दरभंगा, 12 जुलाई 2022 :- वातावरण परिवर्तन को देखते हुए जिला कृषि पदाधिकारी एवं कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने कम वर्षा एवं तापमान में हो रहे वृद्धि को देखते हुए खरीफ मौसम के फसलों पर हो रहे प्रभाव पर चर्चा किया तथा किसानों को सुझाव दिया कि जिन किसानों ने धान की बुवाई कर ली है तथा उनकी खेतों में नमी की कमी के कारण दरार पड़ना प्रारंभ हो गया है वह जीवन रक्षक सिंचाई अर्थात धान की फसल के नमी को बनाए रखने हेतु सिंचाई करें।
वहीं बहुत से किसानों के धान का बिचड़ा भी अब पीला पड़ने लगा है वह किसान भी बिचड़े में नमी बनाकर रखें।
जिन किसानों के पास तुलनात्मक रूप से ऊपरी भूमि है तथा जिन खेतों में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था है वह अन्य वैकल्पिक फसलों जैसे कि अरहर, सोयाबीन, तिल आदि फसलों का चयन कर सकते हैं।
ऐसा भी देखा जा रहा है की तापमान में वृद्धि एवं जल के अभाव के कारण जिन किसानों ने धान की सीधी बुवाई की है अथवा अन्य विधियों से धान की बुवाई की है उनके खेतों में खरपतवार की मात्रा काफी बढ़ गई है वैसे किसान पौधों की स्थिति को देखते हुए खरपतवारनाशी का प्रयोग कर सकते हैं।
जिन किसानों ने अभी धान का बिचड़ा नहीं गिराया है अपनी जमीन में कम अवधि के धान के प्रभेदो की ऊपरी भूमि में सीधी बुवाई कर सकते हैं।जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि जिला कृषि विभाग स्थिति पर नियमित समीक्षा कर रहा है तथा विभाग के द्वारा सभी वैकल्पिक प्रयास किए जाएंगे।