#MNN@24X7 दरभंगा, डॉ बी आर अंबेडकर पूरे भारतवर्ष की तमाम समस्याओं के निदान हेतु दहकते शोले सदृश्य थे। उनका एकमात्र उद्देश्य था कि सभी भारतवासी अपनी शिक्षा एवं श्रम से आगे बढ़ते रहे। वे राजनीतिक वैमनस्यता को नहीं चाहते थे। डॉ आंबेडकर सिर्फ दलितों के ही नहीं, बल्कि सभी पीड़ित लोगों के उद्धारक थे।

उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के स्नातकोत्तर राजनीति विज्ञान विभाग के तत्वावधान में “डा बी आर अंबेडकर के लोकतांत्रिक विचार” विषयक राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि के रूप में कुलसचिव प्रोफ़ेसर मुश्ताक अहमद ने कही।

भारतरत्न डॉ अंबेडकर की 132 वीं जयंती के अवसर पर जुबली हॉल में हाइब्रिड मोड में आयोजित सेमिनार में कुलसचिव ने कहा कि आज डॉ अंबेडकर को लोग अलग-अलग दृष्टिकोण से देख रहे हैं, जिससे वे राजनीतिक कुचक्र शिकार हो गए हैं।

दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय, बोद्धगया के प्राध्यापक सह दलित चिंतक डा परमानंद आर्य ने कहा कि डॉ अंबेडकर भारत में सिर्फ राजनीतिक लोकतंत्र ही नहीं,बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक धार्मिक समता के हिमायती थे। वे ऐसा समावेशी समाज चाहते थे, जहां सबका साथ और सबका विकास हो सके। वे लोकतंत्र को जीवनशैली और शिक्षा को मानव का मुख्य उद्देश्य मानते थे। डॉ अंबेडकर लिंगभेद के खिलाफ थे। उन्होंने स्त्रियों के उत्थान हेतु कई सार्थक प्रयास किए। मुख्य अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के वित्तीय परामर्श कैलाश राम ने कहा कि जब मानवता कष्ट में होती है, तब महापुरुष अवतरित होते हैं। डॉ अंबेडकर ने नारा दिया था कि शिक्षित बनो, संगठित होओ और संघर्ष करो। आज हम अपने कर्तव्यों का सही ढंग से पालन कर ही डा अंबेडकर को सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं।

अध्यक्षीय संबोधन में सामाजिक विज्ञान के संकायाध्यक्ष प्रो पी सी मिश्रा ने कहा कि डा अंबेडकर के विचार आज भी प्रासंगिक हैं, जिनपर चलकर ही हम समाज में समानता एवं खुशहाली ला सकते हैं। वे समाज सुधारक, अर्थशास्त्री, राजनीतिक, संविधान निर्माता, विधिवेत्ता एवं दार्शनिक थे, जिन्होंने मानव मानव के बीच विभेद को दूर करने का सार्थक प्रयास किया था।

उद्घाटन सत्र के अतिरिक्त 2 तकनीकी सत्र भी आयोजित किए गए, जिनमें एक सौ से अधिक पत्र प्रस्तुत किए गए। वहीं सेमिनार में मिथिला सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों के ढाई सौ से अधिक शिक्षक, पदाधिकारी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे, जिनमें महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के कला- संकायाध्यक्ष प्रो प्रसून दत्त सिंह, राजनीति विज्ञान विभाग के डा पंकज कुमार सिंह, डा जय कुमार झा, डा गंगेश कुमार झा व तनवीर हसन आदि उपस्थित थे।

सर्वप्रथम अतिथियों ने डा अंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण कर एवं पुष्पांजलि अर्पित कर अपने भावों को व्यक्त किया, वहीं सेमिनार का प्रारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ। भाग्य छात्राओं ने स्वागत गान प्रस्तुत किया। अतिथियों का स्वागत पाग, चादर एवं मिथिला पेंटिंग से किया गया।

विभागीय प्राध्यापक प्रो मुकुल बिहारी वर्मा के संचालन में आयोजित सेमिनार में स्वागत संबोधन विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मुनेश्वर यादव ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन विभागीय प्राध्यापक डा मनोज कुमार ने किया।