारे समाजवादियों ने पॉकेट में पार्टी खड़ा कर दी – प्रोफेसर मुनेश्वर यादव।

मनुष्य को मनुष्यता का सम्मान प्राप्त होने तक की चुनौतियों के लिए संघर्ष जारी – डॉ घनश्याम राय।

#MNN@24X7 पूर्णिया विश्वविद्यालय, पूर्णिया के स्नातकोत्तर राजनीति विज्ञान विभाग और इतिहास विभाग के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को ‘स्वतंत्रोत्तर भारत में राष्ट्र निर्माण की चुनौतियां’ विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार सीनेट हॉल में आयोजित की गई। सर्वप्रथम मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन किया गया। छात्र छात्राओं द्वारा स्वागत गीत और कुलगीत का गायन किया गया। प्रोफेसर मरगूब आलम, संयोजक सह अध्यक्ष,छात्र कल्याण ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रोफेसर राजनाथ यादव ने की।

उन्होंने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में यह सेमिनार मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने संविधान निर्माण, राजनीतिक व्यवस्था, रियासतों का एकीकरण, शरणार्थियों की समस्या, धार्मिक सम्प्रदाय, महामारी, औधोगिक विकास आदि विषयों पर विस्तार से प्रकाश डाला।

प्रति कुलपति प्रोफेसर पवन कुमार झा ने राष्ट्र निर्माण की चुनौतियों के विभिन्न आयामों को विस्तार से बतलाया।प्रथम कीनोट स्पीकर प्रोफेसर रत्नेश्वर मिश्र ने अपने संबोधन में स्वतंत्रोत्तर भारत में राष्ट्र निर्माण की चुनौतियों का ऐतिहासिक और वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विश्लेषण करते हुए कहा कि 1947 में अंग्रेज भारत से इसीलिए चले गए क्योंकि उनके लूटने के लिए कुछ बचा हीं नहीं था। वे सैलरी कहां से देते।

उन्होंने कहा कि साक्षरता दर आजादी के समय 16% थी जोक्षअब 74% है। उन्होंने कहा कि 1700 ईस्वी तक भारत की छवि सोने की चिड़ियां थी,यह विदेशी भ्रमणकारी विद्वानों ने अपने यात्रा वृतांत में वर्णन किया है। उन्होंने कहा इतिहास में क्या हुआ क्या नहीं हुआ, क्या सही था, क्या गलत था,यह बहस का विषय नहीं है। विविधता में एकता कैसे स्थापित हो,यह महत्वपूर्ण है ‌। भारत की आजादी के समय बहुत सारे देशों को स्वतंत्रता मिली परन्तु प्रजातंत्र को बचाने का कार्य सिर्फ भारत ने किया है। उन्होंने कहा कि उपनिवेश बनाने वालों ने हमारे ज्ञान प्रणाली को ध्वस्त किया। संतोषवादी संस्कृति को तोड़ना होगा।

प्रोफेसर मुनेश्वर यादव ने बीज वक्तव्य देते हुए कहा कि कार्ल पोपर के अनुसार विचारधारा विचार का विज्ञान है, ‘आइडियोलॉजी इज द सायंस ऑफ आइडियाज’। उन्होंने कहा कि लोग सारी जगह परिवर्तन देखना चाहते हैं, परन्तु अपने में परिवर्तन नहीं देखना चाहते हैं। राज्य कृत्रिम है परन्तु राष्ट्र प्राकृतिक है। उन्होंने कहा कि अभी चारों तरफ लोकतंत्र की लहर चल रही है। राजतंत्र पर कोई चर्चा नहीं होती है। लोकतंत्र की थर्ड लहर चल रहा है। उन्होंने कहा कि समाजवादियों ने पॉकेट में पार्टी खड़ा कर दी,यह व्यक्तिवाद है। उन्होंने फ्रीडम, डेमोक्रेसी, डेवलपमेंट और फेडरलिज्म पर विस्तार से प्रकाश डाला।

प्रोफेसर सीपी सिंह ने कहा कि हमने चाणक्य की बात नहीं की। हमने बहुत सारे आक्रमणकारियों को झेला। हमारे यहां वसुधैव कुटुंबकम् का सिद्धांत रहा है। लम्हों ने खता की सदियों ने सजा भुगती। उन्होंने कहा कि गरीबी खत्म नहीं होगी। आबादी सबसे बड़ी समस्या है।

कुलसचिव डॉ घनश्याम राय ने कहा कि गंगा की कसम, यमुना की कसम,ये सारा ताना बाना बदलेगा,तुम खुद को बदल,तुम खुद को बदल,तो सारा जमाना बदलेगा। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब आंबेडकर ने कहा कि जबतक मनुष्य को मनुष्यता के आधार पर सम्मान नहीं मिल जाता है तब तक नवनिर्माण भारत की निर्माण की चुनौतियों के लिए संघर्ष जारी रहेगा।

कुलसचिव ने कहा कि शोधार्थियों और छात्र छात्राओं से सीनेट हॉल भर गया है। इससे ज्यादा लोग बाहर में खड़ा है, जबकि आज जानकी नवमी की छुट्टी है। उन्होंने कहा कि इतने सारे शोधार्थियों के आकांक्षाओं को पूरा करने की चुनौतियां हमारे पास है। किसतरह हम इन्हें तमाम साधन उपलब्ध करावें,यह चुनौतियां हैं। समय के अनुकूल नीतियों को बनाने की जिम्मेदारी शासन और प्रशासक की होती है। विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद राजनीति विज्ञान विभाग और इतिहास विषय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में इतनी उपस्थिति बतलाता है कि हमारे छात्र छात्राएं ज्ञानशील और जागरूक हैं, उन्हें माहौल और परिस्थितियां देने का कार्य प्रशासन का है। समय के अनुकूल नीतियों को बनाने की जिम्मेदारी हमारी है।

इस अवसर पर पदाधिकारी, प्राध्यापक, शोधार्थी,छात्र छात्राएं उपस्थित थे। लगभग साढ़े चार सौ रजिस्ट्रेशन हुआ। इस अवसर पर डॉ एस एन सुमन, डॉ पटवारी यादव,अरबिन्द कुमार मिश्रा, डॉ अभिषेक आनंद, डॉ सुनील कुमार, डॉ मनीष कुमार सिंह, डॉ राजीव कुमार, ज्ञानदीप गौतम, डी के झा, डॉ सीके मिश्रा, डॉ अशोक कुमार झा, प्रोफेसर एस एल वर्मा, प्रोफेसर अरबिन्द कुमार मिश्रा, डॉ मनीष, प्रीति कुमारी डॉ देव नारायण यादव, मनमोहन कृष्णा, डॉ हरेंद्र सिंह, डॉ माया कृति, डॉ राकेश रौशन सिंह, डॉ नंदन कुमार भारती,सौरभ सुमन, डॉ आलोक राज, रानू यादव आदि उपस्थित थे।

लवली कुमारी, कल्पना कुमारी,शिल्पी राय, नम्रता दास, रूचि कुमारी, आरती कुमारी आदि ने कुलगीत और स्वागत गीत का गायन किया। कुमार गौरव ने कार्यक्रम का संचालन बेहतरीन ढंग से किया। कार्यक्रम के संयोजक द्वय प्रोफेसर अरबिन्द कुमार वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।