•इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट ट्यूबरक्लोसिस एंड लंग डिजीज संस्था ने दिया प्रशिक्षण।

• इधर-उधर थूकने पर जुर्माने का है प्रावधान।

•तंबाकू उत्पादन के कचरे से पर्यावरण को हो रहा है भारी नुकसान।

मधुबनी/18 अगस्त, स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम ( एनटीसीपी ) के अंतर्गत एमआईएस पोर्टल तैयार किया गया है जिले में एनटीपीसी कार्यक्रम अंतर्गत किए जाने वाले सभी गतिविधियों तथा जिले में गठित त्रिस्तरीय छापामार दस्ते द्वारा कोटपा 2003 के तहत उल्लंघनकर्ता को विभिन्न धाराओं में किए गए चालान से संबंधित जानकारी जिला समन्वय समिति की त्रैमासिक बैठक में जानकारी, कार्यक्रम अंतर्गत विभिन्न हितधरकों को दिए गए प्रशिक्षण इत्यादि से संबंधित अद्यतन प्रतिवेदन एवं आंकड़ों को पोर्टल पर प्रत्येक महीने अपडेट करने को लेकर जिला एवं अनुश्रवण मूल्यांकन पदाधिकारी को भारत सरकार के द्वारा नामित संस्था इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट ट्यूबरक्लोसिस एंड लंग डिजीज के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया. एन सी डी ओ डॉक्टर एसपी सिंह ने बताया जिले में गठित त्रिस्तरीय छापामार दस्ते द्वारा कोटपा 2003 के तहत उल्लंघनकर्ता को विभिन्न धाराओं में किए गए चालान के रूप में अब तक 104403 की वसूली की गई है वही वर्ष 2021-22 में अब तक 131 व्यक्तियों से चालान के रूप में वसूली की गई है.

3 तीन स्तर पर त्रिस्तरीय छापामार दल का गठन :

त्रिस्तरीय छापामार दल में 3 तीन स्तर पर दल का गठन किया गया है जिसमें जिला स्तर पर आरक्षी उपाधीक्षक मुख्यालय अध्यक्ष, अधीक्षक सदर अस्पताल सदस्य, जिला नोडल पदाधिकारी (तंबाकू नियंत्रण) समन्वयक सदस्य,जिला परिवहन पदाधिकारी सदस्य, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सदस्य, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (आईसीडीएस) सदस्य,जिला खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी सदस्य,सहायक औषधि नियंत्रक सदस्य, जिला शिक्षा पदाधिकारी सदस्य, जिला कार्यक्रम प्रबंधक( जिला स्वास्थ्य समिति ) सदस्य,श्रम अधीक्षक सदस्य, संबंधित थानाध्यक्ष सदस्य अनुमंडल स्तर पर अनुमंडल पदाधिकारी अध्यक्ष, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सदस्य,कार्यपालक दंडाधिकारी सदस्य,अनुमंडल कल्याण पदाधिकारी सदस्य,प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी अनुमंडल मुख्यालय समन्वयक सदस्य,अनुमंडल शिक्षा पदाधिकारी सदस्य,संबंधित औषधि निरीक्षक सदस्य, संबंधित थानाध्यक्ष सदस्य प्रखंड स्तर पर प्रखंड विकास पदाधिकारी अध्यक्ष,प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी समन्वयक सदस्य, प्रभारी शिक्षा प्रसार पदाधिकारी सदस्य,प्रखंड कृषि पदाधिकारी सदस्य,श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी सदस्य, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक सदस्य, संबंधित थानाध्यक्ष सदस्य होते हैं

सार्वजनिक स्थानों पर थूकना स्वास्थ्य के लिए खतरा:

सीड्स के कार्यक्रम पदाधिकारी मनोज कुमार झा ने बताया कि तंबाकू का सेवन जन स्वास्थ्य के लिए बड़े खतरों में से एक है। सार्वजनिक स्थानों पर थूकना स्वास्थ्य के लिए खतरा है और संचारी रोग के फैलने का एक प्रमुख कारण है। तंबाकू सेवन करने वाले की प्रवृति यत्र-तत्र थूकने की होती है। थूकने के कारण कई गंभीर बीमारी तथा कोरोना, इंसेफलाइटिस, यक्ष्मा, स्वाइन फ्लू आदि का संक्रमण फैलने की आशंका रहती है। भा.द.वि. (IPC) की धारा 268 एवं 269* के तहत कोई भी व्यक्ति यदि महामारी के अवसर पर उपेक्षापूर्ण अथवा विधि विरूद्ध कार्य करेगा जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रमण हो सकता है तो उसे छह माह का कारावास एवं अथवा 200 रुपये जुर्माना किया जा सकता है।

विभिन्न जानलेवा बीमारियों की जड़ है तम्बाकू का सेवन:

गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. एस.पी. सिंह ने बताया तम्बाकू सेवन बहुत सी नुकसानदायक बीमारियों की जड़ है। कैंसर जैसी  बीमारी भी तम्बाकू के सेवन से ही होती है। फेफड़ों की बीमारियां जैसे क्रोनिक ब्रोंकाइटिस व एम्फिसेमा होने की मुख्य वजह धूम्रपान ही है। क्रोनिक यानी लम्बे समय तक धूम्रपान करने से फेफड़े एवं सांस की नली के कैंसर होने की सम्भावना ज्यादा होती है। दुनियाँ में कैंसर से होने वाली मौतों में फेफड़े के कैंसर के मरीजों की संख्या ज्यादा है। जिसकी मुख्य वजह अत्यधिक धूम्रपान का करना ही होता है। खैनी,पुड़िया,जर्दा, पीला पत्ती आदि के सेवन से मुंह का कैंसर की संभावना बनी रहती है। इन सभी तरह के रोगों को पूरी तरह समाप्त करने के लिए धूम्रपान का खत्म होना ही सबसे जरूरी विकल्प है।

बच्चों एवं युवाओं पर अधिक दुष्प्रभाव:

सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने कहा कि तंबाकू का सबसे अधिक दुष्प्रभाव स्कूली बच्चों और युवाओं पर पड़ रहा है। बिहार में तंबाकू का प्रयोग करने वाले 25.9 प्रतिशत, धुआं रहित तंबाकू यानी पान मसाला, जर्दा, खैनी का प्रयोग करने वाले 23.5 प्रतिशत, बीड़ी पीने वाले 4.2 प्रतिशत और सिगरेट पीने वाले 0.9 प्रतिशत लोग हैं। तंबाकू सेवन के कारण कैंसर, ह्रदय रोग जैसी बीमारियों की समस्या बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि तंबाकू- सिगरेट व्यवसाय जैसे शक्तिशाली व्यावसायिक समूह से मुकाबला के लिए सामाजिक चेतना आवश्यक है.